फसल उत्पादन बढ़ाने का पहला कदम: क्यों ज़रूरी है खेतों की मिट्टी जांच?

By : Tractorbird Published on : 16-Nov-2025
फसल

मिट्टी की जांच करवाना किसानों के लिए एक बहुत ही जरूरी कदम है, जिसके माध्यम से वे अपनी भूमि की उपजाऊ क्षमता के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

मिट्टी की जांच में कई तत्वों और विशेषताओं की पहचान की जाती है, जो किसानों को यह समझने में मदद करती हैं कि उनके खेत में कौन-सी खादें, फसलें या सुधार के तरीके उचित रहेंगे।

भूमि की बनावट

यह बताती है कि मिट्टी में रेत, दोमट और चिकनी मिट्टी का अनुपात कितना है। मिट्टी की यह संरचना उसकी पानी रोकने की क्षमता, हवा के संचरण तथा पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध कराने की क्षमता को प्रभावित करती है। रेत वाली मिट्टी जहां पानी को जल्दी बाहर निकलने देती है, वहीं चिकनी मिट्टी पानी को अधिक समय तक रोक कर रखती है।

मिट्टी का pH स्तर

यह बताता है कि मिट्टी अम्लीय है या क्षारीय। 6.5 से 8.7 pH वाली मिट्टी को अच्छी मानी जाती है। यदि pH इससे अधिक या कम हो जाए, तो फसलों को नुकसान हो सकता है। ऐसी स्थिति में जैविक खाद, जिप्सम आदि मिट्टी सुधार सामग्री का उपयोग किया जाता है।

नमक की मात्रा

मिट्टी में लवणों की मात्रा यदि अधिक हो जाए, तो उपजाऊ क्षमता घट जाती है और फसलों की वृद्धि प्रभावित होती है।

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जीवांश कार्बन (Organic Carbon)

यह मिट्टी में नाइट्रोजन और अन्य पोषक तत्वों की उपलब्धता को दर्शाता है। मिट्टी में जीवांश कार्बन का संतुलित स्तर उसकी उर्वरता बनाए रखने में सहायक होता है। इसके लिए गोबर की खाद, कंपोस्ट और हरी खाद का नियमित उपयोग करना जरूरी है।

फॉस्फोरस और पोटाश

ये दोनों तत्व फसलों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। जांच के माध्यम से पता लगाया जाता है कि मिट्टी में इन तत्वों की मात्रा पर्याप्त है या नहीं और किस प्रकार की खाद की जरूरत है।

सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी

जिंक की कमी खासकर रेतली, चूना युक्त और कम जीवांश कार्बन वाली भूमि में पाई जाती है। धान, मक्का और कपास जैसी फसलें इस कमी से प्रभावित होती हैं।

लोहे की कमी भी कई बार उत्पादन घटा देती है, जिसकी संभावना रेतली और चूना प्रधान मिट्टी में अधिक रहती है।

मैंगनीज की कमी अधिक समय तक धान-गेहूं जैसे फसल चक्र चलने पर हो जाती है, जिससे खरीफ और रबी दोनों फसलें प्रभावित होती हैं।

निष्कर्ष

मिट्टी की जांच किसानों को अपने खेत की देखभाल वैज्ञानिक तरीके से करने में मदद करती है, जिससे वे उत्पादन बढ़ा सकते हैं और लागत कम कर सकते हैं।

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