गन्ने की फसल में टॉप बोरर और पायरिला से बचाव हेतु एडवाइजरी
By : Tractorbird Published on : 17-Jun-2025
उत्तर प्रदेश के गन्ना एवं चीनी विभाग ने बताया है कि प्रदेश के कई क्षेत्रों—पूर्वी, मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश—में गन्ने की फसल पर कीटों जैसे पायरिला, चोटी बेधक (टॉप बोरर), और कुछ स्थानों पर कालचिटका (ब्लैक बग) का असर देखा गया है।
इस पर नियंत्रण के लिए वैज्ञानिकों ने सर्वेक्षण कर सुझाव दिए हैं और संबंधित अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
टॉप बोरर (चोटी बेधक) का नियंत्रण ऐसे करें:
- भौतिक उपाय: लाइट ट्रैप, फेरोमोन ट्रैप, संक्रमित पौधों व पत्तियों को उखाड़कर या तोड़कर नष्ट करें। ट्राइकोकार्ड का प्रयोग करें।
- यांत्रिक उपाय: प्रभावित पौधों को जमीन की सतह से पतली खुरपी से काटकर नष्ट करें।
- रासायनिक उपाय (यदि संक्रमण अधिक हो):
- 15 मई के बाद और 15 जून से पहले क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 150 मि.ली. प्रति एकड़ को 400 लीटर पानी में घोलकर पौधों की जड़ों के पास डालें और उसके बाद सिंचाई करें।
पायरिला की रोकथाम:
- गर्म मौसम (39°C से ऊपर) में इसके वयस्क व नीम्फ़ स्वाभाविक रूप से निष्क्रिय हो जाते हैं, इसलिए रसायनों का प्रयोग न करें।
- खेत में नमी बनाए रखें ताकि पायरिला के प्राकृतिक परजीवी जैसे इपीरिकेनिया मेलैनोल्यूका पनप सकें।
- यदि परजीवी नहीं दिखते, तो आवश्यकता पड़ने पर क्लोरोपायरीफॉस 20% EC या क्वीनालफॉस 25% EC की 800 मि.ली. मात्रा को 625 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यही तरीका ब्लैक बग नियंत्रण में भी कारगर है।
प्रशासनिक दिशा-निर्देश:
- सभी स्तर के अधिकारी और फील्ड कर्मी किसानों को जागरूक करें।
- गन्ना समितियों व चीनी मिलों में आवश्यक कीटनाशकों की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
- पौधा और पेड़ी गन्ना दोनों को कीट व रोगों से बचाने हेतु नियमित निगरानी की जाए।