मधुमक्खी पालन: कृषि के साथ किसानों के लिए अच्छा व्यवसाय

मधुमक्खियों से फसलों की उपज तो बढ़ती ही है और अन्य कई उत्पाद भी प्राप्त होते है जैसे की - शहद, मोम, पराग, गोंद, शाही जेली और मधुमक्खी का विष इत्यादि

मधुमक्खियों की महत्वपूर्ण प्रजातियाँ

एपिस सिराना इण्डिका: खाना ढूंढ़ने का क्षेत्र 1.5-2 KM एपिस मेलीफेरा: खाना ढूंढ़ने का क्षेत्र 2-3 KM एपिस डोरसाटा : खाना ढूंढ़ने का क्षेत्र 4-5 KM एपिस फ़्लोरिया : खाना ढूंढ़ने का क्षेत्र 1 KM

मधुमक्खी पालन के लिए स्थान निर्धारण

मधुमक्खी पालन के लिए उन स्थानों का चयन करें जहां पर 2-3 किलोमीटर के क्षेत्र में पेड़ -पौधे बहुतायत में हों, जिनमें से मकरंद वर्ष भर मिल सकें।

मधुमक्खी पालन का समय

मधुमक्खी पालन की शुरुआत 15 अक्टूबर से नवंबर में होनी चाहिए। उपयुक्त फूलों की लगातार उपलब्धि होने पर भी मधुमक्खी पालन की शुरुआत की जा सकती हैं। प्रचुर मात्रा में मकरंद एवं पराग की आवक होनी आवश्यक होती हैं।

मधुमक्खियों के लिए अधिक मकरंद वाली फसलें और पौधे

फसलें - तिल, ढेंचा, अरहर, सरसों, अजवायन, धनिया, बरसीम, सूरजमुखी, कासनी, खीरा वृक्ष - बेर, सफेदा, लीची, मीठी नीम, खेजड़ी, खेर, सहजन, मोसम्बी, संतरा, किन्नौ जंगली झाड़ी - वनतुलसी, अडूसा, पुंनर्वा

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