रबी सीजन में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलें कौन सी हैं?

By : Tractorbird Published on : 02-Nov-2025
रबी

भारत में सर्दी में उगाई जाने वाली फसलों को रबी की फसलें कहा जाता है। इन फसलों की बुवाई अक्टूबर- नवंबर में की जाती है और कटाई मार्च - अप्रैल में होती है। यह शब्द अरबी शब्द (रबीअ) से लिया गया है, जिसका अर्थ "वसंत" होता है। भारतीय उपमहाद्वीप में इसे वसंत फसल या सर्दी की फसल के रूप में जाना जाता है। भारतीय कृषि में रबी फसलों में गेहूं (अनाज), चना (दालें),सरसों (तेल बीज), जीरा, मेथी, धनिया,सौंफ आदि शामिल हैं।

1.गेहूं (Wheat)

गेहूं की फसल को सर्दी की आवश्यता होती है इसलिए इस फसल को रबी के मौसम में उगाया जाता है। विश्व भर में, भोजन के लिए उगाई जाने वाली फसलों में मक्का के बाद गेहूं दूसरी सबसे अधिक उगाई जाने वाली अनाज की फसल है। किसान इस फसल की बुवाई नवंबर में करते है। 

गेहूं की बुवाई के लिए 100 किलो प्रति हेक्टेयर बीज प्रयोग होता है। गेहूं की फसल से किसान अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते है क्योंकि गेहूं की फसल अनाज के साथ सूखे भूसे के लिए भी काम में आती है। सिंचित अवस्था में गेहूँ की बौनी किस्मो से लगभग 50-60 क्विंटल दाना के अलावा 80-90 क्विंटल भूसा/हेक्टेयर प्राप्त होता है।

2.चना (Gram)

चना एक प्रमुख दलहनी फसल है। किसानो के लिए रबी के मौसम में चना एक अच्छी पैदावार देने वाली फसल है जिससे की किसानों को अच्छा मुनाफा होता है। रबी के मौसम में चने की बुवाई के लिए 80 - 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यता होती है। 

15 अक्टूबर से नवम्बर का प्रथम सप्ताह चने की बुवाई के लिए उचित समय माना जाता है। बुवाई के लगभग 120-130 दिन बाद चने की फसल पक कर तैयार हो जाती है। सिंचित क्षेत्र में - 25-30 कुन्तल प्रति हेक्टेयर चने का उत्पादन प्राप्त हो सकता है। 

3.सरसों (Mustard )

सरसों की खेती रबी के मौसम में भारत में कई क्षेत्रों में की जाती है। सरसों की बुवाई का सही समय 15 अक्टूबर से नवंबर है। सरसों की खेती तेल उत्पादन के लिए की जाती है। सरसों बुवाई के लिए बीज की मात्रा 1.5 किलोग्राम प्रति एकड़ होती है। 

बिजाई के 3 सप्ताह बाद कमज़ोर पौधों को नष्ट कर दें और सेहतमंद पौधों को खेत में रहने दें। उन्नत तकनीक द्वारा खेती करने पर असिंचित क्षेत्रो में 15 से 20 क्विंटल तथा सिंचित क्षेत्रो में 20 से 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर दाने की उपज प्राप्त हो जाती है।

4.जीरा (Cumin) 

जीरा रबी के मौसम में उगाई जाने वाली मुख्य बीजीय मसाले की फसल है। देश का 80 प्रतिशत से अधिक जीरा गुजरात व राजस्थान राज्य में उगाया जाता है। जीरे की बुवाई 1 नवंबर से 25 नवंबर के मध्य कर देनी चाहिये। 

जीरा की बुवाई के लिए 12-15 kg/हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है। जीरे की औसत उपज 7-8 क्विंटल बीज प्रति हेक्टयर प्राप्त हो जाती है। जीरे का भाव अच्छा होने से किसानों को इस फसल से अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है। 

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5.धनिया (Coriander)

धनिया रबी की मसालों वाली फसलों में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। धनिया के बीज एवं पत्तियां भोजन को सुगंधित एवं स्वादिष्ट बनाने के काम आते हैं। धनिया की फसल रबी मौसम में उगाई जाती है। धनिया बुवाई का सबसे उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर माना जाता है। 

धनिया की बुवाई के लिए सिंचित अवस्था में 15-20 कि.ग्रा./हे. बीज तथा असिंचित में 25-30 कि.ग्रा./हे. बीज की आवश्यकता होती है। धनिया की वैज्ञानिक तकनीक से खेती करने पर सिंचित फसल से 6 से 10 क्विंटल बीज तथा 80 से 100 क्विंटल पत्तियों की उपज तथा असिंचित फसल की 4 से 6 क्विंटल उपज प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है।

6. मेथी (Fenugreek)

मेथी रबी के मौसम में उगाये जाने वाली फसल है। मेथी की पत्तियाँ साग बनाने के काम आतीं हैं तथा इसके दाने मसाले के रूप में प्रयुक्त होते हैं। मेथी बुवाई के लिए अक्टूबर का आखिरी सप्ताह और नवंबर का पहला सप्ताह अच्छा समय है। मेथी की बुवाई के लिए 12 किलोग्राम प्रति एकड़ बीजों का प्रयोग किया जाता है। 

अगर मेथी का साग के उद्देश्य से उगाया गया है तो बुवाई के महीने भर बाद मेथी की कटाई शुरू कर दें। बीज कटाई के लिए मेथी की फसल 140 - 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है।

7. सौंफ (Fennel )

रबी के सीजन में सौंफ की बुवाई अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से लेकर नवंबर के प्रथम सप्ताह तक की जा सकती है। सौंफ मसाले की एक प्रमुख फसल है। सौंफ की बुवाई दो तरीके से की जाती है। पहली छिटककर तथा दूसरी लाइनों में रोपाई कर के की जाती है।

सौंफ की बुवाई के लिए बीजों की मात्रा सीधी बुवाई हेतु 8-10 किलोग्राम बीज व रोपण विधि में 3-4 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर की आवश्यकता होती है। इसकी कटाई गुच्छे तोड़कर की जाती है। उसके बाद इन्हें 1-2 दिन के लिए धूप में सुखाया जाता है और 8-10 दिनों के लिए छांव में रख दिया जाता है। 

उपर दी गयी सभी फसलों की खेती करके किसान रबी के मौसम में अच्छा मुनाफा कमा सकते है। किसान इस सीजन में सिंचाई व्यवस्था पर भी निर्भर करते हैं, क्योंकि यह मौसम मुख्यतः मानसून के बाद की बची हुई नमी पर आधारित होता है। रबी सीजन में किसान नई तकनीकों और उन्नत किस्मों को अपनाकर अच्छी पैदावार की उम्मीद करते हैं। 

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