भारत में कृषि को स्मार्ट, प्रभावशाली और टिकाऊ बनाने की दिशा में गूगल ने एक बड़ा कदम उठाया है। कंपनी ने भारतीय किसानों के लिए नई ओपन-सोर्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीकों की शुरुआत की है, जो खेती को अधिक वैज्ञानिक और डेटा-आधारित बनाएंगी। इसके साथ ही यह तकनीक भारतीय भाषाओं और सांस्कृतिक विविधताओं को भी वैश्विक AI सिस्टम में उचित स्थान प्रदान करेगी।
AMED API, गूगल के पूर्ववर्ती ALU API का परिष्कृत संस्करण है। यह नई प्रणाली खेती को जलवायु परिवर्तन और मिट्टी की विशेषताओं के अनुसार अधिक उपयुक्त और कुशल बनाने में मदद करती है।
इसके जरिए किसान जान सकते हैं कि उनकी फसल के लिए कौन-सी मिट्टी और जलवायु परिस्थितियाँ सबसे उपयुक्त हैं, और मौसम के अनुसार किस प्रकार का फसल चक्र अपनाना चाहिए।
गूगल डीपमाइंड और IIT खड़गपुर के सहयोग से स्थानीय भाषाओं और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को बेहतर तरीके से समझने हेतु विशेष डेटा सेट विकसित किए गए हैं। यह कार्य गूगल की Amplify Initiative के अंतर्गत हुआ है, जिसका उद्देश्य है कि एआई तकनीक भारतीय भाषाओं में भी प्रभावी ढंग से काम करे।
इसका सीधा लाभ यह होगा कि किसान अब अपनी स्थानीय भाषा में तकनीकी सलाह प्राप्त कर सकेंगे, जिससे तकनीक का व्यापक उपयोग सुनिश्चित होगा।
गूगल डीपमाइंड के वरिष्ठ निदेशक मनीष गुप्ता के अनुसार, यह तकनीक सिर्फ किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि कृषि वैज्ञानिकों, सरकारी एजेंसियों और सामाजिक संगठनों के लिए भी उपयोगी है।
इससे न केवल कृषि उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा, बल्कि जलवायु जोखिम को भी कम किया जा सकेगा और स्मार्ट कृषि समाधान तैयार किए जा सकेंगे।
गूगल की यह नई एआई पहल भारतीय कृषि को डिजिटल और उन्नत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इससे किसान मौसम, मिट्टी और पानी की स्थिति के अनुसार बेहतर निर्णय ले सकेंगे, जिससे उनकी मेहनत का सही मूल्य मिलेगा और आमदनी व उत्पादन में सुधार होगा।
साथ ही, भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को भी वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिलेगी, जिससे एक समावेशी और शक्तिशाली डिजिटल भविष्य का निर्माण संभव होगा।