खरीफ की फसल: विस्तृत जानकारी

By : Tractorbird Published on : 04-Aug-2025
खरीफ

भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां खेती वर्षा पर बहुत अधिक निर्भर करती है। भारतीय कृषि में फसलें मुख्यतः दो ऋतुओं में उगाई जाती हैं – खरीफ और रबी। 

खरीफ की फसलें मानसूनी मौसम में बोई जाती हैं और यह भारतीय कृषि प्रणाली का महत्वपूर्ण भाग हैं। इन फसलों को "मानसूनी फसलें" भी कहा जाता है क्योंकि इनकी बुवाई का समय दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत (जून से जुलाई) पर निर्भर करता है।

बुवाई और कटाई का समय:

  • खरीफ फसलें मानसून की शुरुआत के साथ जून-जुलाई में बोई जाती हैं और सितंबर से अक्टूबर के बीच काटी जाती हैं। वर्षा आधारित खेती वाले क्षेत्रों में यदि समय पर बारिश नहीं होती है, तो बुवाई का समय अगस्त के अंत तक बढ़ाया जा सकता है। 
  • हालांकि, जिन इलाकों में सिंचाई की सुविधाएं सीमित हैं, वहां मानसून की पहली बारिश के बाद ही बुवाई कर देनी चाहिए, जिससे फूल आने की अवस्था में नमी की कमी से फसल प्रभावित न हो।
  • उत्तरी भारत के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में खरीफ फसलों की बुवाई का आदर्श समय जून के पहले पखवाड़े में होता है। वहीं वर्षा आधारित जल्दी फसलें जैसे मक्का और मूंगफली, अप्रैल या मई की शुरुआत में भी बोई जाती हैं, जिससे अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके।

खरीफ फसलों की श्रेणियाँ एवं उदाहरण:

1. अनाज (Cereals):

खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख अनाज फसलें निम्नलिखित हैं:

  • चावल (Oryza sativa L.) – भारत की मुख्य खाद्य फसल; दलदली और अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में उगाई जाती है।
  • ज्वार (Sorghum bicolor) – शुष्क एवं अर्धशुष्क क्षेत्रों के लिए उपयुक्त।
  • बाजरा (Pennisetum glaucum) – सूखा प्रतिरोधी अनाज, राजस्थान, गुजरात में विशेषतः।
  • रागी (Eleusine coracana) – पोषक तत्वों से भरपूर, दक्षिण भारत में लोकप्रिय।

2. दलहन (Pulses):

ये फसलें मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी सहायक होती हैं:

  • लोबिया (Vigna unguiculata L.)
  • उड़द (Vigna mungo)
  • मूंग (Vigna radiata)
  • अरहर (Cajanus cajan)
  • कुल्थी (Macrotyloma uniflorum)
  • सोयाबीन (Glycine max L.) – तेल और प्रोटीन का समृद्ध स्रोत।
  • सेम (Lablab purpureus var. typicus)

3. तिलहन (Oilseeds):

तेल उत्पादन हेतु खरीफ में प्रमुख तिलहन फसलें:

  • तिल (Sesamum indicum) – कम वर्षा वाले क्षेत्रों में उपयुक्त।
  • सूरजमुखी (Helianthus annuus) – हल्की रेतीली मिट्टी में उगाई जाती है।
  • अरंडी (Ricinus communis) – औषधीय उपयोगों में सहायक।
  •  नाइजर/रामतिल (Guizotia abyssinica)
  •  करड़ी/साफ्लावर (Carthamus tinctorius) – सूखा प्रतिरोधी।

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4. रेशेदार फसलें (Fiber Crops):

कपास (Gossypium sp.) – वस्त्र उद्योग की रीढ़।

जूट (Corchorus olitorius & C. capsularis) – पूर्वी भारत, विशेषकर बंगाल में महत्वपूर्ण।

5. शर्करा फसलें (Sugar Crops):

गन्ना (Saccharum officinarum) – भारत की महत्वपूर्ण नकदी फसल, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में।

6. सब्जियाँ (Vegetables):

खरीफ मौसम में अनेक प्रकार की सब्जियाँ उगाई जाती हैं, जैसे:

  • भिंडी (Abelmoschus esculentus)
  • कद्दू (Cucurbita moschata)
  • करेला (Momordica charantia)
  • पेठा (Benincasa hispida)
  • खीरा (Cucumis sativus)
  • खरबूजा (Cucumis melo L.)
  • टिंडा (Citrullus vulgaris var. fistulosus)
  • ग्वार फली (Cyamopsis tetragonoloba)
  • फ्रेंच बीन्स (Phaseolus vulgaris)

7. कंद फसलें (Tuber Crops):

शकरकंद (Ipomoea batatas) – ऊर्जा का अच्छा स्रोत।

 टपिओका/कसावा (Manihot esculenta Crantz.) – दक्षिण भारत में लोकप्रिय।

8. पत्तेदार सब्जियाँ (Leafy Vegetables):

अमरनाथ/चौलाई (Amaranthus sp.) – आयरन और विटामिन से भरपूर, पौष्टिक सब्जी।

खरीफ फसलों की खेती की विशेषताएँ:

1. मानसून पर निर्भरता:

 खरीफ की फसलें प्राकृतिक वर्षा पर अधिक निर्भर होती हैं, इसलिए वर्षा का असंतुलन इनके उत्पादन पर सीधा असर डालता है।

2. भूमि की तैयारी:

खरीफ फसलों के लिए खेत की गहरी जुताई आवश्यक होती है ताकि वर्षा जल मृदा में समाहित हो सके और खरपतवारों का नाश हो।

3. उर्वरक एवं पोषण:

 खरीफ फसलों को अच्छी बढ़वार के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की आवश्यकता होती है। जैविक खादों जैसे गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग भी लाभदायक होता है।

4. कीट एवं रोग नियंत्रण:

खरीफ मौसम में आद्र्रता अधिक होने से कीट और रोगों की संभावना भी बढ़ जाती है। समय-समय पर जैविक या रासायनिक नियंत्रण आवश्यक होता है।

5. फसल चक्र एवं अंतरवर्तीय खेती:

 खरीफ फसलों के साथ मूंग, उड़द, ग्वार जैसी फसलें अंतरवर्तीय खेती में ली जाती हैं ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और किसान को अतिरिक्त आय प्राप्त हो।

निष्कर्ष:

खरीफ फसलें भारतीय कृषि व्यवस्था की नींव हैं। ये फसलें ना केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं, बल्कि किसानों को आजीविका और रोजगार भी प्रदान करती हैं। 

मानसून पर इनकी निर्भरता को देखते हुए जल प्रबंधन, समय पर बुवाई, और प्रौद्योगिकी आधारित खेती को अपनाना आवश्यक है। 

खरीफ की सफल खेती हेतु मृदा परीक्षण, उन्नत बीज चयन, और सुनियोजित पोषण प्रबंधन जैसे उपाय अपनाकर किसान उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं।

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