इसकी खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए इसी खेती गहरी दोमट और बलुई दोमट मिट्टी में अच्छी तरह की जा सकती हैं।
कटहल की प्रमुख किस्में कुछ इस प्रकार है - सिंगापुरी, गुलाबी, रुद्राक्षी, रसदार, खजवा आदि हैं।
बीज से इसका पौधा तैयार किया जाता हैं। इनाचिंग और गूटी भी इसे सफलतापूर्वक प्रसारित करते हैं। बड़े आकार के कटहल से बीज चुनना चाहिए।
खेत की ठीक से जुताई करने के बाद पाटा चलाकर जमीन को समतल बनाना चाहिए। उसके बाद 10 से 12 मीटर की दूरी पर 1 मीटर व्यास और उतनी ही गहराई का गड्ढा बनाना चाहिए।
पौधों को खेत में लगाने के बाद सिंचाई का उचित प्रबंधन करना बहुत आवश्यक है। जिस साल पौधे लगये जाते है उस साल पौधों की गर्मियों में प्रति सप्ताह और जाड़े में 15 दिनों के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए।