सोयाबीन की उन्नत किस्मों की बुवाई करके आप कमा सकते है अच्छा मुनाफा

सोयाबीन भारत में मुख्य खाद्य फसलों में से एक है और इसकी खेती देशभर में की जाती है। यह एक प्रमुख प्रोटीन स्रोत के रूप में भी माना जाता है।

सोयाबीन की खेती के लिए उचित मौसम, अच्छी जलवायु, और उपयुक्त मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसका मुख्य खेती काल जून से अक्टूबर के महीनों तक होता है।

सोयाबीन की खेती में सही बीज चयन, समय पर खाद और पानी की उपलब्धता, उचित रोग प्रबंधन, और समय पर रोपाई का महत्व होता है। 

सोयाबीन की खेती से अधिक उपज पाने के लिए किस्मों का सबसे अहम् योगदान होता है। इसलिए किसानों को अधिक उपज देने वाली किस्मों का ही चुनाव करना चाहिए।

बांसवाड़ा, कोटा, बूंदी, बारां, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, झालावाड़, उदयपुर के लिए – प्रताप सोया (RAUS 5), PK 472, JS 93-05, इंदिरा सोया 9, JS 335,

राजस्थान राज्य के जिलों के अनुसार IISR द्वारा अनुशंसित किस्में

अहिल्या 1 (एनआरसी 2), जेएस 335, जेएस 93-05, जेएस 80-21, एमएसीएस 58, परभणी सोना (एमएयूएस 47), प्रतिष्ठा (एमएयूएस 61-2), शक्ति (एमएयूएस 81)

महाराष्ट्र के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्में        

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