आपकी थाली तक आने से पहले जानिए कैसे उगाई जाती है उरद की दाल?

उड़द भारत में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण दलहनी फसलों में से एक है। इसका सेवन 'दाल' (साबुत) के रूप में किया जाता है। यह विशेष रूप से पोषक आहार के रूप में प्रयोग किया जाता है। 

उड़द के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी 

मिट्टी और भूमि की तैयारी

उड़द रेतीली मिट्टी से लेकर भारी कपास वाली मिट्टी तक विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। सबसे आदर्श मिट्टी 6.5 से 7.8 के पीएच के साथ अच्छी जल निकासी वाली दोमट होती है।

बीज उपचार

मिट्टी और बीज अंकुरित रोग को नियंत्रित करने के लिए बीज को थीरम (2 ग्राम) + कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम) या कार्बेन्डाजिम @2.5 ग्राम/किलो बीज से उपचारित करें।

जल प्रबंधन

खरीफ मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है,गर्मी में 3-4 सिंचाई की आवश्यकता होती है। 10-15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिए। फूल आने से लेकर फली बनने की अवस्था तक खेत में पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है। 

कटाई, मड़ाई और भंडारण

उड़द की तुड़ाई तब करनी चाहिए जब 70-80% फलियाँ पक जाएँ और अधिकांश फलियाँ काली हो जाएँ। कटी हुई फसल को खलिहान में सुखाना चाहिए। उचित डिब्बे में सुरक्षित रूप से स्टोर करने के लिए 8-10% नमी की मात्रा जरुरी हैं।

अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए परामर्श

– ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई 3 वर्ष में एक बार करें। – बोने से पहले बीजोपचार करना चाहिए। – उर्वरक का प्रयोग मृदा परीक्षण मूल्य पर आधारित होना चाहिए। – खरीफ मौसम में बुवाई मेड़ व फरो विधि से करनी चाहिए।

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