तोरई की खेती के बेहतरीन तरीके – जानें पूरी जानकारी!

तोरई की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी

करेले की तरह, तोरई (धारदार तुरई) और स्पंज तुरई गर्म जलवायु वाली फसलें हैं और गर्मी तथा वर्षा ऋतु में अच्छी तरह विकसित होती है।

खेती की विधियाँ

तोरई और स्पंज तुरई को गर्मी (जनवरी-फरवरी) और वर्षा (जून-जुलाई) में उगाया जाता है, जिसमें तोरई के लिए 3.5-5.0 किग्रा/हेक्टेयर और स्पंज तुरई के लिए 2.5-5.0 किग्रा/हेक्टेयर बीज बोए जाते हैं, इन्हें रातभर पानी में भिगोना फायदेमंद है।

रोपण दूरी

बावर/ट्रेलिस प्रणाली: पंक्ति-पंक्ति दूरी 1.5-2.5 मीटर, पौधे-पौधे दूरी 60-120 सेमी; गड्ढा पद्धति: पंक्ति-पंक्ति दूरी 1.5-2.0 मीटर, गड्ढे-गड्ढे दूरी 1.0-1.5 मीटर।

फसल की कटाई

फसल 60 दिनों में तैयार, अपरिपक्व फल पुष्पन के 5-7 दिन बाद तोड़ें, हर 3-4 दिन में तुड़ाई करें, टोकरी में पैक कर ठंडी जगह 3-4 दिन भंडारण करें, उपज 7.5-15.0 टन/हेक्टेयर।