राज्य सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और पशुपालन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इन्हीं प्रयासों में से एक है मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना, जो पशुपालक किसानों और ग्रामीण युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
इस योजना के माध्यम से सरकार लाभार्थियों को उच्च दुग्ध उत्पादन वाली मुर्रा नस्ल की भैंसें 50% तक की सब्सिडी पर उपलब्ध करा रही है, जिससे वे डेयरी व्यवसाय शुरू कर आत्मनिर्भर बन सकें।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में दूध उत्पादन बढ़ाना, पशुपालन क्षेत्र को सुदृढ़ करना और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा करना है। योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को मुर्रा नस्ल की दो भैंसें अनुदान पर उपलब्ध कराई जाती हैं।
मुर्रा नस्ल अपनी अधिक दूध देने की क्षमता के लिए जानी जाती है, इसलिए इसे डेयरी उद्योग की सबसे महत्वपूर्ण नस्लों में से एक माना जाता है।
सरकार का मानना है कि यदि ग्रामीण परिवार उच्च दुग्ध उत्पादन वाली नस्लों का पालन करते हैं, तो वह नियमित आय अर्जित करते हुए आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं।
मध्यप्रदेश के नीमच जिले में इस योजना का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। हाल ही में पशुपालन विभाग ने जिले के 15 लाभार्थियों को दो-दो मुर्रा भैंसें प्रदान की हैं, जिन्हें हरियाणा के करनाल से खरीदा गया।
पशुपालन उप संचालक डॉ. राजेश पाटीदार के अनुसार वर्ष 2025 में जिले को 15 प्रकरणों का लक्ष्य दिया गया था, जिसे विभाग ने सफलता पूर्वक पूरा कर लिया है।
सरकार का लक्ष्य आने वाले पाँच वर्षों में प्रदेश के दुग्ध उत्पादन को दोगुना करना है और डेयरी प्लस योजना इस दिशा में अहम भूमिका निभा रही है।
इसके साथ-साथ क्षीरधारा कार्यक्रम, राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम, और राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम जैसे मिशन भी निरंतर चलाए जा रहे हैं, जिससे मवेशियों की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सके।
योजना के अनुसार दो मुर्रा भैंसों की कुल लागत लगभग ₹2,95,000 आती है। इस पर लाभार्थियों को निम्नानुसार सहायता मिलती है—
शेष राशि सरकार द्वारा वहन की जाती है। इस तरह योजना गरीब और मध्यम वर्गीय ग्रामीण परिवारों के लिए काफी लाभकारी साबित हो रही है।
इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका लाभ केवल किसानों तक ही सीमित नहीं है।
कोई भी आम नागरिक, ग्रामीण युवा, बेरोजगार व्यक्ति या महिला इस योजना के लिए आवेदन कर सकता है।
योजना का उद्देश्य केवल पशुपालकों की आय बढ़ाना ही नहीं, बल्कि युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना भी है। डेयरी एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें कम निवेश में स्थाई और नियमित आय प्राप्त की जा सकती है।
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इस योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक व्यक्ति को अपने निकटतम पशु चिकित्सा केंद्र या जिला पशुपालन विभाग से संपर्क करना होता है। वहाँ आवेदन फॉर्म भरकर आवश्यक दस्तावेजों के साथ जमा करना होता है।
अभी तक नीमच जिले में 30 से अधिक लोग इस योजना का लाभ ले चुके हैं और आने वाले समय में इसके और अधिक लोकप्रिय होने की उम्मीद है।
मुर्रा नस्ल देश की सबसे उन्नत दुग्ध देने वाली नस्लों में से एक मानी जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार दो मुर्रा भैंसें मिलकर प्रतिदिन 18 से 20 लीटर तक दूध उत्पादन कर सकती हैं।
दूध को स्थानीय बाजार, डेयरी कलेक्शन सेंटर या निजी कंपनियों को बेचकर पशुपालक आसानी से प्रतिमाह हजारों से लाखों रुपए तक की आय अर्जित कर सकते हैं।
यही कारण है कि आज ग्रामीण युवा और महिलाएं डेयरी पालन को स्थाई आय का सुरक्षित और लाभकारी स्रोत मानते हुए इससे जुड़ रही हैं।
सरकार का मानना है कि कृषि के साथ-साथ यदि पशुपालन को जोड़ा जाए, तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थाई रोजगार और स्थिर आय दोनों प्राप्त किए जा सकते हैं।
मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना से—
इससे न केवल पशुपालकों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी तेजी आ रही है।
नीमच जिले में मिले सकारात्मक परिणामों के बाद सरकार ग्रामीणों से अपील कर रही है कि वे पशुपालन विभाग से संपर्क करके योजना की विस्तृत जानकारी प्राप्त करें और अपने लिए एक स्थाई आय का जरिया बनाएं।
यदि आप भी मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र से हैं और डेयरी व्यवसाय शुरू करने की सोच रहे हैं, तो मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना आपके लिए एक उत्तम अवसर साबित हो सकती है। इस योजना के माध्यम से आप उच्च नस्ल की भैंस खरीदकर दूध उत्पादन बढ़ा सकते हैं और बेहतर कमाई कर सकते हैं।
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