तिखुर की खेती कैसे की जाती है? जानिए इसकी खेती की तकनीक
तिखुर का वानस्पतिक नाम कर्कुमा अंगस्टिफोलिया (Curcuma angustifolia) है।
तिखुर एक तना रहित कंदीय पौधा है। इसकी जड़ें मांसल और रेशेदार होती हैं, जिनके सिरों पर हल्के भूरे रंग के कंद पाए जाते हैं।
तिखुर की उत्पत्ति मध्य भारत में हुई है और यह पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, और हिमालयी क्षेत्रों के साथ-साथ मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के वनों में पाया जाता है।
तिखुर का कंद पौष्टिक, मधुर और रक्तशोधक होता है। यह कमजोरी दूर करने के लिए उपयोगी है।
रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करें। मानसून में वर्षा न होने पर पानी दें। बरसात खत्म होने के बाद 20-25 दिन के अंतराल पर खरपतवार हटाएं।
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