भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां खेती वर्षा पर बहुत अधिक निर्भर करती है। भारतीय कृषि में फसलें मुख्यतः दो ऋतुओं में उगाई जाती हैं – खरीफ और रबी।
खरीफ की फसलें मानसूनी मौसम में बोई जाती हैं और यह भारतीय कृषि प्रणाली का महत्वपूर्ण भाग हैं। इन फसलों को "मानसूनी फसलें" भी कहा जाता है क्योंकि इनकी बुवाई का समय दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत (जून से जुलाई) पर निर्भर करता है।
खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख अनाज फसलें निम्नलिखित हैं:
ये फसलें मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी सहायक होती हैं:
तेल उत्पादन हेतु खरीफ में प्रमुख तिलहन फसलें:
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कपास (Gossypium sp.) – वस्त्र उद्योग की रीढ़।
जूट (Corchorus olitorius & C. capsularis) – पूर्वी भारत, विशेषकर बंगाल में महत्वपूर्ण।
गन्ना (Saccharum officinarum) – भारत की महत्वपूर्ण नकदी फसल, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में।
खरीफ मौसम में अनेक प्रकार की सब्जियाँ उगाई जाती हैं, जैसे:
शकरकंद (Ipomoea batatas) – ऊर्जा का अच्छा स्रोत।
टपिओका/कसावा (Manihot esculenta Crantz.) – दक्षिण भारत में लोकप्रिय।
अमरनाथ/चौलाई (Amaranthus sp.) – आयरन और विटामिन से भरपूर, पौष्टिक सब्जी।
1. मानसून पर निर्भरता:
खरीफ की फसलें प्राकृतिक वर्षा पर अधिक निर्भर होती हैं, इसलिए वर्षा का असंतुलन इनके उत्पादन पर सीधा असर डालता है।
2. भूमि की तैयारी:
खरीफ फसलों के लिए खेत की गहरी जुताई आवश्यक होती है ताकि वर्षा जल मृदा में समाहित हो सके और खरपतवारों का नाश हो।
3. उर्वरक एवं पोषण:
खरीफ फसलों को अच्छी बढ़वार के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की आवश्यकता होती है। जैविक खादों जैसे गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग भी लाभदायक होता है।
4. कीट एवं रोग नियंत्रण:
खरीफ मौसम में आद्र्रता अधिक होने से कीट और रोगों की संभावना भी बढ़ जाती है। समय-समय पर जैविक या रासायनिक नियंत्रण आवश्यक होता है।
5. फसल चक्र एवं अंतरवर्तीय खेती:
खरीफ फसलों के साथ मूंग, उड़द, ग्वार जैसी फसलें अंतरवर्तीय खेती में ली जाती हैं ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और किसान को अतिरिक्त आय प्राप्त हो।
खरीफ फसलें भारतीय कृषि व्यवस्था की नींव हैं। ये फसलें ना केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं, बल्कि किसानों को आजीविका और रोजगार भी प्रदान करती हैं।
मानसून पर इनकी निर्भरता को देखते हुए जल प्रबंधन, समय पर बुवाई, और प्रौद्योगिकी आधारित खेती को अपनाना आवश्यक है।
खरीफ की सफल खेती हेतु मृदा परीक्षण, उन्नत बीज चयन, और सुनियोजित पोषण प्रबंधन जैसे उपाय अपनाकर किसान उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं।