जानिए भारत में कैसे की जाती है कपास की खेती ?

कपास की प्रमुख प्रजातियाँ 

कपास की चार प्रजातियाँ हैं - गॉसिपियम अर्बोरियम जी.हर्बसियम जी.हिर्सुटम जी.बारबडेंस

कपास की खेती के लिए उत्तम मिट्टी

कपास अच्छी तरह से जल निकासी वाली गहरी जलोढ़ मिट्टी से लेकर विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाई जाती है। आम तौर पर उत्तरी भारत में जल्दी (अप्रैल-मई) कपास की बुवाई की जाती है।

भूमि की तैयारी

उत्तरी क्षेत्र में गेहूँ की कटाई के बाद भूमि की तैयारी के लिए उपलब्ध समय सीमित है। गेहूं की कटाई के बाद बुवाई पूर्व सिंचाई की जाती है।

कपास की बुवाई की विधि

कपास की बुवाई ट्रैक्टर या बैल चालित सीड ड्रिल या डिब्लिंग द्वारा की जाती है। वर्षा सिंचित क्षेत्रों में उचित  दूरी पर हाथ से बीज का रोपण किया जाता है (विशेष रूप से संकर किस्मों के लिए)।

फसल में सिंचाई प्रबंधन

जलवायु और फसल उगाने की अवधि के आधार पर, कपास को 700-1,200 mm पानी की आवश्यकता होती है। अगर मौसम बुवाई के बाद लगातार सूखा बना रहता है तो बुवाई के 45 दिनों बाद फसल में हल्की सिंचाई अवश्य करें।

खाद और उर्वरक प्रबंधन

कपास की फसल में उर्वरक की मात्रा अधिक होती है क्योकि कपास लम्बे समय तक खेत में खड़े रहने वाली फसल है, इसलिए इसको ज्यादा पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।

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