महिला किसानों को ट्रैक्टर पर 75% सब्सिडी, खेती अब हुई और आसान

By : Tractorbird Published on : 03-Oct-2025
महिला

खेती को आधुनिक और लाभकारी बनाने के लिए सरकार लगातार योजनाएं लागू कर रही है। अब इन योजनाओं का फायदा महिला किसानों तक भी पहुंच रहा है। 

हाल ही में झारखंड के पलामू जिले में केंद्र सरकार की सब-मिशन ऑन एग्रीकल्चर मेकनाइजेशन (SMAM) योजना के तहत दो महिला आजीविका समूहों को 75% सब्सिडी पर मिनी ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरण उपलब्ध कराए गए।

महिला मंडलों को मिला बड़ा लाभ

इस योजना का लाभ उठाने वाले समूहों में लक्ष्मी आजीविका शक्ति मंडल (पिपरा) और ऊं आजीविका शक्ति मंडल (हुसैनाबाद) शामिल हैं। इन महिला मंडलों को मिनी ट्रैक्टर, रोटावेटर, हल और केजव्हील जैसे आधुनिक कृषि यंत्र केवल 1.29 लाख रुपए में मिल गए, जबकि इन उपकरणों की वास्तविक कीमत लगभग 5 लाख रुपए थी।

सबसे बड़ा लाभ ट्रैक्टर की खरीद में देखने को मिला। जिस ट्रैक्टर की असली कीमत करीब 4.59 लाख रुपए थी, वह महिला किसानों को मात्र 91,897 रुपए में उपलब्ध हो गया। यानी एक ही ट्रैक्टर पर लगभग 3.70 लाख रुपए की सीधी बचत हुई। अन्य कृषि उपकरण जैसे रोटावेटर, हल और केजव्हील भी इसी पैकेज में शामिल कराए गए।

महिला किसानों के अनुभव

  • लक्ष्मी मंडल की सदस्य कलावती देवी बताती हैं कि वे लंबे समय से बैलों से खेती कर रही थीं। बैल और हल से काम करना न केवल थकाने वाला था, बल्कि इसमें समय और लागत दोनों अधिक लगते थे। 
  • जब ट्रैक्टर किराए पर लेना पड़ता था तो पैदावार से ज्यादा खर्च हो जाता था। लेकिन अब जब उन्हें अपना ट्रैक्टर मिल गया है, तो खेती न केवल आसान हो गई है बल्कि कम मेहनत में ज्यादा उत्पादन भी संभव हो गया है।
  • इसी तरह ऊं मंडल की सचिव शांति देवी बताती हैं कि योजना का लाभ मिलने में उन्हें लगभग 6 महीने का इंतजार करना पड़ा। पहले उन्हें या तो बैल और हल पर निर्भर रहना पड़ता था या फिर महंगे किराए के ट्रैक्टर का सहारा लेना पड़ता था। 
  • अब अपने ट्रैक्टर और उपकरणों के मिलने से उनकी लागत कम होगी और उत्पादन का लाभ पूरी तरह उन्हीं को मिलेगा।

मिनी ट्रैक्टर और उपकरणों पर खर्च

यदि देखा जाए तो मिनी ट्रैक्टर की कीमत लगभग 4.59 लाख रुपए थी, लेकिन सब्सिडी के बाद महिला मंडलों ने केवल 91,897 रुपए में इसे खरीदा। वहीं रोटावेटर, हल और केजव्हील जैसे अन्य उपकरणों की कुल कीमत लगभग 50 हजार रुपए थी, जिन्हें भी योजना के तहत शामिल कर दिया गया। 

इस तरह महिला समूहों को कुल मिलाकर 5 लाख रुपए से अधिक के कृषि यंत्र केवल 1.29 लाख रुपए में उपलब्ध हुए। यानी महिलाओं को लगभग 3.70 लाख रुपए से ज्यादा की बचत हुई।

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क्या है स्माम (SMAM) योजना?

  • स्माम (SMAM) यानी सब-मिशन ऑन एग्रीकल्चर मेकनाइजेशन (Sub Mission on Agricultural Mechanization), केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना है। 
  • इसका उद्देश्य खेती में आधुनिक उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देना और किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है। इस योजना के तहत ट्रैक्टर, रोटावेटर, हल, थ्रेसर, बीज बोने की मशीन, पावर टिलर, ड्रिल मशीन आदि पर सीधे सब्सिडी दी जाती है।
  • महिला किसान, लघु और सीमांत किसान, व कृषक समूहों को इस योजना के अंतर्गत 50% से 75% तक सब्सिडी दी जाती है। विशेषकर महिला किसानों को प्राथमिकता देकर उन्हें खेती में आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया जाता है।

कैसे करें आवेदन?

इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसान राज्य के कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा नजदीकी कृषि केंद्र, ब्लॉक कृषि कार्यालय या जिला कृषि यंत्रीकरण अधिकारी से भी संपर्क किया जा सकता है। 

झारखंड सहित अन्य राज्यों में भी महिला किसान इस योजना के लिए आवेदन कर सकती हैं। आवेदन के बाद चयनित लाभार्थियों को सीधे सब्सिडी का फायदा मिलता है।

योजना के फायदे

  • कम लागत में आधुनिक कृषि उपकरण उपलब्ध होते हैं।
  • खेती में समय और मेहनत की बचत होती है।
  • महिला किसानों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में मदद मिलती है।
  • किराए के ट्रैक्टर पर निर्भरता कम होती है।
  • उत्पादन बढ़ता है और आय में वृद्धि होती है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय के नए अवसर पैदा होते हैं।

ग्रामीण महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम

पलामू जिले की महिला किसानों का अनुभव यह साबित करता है कि यदि सरकारी योजनाएं सही ढंग से लागू हों तो ग्रामीण भारत में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। महिला किसानों को ट्रैक्टर और उपकरणों पर 75% तक की सब्सिडी मिलने से न केवल खेती आसान होगी, बल्कि वे आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर बनेंगी।

स्माम जैसी योजनाएं महिला किसानों के लिए एक आधुनिक खेती का नया युग लेकर आ रही हैं, जिससे उनकी मेहनत कम होगी और उत्पादन व आय दोनों में वृद्धि होगी।

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