नीम की तरह ही दिखने वाला मालाबार नीम Meliaceae परिवार का ही सदस्य है। मालाबार नीम की भारत दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया में लकड़ी का एक स्रोत के रूप में खेती की जाती है। मालाबार नीम की खेती नकदी फसल के रूप में की जाती है। मालाबार नीम रोपण से 2 साल के भीतर 40 फुट तक उचाई ले लेता है, मालाबार नीम एक नकदी नीम परिवार से संबंधित है।
भारत में कर्नाटक के आसपास के किसान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में इस वृक्ष की बढ़ी मात्रा में फार्मिंग कर रहे है, इसकी लकड़ी का उपयोग सस्ती वुड (plywood इंडस्ट्री) के लिए किया जाता है। मालाबार नीम के पेड़ 5 वर्ष में काटने के लिए तैयार हो जाते है। इस लेख में आप मालाबार नीम की खेती के बारे में जानेंगे।
मालाबार नीम 25-35 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में पनपता है और इसे मध्यम वर्षा की आवश्यकता होती है। बुवाई से पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है, नर्सरी की तैयार करने के लिए बीज की बुवाई मार्च - अप्रैल के दौरान सबसे अच्छी मानी जाती है।
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बीजों को बोने से पहले उन्हें अच्छी तरह साफ और पूरी तरह सूखा लिया जाना चाहिए। इन बीजों को खुली नर्सरी बेड में 5 सेंटीमीटर की दूरी पर ड्रिल की गई पंक्तियों में बोना उचित रहता है।
ध्यान रखें कि रेतीली ज़मीन में बीज अंकुरित नहीं होते, इसलिए उन्हें मिट्टी में बोने के लिए खेत की मिट्टी और गोबर की सड़ी हुई खाद को 2:1 या 1:1 के अनुपात में मिलाया जा सकता है। एक मानक नर्सरी बेड के लिए लगभग 6 से 7 किलोग्राम सूखे बीजों की आवश्यकता होती है, जिनकी संख्या लगभग 1500 होती है।
बोए गए बीजों को नियमित रूप से पानी देना जरूरी है—दिन में कम से कम दो बार सिंचाई करनी चाहिए। यदि क्षेत्र का तापमान अधिक नहीं है या नर्सरी बेड छाया वाले स्थान पर हैं, तो उन्हें तिरपाल शीट से ढंककर मध्यम तापमान बनाए रखा जा सकता है। सामान्य परिस्थितियों में बीजों का अंकुरण लगभग 90 दिनों के भीतर हो जाता है।
वृक्षारोपण के लिए 5x5 मीटर की दूरी उपयुक्त मानी जाती है, जबकि 8x8 मीटर का अंतराल आदर्श माना जाता है। पौधों की स्वस्थ वृद्धि और विकास के लिए उर्वरकों का उपयोग अत्यंत लाभदायक होता है।
तेजी से वृक्ष विकास सुनिश्चित करने के लिए नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। शुरुआती तीन महीनों तक लगातार पानी देना चाहिए, और हर तीन महीने में एक बार उपयुक्त उर्वरक डालने से पौधे की वृद्धि में उल्लेखनीय सुधार होता है।
बारिश के मौसम में पौधे की वृद्धि दर कुछ धीमी हो जाती है, जो सामान्य स्थिति की तुलना में लगभग 100 प्रतिशत तक घट सकती है।
इसके अलावा, पौधों की शाखाओं को नियंत्रित और संतुलित रखने के लिए 8 से 10 मीटर ऊंचाई तक की शाखाओं की हर छह महीने में छंटाई (प्रूनिंग) करना आवश्यक है। यह प्रक्रिया पौधे की आकृति को संतुलित रखती है और नई टहनियों के विकास को प्रोत्साहित करती है।