रजनीगंधा, जिसे अंग्रेज़ी में Tuberose कहा जाता है, एक अत्यंत सुगंधित और आकर्षक फूल है जो पूजा-पाठ, सजावट, कट फ्लावर और इत्र निर्माण के लिए अत्यधिक लोकप्रिय है।
इसकी लगातार बढ़ती मांग के चलते यह किसानों के लिए एक फायदेमंद खेती विकल्प बन चुका है। प्रस्तुत लेख में हम रजनीगंधा की खेती से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारियाँ विस्तारपूर्वक साझा कर रहे हैं।
रजनीगंधा की दो प्रमुख श्रेणियाँ होती हैं – सिंगल और डबल किस्में:
रजनीगंधा की उपज के लिए 28°C से 30°C तक का तापमान उपयुक्त होता है। यह फसल गर्म और नमीयुक्त वातावरण में अच्छी पनपती है। बहुत ठंडी या पाले वाली जलवायु में इसकी वृद्धि रुक जाती है।
इस फूल की खेती के लिए संतुलित जलनिकास वाली बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। जल जमाव वाली भूमि से बचना चाहिए, क्योंकि इससे बल्ब सड़ सकते हैं।
रजनीगंधा का प्रचार मुख्यतः बल्बों (Corms) से किया जाता है।
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बल्बों को खुदाई के 30 दिन बाद रोपें।
रोपण से पूर्व बल्बों को CCC (Chlormequat chloride) 5000 ppm घोल में डुबोने से फूलों की संख्या बढ़ती है।
जैविक खाद:
सूक्ष्म पोषक तत्त्व: उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बढ़ाएँ
फसल की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु इन सूक्ष्म पोषक तत्वों का फोलियर स्प्रे करें:
जिंक सल्फेट (ZnSO₄): 0.5%
फेरस सल्फेट (FeSO₄): 0.2%
बोरिक एसिड: 0.1%
यह मिश्रण फसल की सेहत, फूलों की चमक और संख्या को बढ़ाता है।
वृद्धि नियंत्रक: अधिक फूल और खुशबू के लिए
रजनीगंधा में फूलों की संख्या और इत्र उत्पादन बढ़ाने हेतु Gibberellic Acid (GA₃) का उपयोग करें।
मात्रा: 50–100 ppm
छिड़काव समय: रोपण के 40, 55 व 60 दिन बाद
फसल अवधि: दो साल तक का मुनाफा
रजनीगंधा की फसल लगभग 2 वर्ष तक अच्छी उपज देती है। यदि सही पोषण व देखभाल हो, तो इसे तीसरे वर्ष तक भी बनाए रखा जा सकता है।
रजनीगंधा की खेती किसानों के लिए लाभदायक और निरंतर आय का स्रोत बन चुकी है। इसकी अंतरराष्ट्रीय मांग और बहुपरतीय उपयोग – इत्र, फूल, बल्ब, और कट फ्लावर – इसे बेहद आकर्षक फसल बनाते हैं।
यदि वैज्ञानिक तकनीकों और सही प्रबंधन के साथ इसकी खेती की जाए, तो प्रति हेक्टेयर लाखों रुपये की कमाई संभव है।