भारत में मोती की खेती कैसे होती है?

मोती की खेती क्या है?

मोती की खेती एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें सीप (शंख या oyster) के अंदर कृत्रिम मोती विकसित किए जाते हैं। यह एक हाई-प्रॉफिट कृषि व्यवसाय बनता जा रहा है।

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इन मोतियों को बनाने में न्यूक्लियस (एक छोटा ठोस पदार्थ) की भूमिका अहम होती है, जिसे सीप के अंदर डाला जाता है। यही न्यूक्लियस मोती के आकार, गुणवत्ता और मजबूती को तय करता है।

मोती की खेती की प्रक्रिया

– सीप के अंदर एक छोटा विदेशी पदार्थ (न्यूक्लियस) डाला जाता है। – सीप उस पर परत बनाता है, जिससे मोती बनता है। – इस प्रक्रिया में 12–18 महीने लगते हैं।

अच्छे सीप की पहचान कैसे करें?

सीप खरीदते समय उसकी लंबाई कम से कम 6 सेंटीमीटर होनी चाहिए, उसका ऊपरी हिस्सा इंद्रधनुषी चमक वाला होना चाहिए, और वजन 35 ग्राम से कम नहीं होना चाहिए। एक अच्छा सीप 4 से 10 रुपये के बीच मिल जाता है।

मोती की खेती का प्रशिक्षण कहां से लें?

मोती की खेती के लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर (CIFA), भुवनेश्वर से प्रशिक्षण लिया जा सकता है।