करेले की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

करेला दक्षिण भारतीय राज्यों, विशेष रूप से केरल में एक महत्वपूर्ण सब्जी है और इसे इसकी अपरिपक्व, कंटीली फलों के लिए उगाया जाता है, जो अपने अनोखे कड़वे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है।

– करेला एक गर्म मौसम की फसल है जो व्यापक अनुकूलता रखती है। इसके वृद्धि और फूल आने के लिए आदर्श तापमान 25-30°C होता है।

– भूमि की तैयारी, बुवाई और अन्य कृषि तकनीकें खीरा की फसल के समान होती हैं, लेकिन करेले की बेल को मचान या वृक्षों की कटी हुई शाखाओं पर चढ़ाया जाता है।

– करेला सूखे या जलभराव को सहन नहीं कर सकता। विशेष रूप से फल बनने के समय अधिक उपज के लिए 2-5 दिन के अंतराल पर सिंचाई आवश्यक होती है।

– प्रारंभिक रूप से गोबर की खाद को गड्ढों में मिलाकर ऊपरी मिट्टी के साथ मिलाया जाता है।

– चूंकि करेला एक उथली जड़ वाली फसल है, इसलिए गहरी जुताई जैसी अंतरशस्य क्रियाएं (Intercultural Operations) नहीं की जानी चाहिए।

कटाई बुवाई के 55-60 दिन बाद शुरू होती है। फल तोड़ने का सही समय तब होता है जब वे पूरी तरह विकसित लेकिन अभी भी कोमल और नरम होते हैं।

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