क्या है रजनीगंधा? किसान कमा सकते है इसकी खेती से लाखों का मुनाफा

By : Tractorbird Published on : 30-Jul-2025
क्या

रजनीगंधा, जिसे अंग्रेज़ी में Tuberose कहा जाता है, एक अत्यंत सुगंधित और आकर्षक फूल है जो पूजा-पाठ, सजावट, कट फ्लावर और इत्र निर्माण के लिए अत्यधिक लोकप्रिय है। 

इसकी लगातार बढ़ती मांग के चलते यह किसानों के लिए एक फायदेमंद खेती विकल्प बन चुका है। प्रस्तुत लेख में हम रजनीगंधा की खेती से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारियाँ विस्तारपूर्वक साझा कर रहे हैं।

प्रमुख किस्में: आपकी ज़मीन के लिए उपयुक्त विकल्प

रजनीगंधा की दो प्रमुख श्रेणियाँ होती हैं – सिंगल और डबल किस्में:

सिंगल किस्में (इत्र व फूल उत्पादन के लिए आदर्श):

  • कलकत्ता सिंगल
  • मैक्सिकन सिंगल
  • फुले रजनी
  • प्राज्वल
  • रजत रेखा
  • श्रृंगार
  • खाहिकुची सिंगल
  • हैदराबाद सिंगल
  • पुणे सिंगल
  • अर्का निरंतर

डबल किस्में (सजावट व कट फ्लावर हेतु उपयुक्त):

  • कलकत्ता डबल
  • हैदराबाद डबल
  • पर्ल डबल
  • स्वर्ण रेखा
  • सुवासिनी
  • वैभव

जलवायु ज़रूरी है सही: गर्म और आर्द्र मौसम पसंद

रजनीगंधा की उपज के लिए 28°C से 30°C तक का तापमान उपयुक्त होता है। यह फसल गर्म और नमीयुक्त वातावरण में अच्छी पनपती है। बहुत ठंडी या पाले वाली जलवायु में इसकी वृद्धि रुक जाती है।

ज़मीन कैसी हो? – जलनिकासी वाली बलुई दोमट सबसे बेहतर

इस फूल की खेती के लिए संतुलित जलनिकास वाली बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। जल जमाव वाली भूमि से बचना चाहिए, क्योंकि इससे बल्ब सड़ सकते हैं।

बल्ब से प्रचार और रोपण विधि

प्रचार का तरीका:

रजनीगंधा का प्रचार मुख्यतः बल्बों (Corms) से किया जाता है।

  • बल्ब का वजन: 25–30 ग्राम
  • रोपण समय: जून-जुलाई
  • रोपण दूरी: 45 x 20 सेमी
  • गहराई: 2.5 सेमी
  • प्रति हेक्टेयर बल्ब आवश्यकता: 1.12 लाख कंद

ये भी पढ़ें: गमारी (सफेद सागौन) की व्यावसायिक खेती: एक लाभदायक औषधीय और वानिकी विकल्प

विशेष तकनीक:

बल्बों को खुदाई के 30 दिन बाद रोपें।

रोपण से पूर्व बल्बों को CCC (Chlormequat chloride) 5000 ppm घोल में डुबोने से फूलों की संख्या बढ़ती है।

उर्वरक योजना: जैविक और रासायनिक संतुलन

जैविक खाद:

  • गोबर की सड़ी खाद (FYM): 25 टन/हेक्टेयर
  • रासायनिक उर्वरक (IIHR अनुशंसा):
  •  नाइट्रोजन (N): 200 किग्रा
  •  फॉस्फोरस (P): 200 किग्रा
  •  पोटाश (K): 200 किग्रा
  • फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा खेत तैयार करते समय दें, जबकि नाइट्रोजन को तीन हिस्सों में बाँटकर दें – रोपण, 60 दिन बाद और 90 दिन बाद।

सूक्ष्म पोषक तत्त्व: उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बढ़ाएँ

फसल की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु इन सूक्ष्म पोषक तत्वों का फोलियर स्प्रे करें:

जिंक सल्फेट (ZnSO₄): 0.5%

फेरस सल्फेट (FeSO₄): 0.2%

बोरिक एसिड: 0.1%

यह मिश्रण फसल की सेहत, फूलों की चमक और संख्या को बढ़ाता है।

वृद्धि नियंत्रक: अधिक फूल और खुशबू के लिए

रजनीगंधा में फूलों की संख्या और इत्र उत्पादन बढ़ाने हेतु Gibberellic Acid (GA₃) का उपयोग करें।

मात्रा: 50–100 ppm

छिड़काव समय: रोपण के 40, 55 व 60 दिन बाद

फसल अवधि: दो साल तक का मुनाफा

रजनीगंधा की फसल लगभग 2 वर्ष तक अच्छी उपज देती है। यदि सही पोषण व देखभाल हो, तो इसे तीसरे वर्ष तक भी बनाए रखा जा सकता है।

फूलों की तुड़ाई: समय और तरीके का रखें ध्यान

  • ढीले फूल (इत्र और सजावट हेतु):
  • सुबह 8 बजे से पहले फूलों को तोड़ना चाहिए।
  •  कट फ्लावर (बाजार विक्रय हेतु):
  •  पूरा फूलों का डंठल (spike) 4–6 सेमी नीचे से काटा जाता है।

निष्कर्ष: रजनीगंधा – एक सुगंधित समृद्धि का द्वार

रजनीगंधा की खेती किसानों के लिए लाभदायक और निरंतर आय का स्रोत बन चुकी है। इसकी अंतरराष्ट्रीय मांग और बहुपरतीय उपयोग – इत्र, फूल, बल्ब, और कट फ्लावर – इसे बेहद आकर्षक फसल बनाते हैं। 

यदि वैज्ञानिक तकनीकों और सही प्रबंधन के साथ इसकी खेती की जाए, तो प्रति हेक्टेयर लाखों रुपये की कमाई संभव है।

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