दुग्ध उत्पादक संबल योजना: सरकार ने 5 लाख पशुपालकों को दिए 364 करोड़ रुपये

By : Tractorbird Published on : 23-Oct-2025
दुग्ध

राजस्थान सरकार द्वारा पशुपालकों के हित में एक बड़ा कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के अंतर्गत राज्य के लगभग 5 लाख दुग्ध उत्पादक पशुपालकों को सरकार ने 364 करोड़ 47 लाख रुपए की अनुदान राशि डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से जारी की है। 

इस राशि का वितरण 13 अक्टूबर 2025 को जयपुर एग्ज़िबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर (JECC) में आयोजित एक भव्य समारोह में किया गया, जिसमें केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने संयुक्त रूप से भुगतान प्रक्रिया की शुरुआत की।

पशुपालन को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम

राज्य सरकार का उद्देश्य है कि पशुपालकों की आय में वृद्धि हो और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिले। इस योजना के तहत दूध बेचने वाले किसानों को प्रति लीटर 5 रुपए की अनुदान राशि दी जाती है। यह राशि सीधे दुग्ध उत्पादकों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है ताकि पारदर्शिता बनी रहे और किसानों को समय पर लाभ मिल सके।

राज्य के पशुपालन, गोपालन, डेयरी एवं देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने जानकारी दी कि यह अनुदान जनवरी 2025 से जुलाई 2025 की अवधि के लिए दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में इस योजना के लिए 650 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है ताकि अधिक से अधिक पशुपालकों को योजना का लाभ मिल सके।

24 जिलों के पशुपालकों को मिला सीधा लाभ

मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के अंतर्गत राज्य के 24 जिलों के पशुपालकों को यह आर्थिक सहायता दी गई है। प्रत्येक जिले के दुग्ध उत्पादकों को उनके योगदान और उत्पादन के अनुसार राशि वितरित की गई है।

  • जयपुर जिला को सबसे अधिक 139 करोड़ रुपए की राशि मिली है।
  • भीलवाड़ा जिले को 46.19 करोड़ रुपए जबकि
  • अजमेर जिले के पशुपालकों को 40 करोड़ रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ।
  • श्रीगंगानगर के किसानों को 18.48 करोड़ रुपए तथा
  • अलवर जिले को 18.36 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।

इसके अलावा बीकानेर, चित्तौड़गढ़, जोधपुर, नागौर, पाली, उदयपुर, सीकर, कोटा, राजसमंद, झालावाड़, बांसवाड़ा, भरतपुर, टोंक, चूरू, जैसलमेर, जालोर, बारां, सवाई माधोपुर और बाड़मेर जिलों के पशुपालकों को भी करोड़ों की राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की गई है।

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किसानों के खाते में सीधे ट्रांसफर हुई राशि

डीबीटी (Direct Benefit Transfer) प्रणाली के माध्यम से भुगतान से यह सुनिश्चित हुआ कि राशि सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुँचे और किसी भी प्रकार की बिचौलिया समस्या न रहे। इस पारदर्शी प्रक्रिया से योजना की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता दोनों में वृद्धि हुई है।

योजना से पशुपालकों को क्या लाभ मिल रहा है ?

  • दुग्ध उत्पादकों को प्रति लीटर दूध पर ₹5 की अतिरिक्त सहायता।
  • पशुपालन व्यवसाय को स्थिर और लाभकारी बनाना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा।
  • सरस डेयरी से जुड़े दुग्ध समितियों के माध्यम से किसानों को नियमित भुगतान।
  • गाय पालन और डेयरी उद्योग को प्रोत्साहन, जिससे स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़े हैं।

सरकार की दीर्घकालिक दृष्टि

राजस्थान सरकार का उद्देश्य केवल आर्थिक सहायता देना नहीं, बल्कि दूध उत्पादन, गुणवत्ता सुधार और विपणन व्यवस्था को मज़बूत बनाना भी है। सरकार चाहती है कि राज्य दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बने और देश के प्रमुख डेयरी राज्यों में शामिल हो।

इसके लिए सरकार पशु आहार की गुणवत्ता सुधार, आधुनिक डेयरी उपकरणों की उपलब्धता, और दूध संग्रह केंद्रों के सुदृढ़ीकरण पर भी काम कर रही है। 

भविष्य की योजनाएं

राज्य सरकार आगे चलकर योजना के दायरे को और बढ़ाने की दिशा में विचार कर रही है, ताकि छोटे और सीमांत पशुपालक भी इस योजना से जुड़ सकें। साथ ही, दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने पर भी काम चल रहा है, जिससे भुगतान और पंजीकरण प्रक्रियाएं और तेज़ हों।

मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना राजस्थान सरकार की एक प्रभावी पहल साबित हो रही है, जिसने लाखों पशुपालकों के जीवन में आर्थिक स्थिरता और आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त किया है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में यह योजना दुग्ध उत्पादन को एक नई ऊँचाई तक ले जा रही है और पशुपालकों को सशक्त बना रही है।

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