रबी सीजन के दौरान किसानों को समय पर खाद, बीज और अन्य आवश्यक कृषि इनपुट उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं।
इस संबंध में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की अध्यक्षता में कृषि भवन सभागार में अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2025-26 रबी सत्र के लिए बीज वितरण, फसल आच्छादन और सहफसली खेती को बढ़ावा देने की रणनीति तैयार करना था।
बैठक में यह तय किया गया कि इस सीजन में 2.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को गन्ने के साथ सहफसली खेती के तहत लाया जाएगा, ताकि भूमि का अधिकतम उपयोग हो और किसानों की आय में वृद्धि हो।
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कृषि मंत्री ने बताया कि अनुदान का लाभ वास्तविक किसानों तक पहुंचे, इसके लिए ई-लॉटरी प्रणाली लागू की जाएगी। किसानों को बीज अनुदान योजना का लाभ उठाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
तोरिया बीज मिनीकिट के लिए पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2025 तय की गई है। इसके बाद 1 सितंबर 2025 से अन्य रबी फसलों के बीज मिनीकिट के लिए पंजीकरण शुरू होगा।
भारत में रबी सीजन की प्रमुख फसलें गेहूं, चना, मसूर, राई, सरसों और जौ हैं। इन फसलों की बुवाई आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर में और कटाई मार्च-अप्रैल में की जाती है।
गुणवत्तापूर्ण बीज फसल उत्पादन में 15-20% तक वृद्धि कर सकता है। इसलिए, सरकार बीज के साथ-साथ किसानों को मृदा परीक्षण, उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई सुविधाएं और फसल बीमा योजनाएं भी उपलब्ध कराती है।
सहफसली खेती की पहल का उद्देश्य किसानों को एक ही खेत में एक से अधिक फसलें उगाने का अवसर देना है, जिससे उनकी आय बढ़ती है और भूमि का स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।
उदाहरण के लिए, गन्ने के साथ राई, सरसों या मसूर की फसल उगाने से न केवल अतिरिक्त आमदनी होती है, बल्कि मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा भी बनी रहती है, जो आगामी फसलों के लिए लाभकारी है।
सरकार आने वाले समय में किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, फील्ड डेमो, आधुनिक कृषि यंत्रों पर सब्सिडी और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से कृषि सलाह उपलब्ध कराने की योजना भी बना रही है।
इन प्रयासों से किसानों को बदलते मौसम और बाजार की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी और राज्य में खाद्यान्न, तिलहन व दलहन उत्पादन में स्थायी वृद्धि होगी।