छत पर बागवानी कैसे करें ? जानिए सम्पूर्ण जानकारी

By : Tractorbird Published on : 28-Sep-2025
छत

जैसा कि हम सभी जानते हैं, आजकल हमारे भोजन में शामिल अधिकांश सब्जियाँ हानिकारक रसायनों से युक्त होती हैं। इन रसायन युक्त सब्जियों के लगातार सेवन से शरीर को पोषण मिलने के बजाय हम गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर को न्योता दे रहे हैं। आमतौर पर सब्जियाँ शहरों के आसपास के गाँवों में उगाई जाती हैं। वहीं दूसरी ओर, अब शहरी इलाकों में घरों में बगीचे लगाने की परंपरा भी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है।

बड़े शहरों में जनसंख्या वृद्धि के कारण घरों में जगह की कमी, महंगी सब्जियाँ, रसायन युक्त उत्पाद और असंतुलित आहार जैसी समस्याएँ आम हो गई हैं। इन सभी परेशानियों का समाधान है – रूफटॉप गार्डनिंग। यह एक ऐसी विधि है जिसमें अतिरिक्त जमीन की आवश्यकता नहीं होती और छत पर ही आसानी से सब्जियाँ उगाई जा सकती हैं। इस तकनीक को टेरिस गार्डनिंग के नाम से भी जाना जाता है।

छत पर सब्जियाँ उगाने के लाभ:

  • यह स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत लाभकारी है और व्यक्ति को सप्ताह में कुछ घंटों के लिए सक्रिय बनाकर रखती है।
  • जिन घरों में जमीन नहीं है, वहाँ भी इस तकनीक से सब्जियाँ उगाई जा सकती हैं।
  • परिवार को ताज़ी, रसायनमुक्त सब्जियाँ आसानी से मिलती हैं, जिससे समय और पैसे की बचत होती है।
  • इस पद्धति में महंगे गमलों की आवश्यकता नहीं होती – डिब्बे, बाल्टियाँ आदि का भी प्रयोग कर सकते हैं।
  • पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से रखा जा सकता है।
  • यह घर की सुंदरता बढ़ाने के साथ-साथ मानसिक सुकून भी प्रदान करता है।

रूफटॉप गार्डनिंग कैसे करें?

1. गमलों का चयन:

आजकल बाजार में ग्रो बैग (पॉलीथिन बैग) आसानी से उपलब्ध हैं। इनका चयन सब्जियों की प्रकृति के अनुसार करें। गमले के नीचे पानी निकासी के लिए छेद अवश्य हो, ताकि पानी जमा न हो। प्लास्टिक, सीमेंट, मिट्टी, लकड़ी या टीन के बने 12 इंच या उससे बड़े गमले उपयुक्त होते हैं।

2. गमले की तैयारी:

यदि गमलों में छेद नहीं हैं, तो पहले छेद बनाएं ताकि जड़ों में सड़न न हो। हल्के रंग के गमले गर्मी में पौधों को सुरक्षा देते हैं। लोहे के डिब्बों की जगह मिट्टी के गमलों का प्रयोग करें। बड़े पौधों जैसे टमाटर, खीरा, बैंगन के लिए 24-30 इंच के गमले उपयुक्त हैं।

3. गमले भरना:

गमलों में उपजाऊ मिट्टी के साथ सड़ी-गली गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं। कोकोपीट (नारियल का बुरादा) का भी उपयोग किया जा सकता है, जिसमें जलधारण क्षमता अधिक होती है और यह धीरे-धीरे गलता है। इसमें पोटैशियम भी पर्याप्त मात्रा में होता है।

4. उपयुक्त स्थान का चयन:

गमलों को ऐसी जगह रखें, जहाँ दिन में कम से कम 6-8 घंटे धूप आती हो। छायायुक्त स्थानों में पौधों की वृद्धि बाधित होती है।

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5. गमलों की व्यवस्था:

गमलों को इस प्रकार रखें कि एक पौधे की छाया दूसरे पर न पड़े। दक्षिण दिशा में धनिया, मेथी, पालक जैसे छोटे पौधे लगाएं और उत्तर दिशा में लंबी लताएँ या ऊँचे पौधे लगाएँ। गमलों के बीच थोड़ी दूरी रखें ताकि धूप, पानी और खरपतवार नियंत्रण में सुविधा हो।

6. सब्जियों का चयन:

छत पर लगभग सभी प्रकार की सब्जियाँ उगाई जा सकती हैं –

  • हरी सब्जियाँ: पालक, धनिया, मेथी
  • फलदार सब्जियाँ: टमाटर, मिर्च, बैंगन
  • बेलवाली सब्जियाँ: लौकी, करेला, तोरई, कद्दू, ककड़ी
  • कंद व बल्ब वाली सब्जियाँ: प्याज, लहसुन, आलू
  • अन्य: भिंडी, फूलगोभी, पत्तागोभी, बिन्स आदि

7. खाद और पोषक तत्व प्रबंधन:

गमलों की मिट्टी में वर्मीकम्पोस्ट या सड़ी-गली गोबर की खाद डालें। बाजार में उपलब्ध पानी में घुलनशील जैविक उर्वरकों का भी प्रयोग किया जा सकता है।

8. सिंचाई प्रबंधन:

गमलों में सिंचाई करते समय ध्यान रखें कि पानी अधिक न हो और गमलों से बाहर न बहे। अधिक या कम पानी दोनों ही पौधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। साथ ही पोषक तत्व बहने की आशंका भी बनी रहती है।

9. देखभाल:

समय-समय पर खरपतवार को निकालते रहें। कीट और बीमारियों के नियंत्रण के लिए नीम के घोल (1 लीटर पानी में 3 मिली नीम तेल) जैसे जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें।

छत पर बागवानी करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:

  • कीट नियंत्रण के लिए हमेशा जैविक कीटनाशकों का ही प्रयोग करें।
  • बीज और पौधें अच्छी गुणवत्ता और स्वस्थ हों।
  • बेल वाली सब्जियों को रस्सी या लकड़ी का सहारा दें।
  • ग्वारपाठा, तुलसी जैसे औषधीय पौधों को जरूर लगाएं।
  • नया घर बनाते समय छत को मजबूत बनाएं और पुराने मकानों में हल्की सामग्री वाले गमलों का ही प्रयोग करें।
  • छत की सुरक्षा के लिए पॉलीथिन की चादर बिछाकर उस पर गमले रखें।
  • ऐसे पौधे लगाएं जिनकी ऊँचाई अधिक न हो।

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