भिंडी की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम

भारत में भिंडी की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि व्यवसाय है और यह विभिन्न क्षेत्रों में उगाई जाती है। भारत में भिंडी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।

इस रोग का प्रकोप बीज की बुवाई के तुरंत बाद देखने को मिल जाता है। इस रोग के लिए ठंडा, बादल वाला मौसम, उच्च आर्द्रता, गीली मिट्टी, सघन मिट्टी और भीड़भाड़ विशेष रूप से अनुकूल है |

Damping Off

पौधों के चारों ओर नमी कम करने के लिए अत्यधिक सिंचाई से बचना चाहिए। बीजोपचार करने से भी इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।

रोग को नियंत्रित कैसे करें?

प्रमुख लक्षण शिराओं का साफ होना और पत्तियों की शिरा हरितहीनता है। शिराओं का पीला जाल सुस्पष्ट होता है और शिराएँ तथा शिराएँ मोटी हो जाती हैं। पूरी पत्ती के फलक पर नसें पीली हो जाती हैं।

Yellow vein mosaic virus

5% नीम बीज गिरी अर्क या अदरक, लहसुन और मिर्च अर्क का छिड़काव करके वेक्टर को नियंत्रित करें। जहां भी संभव हो खरपतवार और अन्य जंगली मेज़बानों को नष्ट करें। प्रभावित पौधों को खेत से निकालकर जला दें।

रोग को नियंत्रित कैसे करें?

5% नीम बीज गिरी अर्क या अदरक, लहसुन और मिर्च अर्क का छिड़काव करके वेक्टर को नियंत्रित करें। जहां भी संभव हो खरपतवार और अन्य जंगली मेज़बानों को नष्ट करें। प्रभावित पौधों को खेत से निकालकर जला दें।

रोग को नियंत्रित कैसे करें?

इन रोगों से होता है बाजरे की फसल में सबसे अधिक नुकसान जानिए इनके बारे में