सुडान घास की खेती का सही तरीका: शुरू से अंत तक गाइड
By : Tractorbird News Published on : 16-Jan-2025
खेती किसानी करने वाले किसान अपनी आमदनी को अधिक करने के लिए कृषि के साथ साथ पशुपालन भी करते हैं।
पशुपालन से किसानों को पौष्टिक तत्वों से भरपूर दूध, दही और घी प्राप्त होता है। इससे किसानों को अच्छा खानपान और अतिरिक्त आमदनी भी काफी होती है।
पशुपालन कृषि के साथ साथ किए जाने वाला एक सफल और लाभदायक व्यवसाय भी बनकर उभरा है।
अब ऐसे में कृषकों के लिए सबसे जरूरी चीज अपने पशुओं के लिए चारे की बेहतर व्यवस्था करना है।
ट्र्रैक्टरबर्ड के इस लेख में आज हम आपको पशुओं के लिए एक अच्छे चारे के तौर पर उगाई जाने वाली सुडान घास की जानकारी देंगे।
सुडान घास के लिए मिट्टी
- सुडान की खेती को किसी भी तरह की मृदा में बड़ी आसानी और बिना समस्या के किया जा सकता है।
- सुडान की खेती दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी और हल्की काली मिट्टी में करना काफी अच्छा होता है और शानदार उपज प्राप्त होती है।
सुडान घास के लिए जलवायु
- सुडान की खेती हल्की छारीय जमीन में भी काफी सुगमता और बेहतर ढ़ंग से की जा सकती है
- साथ ही, मिट्टी का पी.एच. स्तर 6.5 से 7.0 होना भी जरूरी है।
- सुडान की खेती के लिए 33-34 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान काफी ज्यादा अनुकूल होता है।
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सुडान घास की खेती के लिए भूमि की तैयारी
- सुडान की खेती के लिए जमीन तैयार करने के लिए सबसे पहले एक बार गहरी जुताई जरूर करें।
- इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार और हानिकारक कीट समाप्त हो जायेंगे।
- अब इसके बाद 3 से 4 बार हल्की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा करलें।
सुडान घास की बुवाई
- सुडान की बुवाई फरवरी से जून के महीने तक की जा सकती है। सुडान की खेती के लिए वसंत ऋतु एवं गर्मी का मौसम दोनों ही काफी अनुकूल माने जाते हैं।
- सुडान की खेती में बीज की मात्रा की बात की जाए तो प्रति एकड़ भूमि पर इसकी खेती करने के लिए 4 से 6 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है।
सुडान घास की सिंचाई
- सर्दियों के बाद और गर्मियों से पहले आने वाली वसंत ऋतु या गर्मी के मौसम में बुवाई की गई फसलों में 10 से 15 दिन के समयांतराल पर सिंचाई कार्य करें।
- वर्षा ऋतु में बारिश होने पर सिंचाई की कोई अधिक जरूरत नहीं पड़ती है।
- सिंचाई के दौरान खेत में जलजमाव की स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए। जल जमाव होने पर फसल को काफी हद तक क्षति पहुँच सकती है।
सुडान घास की कटाई
- आमतौर पर बुवाई के 50 से 60 दिनों बाद फसल पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
- सुडान की पहली कटाई के बाद हर 20 से 25 दिन के समयांतराल पर इसकी कटाई की जा सकती है।
- सुडान घास की कटाई के बाद सिंचाई जरूर करें इससे पौधों की वृद्धि में सहजता होती है।
सुडान घास का उत्पादन कर पशुपालक कृषक अपने मवेशियों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले चारे की पर्याप्त व्यवस्था कर सकते हैं। सुडान घास कम समय में तैयार होने वाली उत्तम किस्म की घास है।
सुडान घास को मवेशिओं को खाने के तौर पर देने से उनकी दुग्ध उत्पादन की क्षमता काफी अधिक बढ़ जाती है। इसलिए चारे के तौर पर सुडान घास का उत्पादन करना काफी लाभकारी साबित होता है।