प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने विपणन वर्ष 2026-27 के लिए सभी प्रमुख रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और उनकी आय में स्थिरता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सरकार ने रबी फसलों के एमएसपी में उल्लेखनीय वृद्धि करते हुए यह सुनिश्चित किया है कि किसानों को उनकी मेहनत का उचित प्रतिफल मिले। इस बार सबसे अधिक वृद्धि कुसुम (Safflower) के लिए की गई है — ₹600 प्रति क्विंटल, जिससे इसका नया मूल्य ₹6,540 प्रति क्विंटल हो गया है।
इसके बाद मसूर (Lentil) के एमएसपी में ₹300 प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है और अब यह ₹7,000 प्रति क्विंटल हो गया है।
वहीं रेपसीड और सरसों (Rapeseed & Mustard) में ₹250, चना (Gram) में ₹225, जौ (Barley) में ₹170, और गेहूँ (Wheat) में ₹160 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है।
इस तरह अब गेहूँ का नया एमएसपी ₹2,585, जौ का ₹2,150, चना का ₹5,875, सरसों का ₹6,200, मसूर का ₹7,000, और कुसुम का ₹6,540 प्रति क्विंटल तय हुआ है।
नई दरों को तय करते समय किसानों की वास्तविक उत्पादन लागत को ध्यान में रखा गया है — जिसमें मजदूरी, बीज, उर्वरक, सिंचाई, मशीनरी, ईंधन, भूमि किराया और पारिवारिक श्रम का मूल्य शामिल है।
यह कदम किसानों को उनकी लागत से अधिक लाभ दिलाने में मदद करेगा, जिससे वे खेती को एक स्थायी और लाभकारी पेशा बना सकें।
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केंद्रीय बजट 2018-19 में घोषित नीति के अनुसार, एमएसपी को औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना निर्धारित किया जाता है।
इस बार की वृद्धि के बाद, किसानों को लागत पर मिलने वाला अनुमानित लाभ इस प्रकार है:
यह स्पष्ट करता है कि सरकार का उद्देश्य केवल मूल्य बढ़ाना नहीं बल्कि किसानों की आय को स्थायी रूप से बढ़ाना है।
रबी फसलों के लिए बढ़ा हुआ एमएसपी किसानों को फसल विविधीकरण की दिशा में भी प्रेरित करेगा। इससे किसान केवल गेहूँ जैसी पारंपरिक फसलों तक सीमित न रहकर मसूर, चना और तिलहनों की ओर भी रुख कर सकेंगे।
यह न केवल उनकी आय को विविध स्रोतों से बढ़ाएगा बल्कि मृदा की उर्वरता और जल संरक्षण में भी सहायक सिद्ध होगा।