उन्नत कृषि तकनीक अपनाये सोयाबीन की उपज में वृद्धि पाए

सोयाबीन की खेती

किसानों के लिए सोयाबीन का बहुत अधिक महत्व है क्योकि ये एक ऐसी फसल है जिसमे कम उर्वरकों का इस्तेमाल करने पर भी अच्छी खाशी उपज प्राप्त होती है और सोयाबीन की फसल खेती की मिट्टी की उपजाऊ शक्ती को काफी हद तक बढ़ा देती है।

बुवाई के लिए खेत  की तैयारी

खेत में सबसे पहले हैरो से जुताई करे, इसके बाद खेत में  गोबर की खाद को अच्छी तरह से खेत की मिट्टी में मिलाए। उसके बाद कल्टीवेटर, हैरो या रोटावेटर से खेत की मिट्टी को भुरभुरी कर ले। खेत की अच्छी तैयारी अधिक अंकुरण के लिए आवश्यक होती है।

फसल को बोने का समय एवं अवधि

सोयाबीन की बुवाई मानसून आने के साथ ही करनी चाहिए। सोयाबीन की बुवाई के लिए जून के तीसरे सप्ताह से जुलाई का प्रथम सप्ताह सबसे अधिक उपयुक्त समय है। बुवाई सीड ड्रिल या हल के साथ नायला बांधकर पंक्तियों में करें।

बीज दर

उचित और बेहतरीन अंकुरण के लिए छोटे व मध्यम दाने वाली किस्मों का 25 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ एवं मोटे दाने वाली किस्मों का 40 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ दर से बोना चाहिए।

उन्नत किस्में

सोयाबीन की उन्नत किस्में है - अलंकार, अंकुर, शिलाजीत, पंजाब -1, पूसा - 16

फसल की कटाई

जब सभी पत्ते पिले हो और गिरने शुरू हो जाएं तब फसल की कटाई कर लेनी चाहिए। कटाई दराती की मदद से की जाती है। कटी हुई फसल को कुछ दिनों के लिए सुखाया जाना चाहिए। फसल के सूखने के बाद थ्रेसर की मदद से बीजों को अलग करें। 

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