Lavender Cultivation In India : लैवेंडर की खेती कैसे की जाती है?
लैवेंडर एक सुगंधित भूमध्यसागरीय झाड़ी है जो अपने सुंदर बैंगनी फूलों और शांत सुगंध के लिए जाना जाता है।
लैवेंडर का पौधा देखने में खुबसूरत होता है। इसकी पहचान इसके फूलों से होती है। लैवेंडर के फूल देखने में लाल, बैंगनी, नीले और काले रंग के होते है, तथा पौधा दो से तीन फ़ीट तक ऊँचा होता है
यह एक कठोर और शीतोष्ण पौधा है जो सूखे और पाले की स्थिति को सहन कर सकता है। आदर्श जलवायु परिस्थितियाँ ठंडी सर्दियाँ और ठंडी गर्मियाँ हैं।
लैवेंडर की खेती के लिए कार्बनिक पदार्थो से युक्त रेतीली मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसकी खेती वैसे तो हर प्रकार की जगह पर की जाती है।
इसके लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई और पुरानी फसल के अवशेषों को निकालकर साफ किया जाता है।
लैवेंडर की रोपाई बीज और पौध दोनों से की जाती है। लेकिन पौधरोपाई से पैदावार जल्दी मिलने लगती है। इसके लिए पौधों को नवंबर और दिसंबर में नर्सरी में तैयार करना चाहिए।
लवेंडर का पौधा तीन वर्ष बाद पूर्ण रूप से विकसित होकर अच्छी उपज देता है। जब इसके पौधों पर 50 प्रतिशत से अधिक मात्रा में फूल निकल चुके हो, उस दौरान पौधों की कटाई कर ले।
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