रबी सीजन की फसलों के बीजों पर किसानों को मिलेगा अनुदान

By : Tractorbird Published on : 12-Sep-2025
रबी

रबी सीजन के दौरान किसानों को समय पर खाद, बीज और अन्य आवश्यक कृषि इनपुट उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। 

इस संबंध में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की अध्यक्षता में कृषि भवन सभागार में अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2025-26 रबी सत्र के लिए बीज वितरण, फसल आच्छादन और सहफसली खेती को बढ़ावा देने की रणनीति तैयार करना था। 

बैठक में यह तय किया गया कि इस सीजन में 2.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को गन्ने के साथ सहफसली खेती के तहत लाया जाएगा, ताकि भूमि का अधिकतम उपयोग हो और किसानों की आय में वृद्धि हो।

गुणवत्तापूर्ण बीज और अनुदान योजनाएं

  • राज्य सरकार किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दे रही है। इस रबी सत्र में किसानों को 10 लाख क्विंटल गेहूं का बीज अनुदान पर दिया जाएगा। 
  • साथ ही, गन्ना उत्पादक किसानों के लिए 7080 क्विंटल राई और सरसों का बीज तथा 12,500 क्विंटल मसूर का बीज निःशुल्क वितरित किया जाएगा। 
  • इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार द्वारा 6.50 लाख दलहनी और तिलहनी बीज मिनीकिट तथा भारत सरकार के सहयोग से 5.41 लाख दलहनी बीज मिनीकिट किसानों तक मुफ्त पहुंचाए जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य तिलहन और दलहन उत्पादन में वृद्धि करना और किसानों को विविध फसलों की ओर प्रोत्साहित करना है।

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पंजीकरण और पारदर्शी चयन प्रक्रिया

कृषि मंत्री ने बताया कि अनुदान का लाभ वास्तविक किसानों तक पहुंचे, इसके लिए ई-लॉटरी प्रणाली लागू की जाएगी। किसानों को बीज अनुदान योजना का लाभ उठाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। 

तोरिया बीज मिनीकिट के लिए पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2025 तय की गई है। इसके बाद 1 सितंबर 2025 से अन्य रबी फसलों के बीज मिनीकिट के लिए पंजीकरण शुरू होगा।

तकनीक और आधुनिक वितरण प्रणाली का लाभ

  • बैठक में यह भी उल्लेख किया गया कि बीज वितरण के लिए पीओएस (Point of Sale) मशीनों का प्रयोग करने से पारदर्शिता में वृद्धि हुई है और किसानों का भरोसा सरकार पर और मजबूत हुआ है। 
  • इस व्यवस्था से बीज की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। राज्य सरकार का संकल्प है कि अन्नदाता किसानों को समय पर पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध हो, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी हो और आय में सुधार हो।

अतिरिक्त जानकारी 

भारत में रबी सीजन की प्रमुख फसलें गेहूं, चना, मसूर, राई, सरसों और जौ हैं। इन फसलों की बुवाई आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर में और कटाई मार्च-अप्रैल में की जाती है। 

गुणवत्तापूर्ण बीज फसल उत्पादन में 15-20% तक वृद्धि कर सकता है। इसलिए, सरकार बीज के साथ-साथ किसानों को मृदा परीक्षण, उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई सुविधाएं और फसल बीमा योजनाएं भी उपलब्ध कराती है।

सहफसली खेती की पहल का उद्देश्य किसानों को एक ही खेत में एक से अधिक फसलें उगाने का अवसर देना है, जिससे उनकी आय बढ़ती है और भूमि का स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। 

उदाहरण के लिए, गन्ने के साथ राई, सरसों या मसूर की फसल उगाने से न केवल अतिरिक्त आमदनी होती है, बल्कि मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा भी बनी रहती है, जो आगामी फसलों के लिए लाभकारी है।

सरकार आने वाले समय में किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, फील्ड डेमो, आधुनिक कृषि यंत्रों पर सब्सिडी और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से कृषि सलाह उपलब्ध कराने की योजना भी बना रही है। 

इन प्रयासों से किसानों को बदलते मौसम और बाजार की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी और राज्य में खाद्यान्न, तिलहन व दलहन उत्पादन में स्थायी वृद्धि होगी।

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