गेहूं की उन्नत किस्म

By : Tractorbird Published on : 16-Oct-2025
गेहूं

भारत में गेहूं उत्पादन को बढ़ाने और किसानों की आय में सुधार लाने के उद्देश्य से देशभर के कृषि वैज्ञानिक लगातार नई–नई उन्नत किस्में विकसित कर रहे हैं। इन नई किस्मों का लक्ष्य केवल पैदावार बढ़ाना ही नहीं, बल्कि विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में अनुकूलता और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बेहतर बनाना है। ऐसी ही एक उत्कृष्ट और नवीन किस्म है — “करण बोल्ड (DBW 377)”, जिसे भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल (ICAR-IIWBR Karnal) द्वारा विकसित किया गया है।


करण बोल्ड DBW 377 का विकास और अनुमोदन


गेहूं किस्म DBW 377 (करण बोल्ड) को वर्ष 2024 में केंद्रीय उपसमिति (Central Sub-Committee on Crop Standards, Notification and Release of Varieties) द्वारा औपचारिक रूप से अनुमोदित किया गया।

यह किस्म विशेष रूप से मध्य भारत के सिंचित और अगेती बुआई क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मानी गई है।


इसे निम्नलिखित क्षेत्रों में लगाने की सिफारिश की गई है:


  •  मध्य प्रदेश
  •  छत्तीसगढ़
  •  गुजरात
  •  उत्तर प्रदेश का झाँसी डिवीजन
  •  राजस्थान के कोटा और उदयपुर संभाग

करण बोल्ड DBW 377 की मुख्य विशेषताएं


1. उच्च उपज क्षमता:

  DBW 377 की उपज अन्य प्रसिद्ध किस्मों की तुलना में अधिक पाई गई है।


  • DBW 303 से 6.25% अधिक
  •  DBW 187 से 4.4% अधिक
  • GW श्रेणी की किस्मों से 1.3% अधिक
  • सिंचित अगेती बुआई की स्थिति में इस किस्म की औसत उपज 86.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई है।

2. दाने का आकार और वजन:

 इस किस्म के एक हजार दानों का वजन 48 ग्राम है, जो इसे "बोल्ड" दाने वाली श्रेणी में रखता है।


3. रोग प्रतिरोधकता:

 DBW 377 में गेहूं के प्रमुख रोगों के प्रति अच्छी प्रतिरोधक क्षमता पाई गई है —


  • भूरा रतुआ (Brown Rust) और काला रतुआ (Black Rust) के लिए पूर्ण प्रतिरोधी।
  • ब्लास्ट रोग के विरुद्ध जीन मौजूद, औसत स्कोर 10.0।
  • करनाल बंट (Karnal Bunt) के प्रति भी उच्च सहनशीलता।

4. पोषण एवं गुणवत्ता गुणधर्म:


  • प्रोटीन की मात्रा: 11.7%
  • हेक्टोलीटर भार: 79.5
  • बिस्कुट फैलाव (Biscuit Spread): 8.5/10
  • गुणवत्ता स्कोर: 7.7/10
  •  इस कारण यह किस्म न केवल उत्पादन में बल्कि मिलिंग और बेकिंग उद्योग के लिए भी उपयुक्त है।

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करण बोल्ड DBW 377 से अधिकतम उत्पादन के लिए अनुशंसाएँ


1. बीज उपचार


बुआई से पूर्व बीज को टेबुकोनाजोल 2% DS से 1 किलोग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें।

यह प्रक्रिया फफूंदजनित रोगों से सुरक्षा प्रदान करती है और अंकुरण को बेहतर बनाती है।


 2. बुआई का उपयुक्त समय


इस किस्म की बुआई 1 नवंबर से 10 नवंबर के बीच करें।

समय पर बुआई से पौधों की वृद्धि संतुलित रहती है और उत्पादन क्षमता अधिक प्राप्त होती है।


 3. बीज दर


प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम बीज की सिफारिश की जाती है।

बीज की गहराई 4–5 सेंटीमीटर रखें ताकि अंकुरण समान रूप से हो।


 4. उर्वरक प्रबंधन


बेहतर पैदावार के लिए 150% NPK (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश) का उपयोग करें।

यह मात्रा पौधों की पोषण आवश्यकताओं को पूरा करती है और दाने भरने की प्रक्रिया को मजबूत बनाती है।


 5. वृद्धि नियामक का उपयोग


अगेती बुआई में फसल को संतुलित रखने हेतु दो बार वृद्धि नियामक का छिड़काव करें —


 क्लोरमक्वाट क्लोराइड (CCC) 0.2% + टेबुकोनाजोल 250 EC 0.1%

 पहला छिड़काव पहली गाँठ आने पर, और दूसरा फ्लैग पत्ती के समय करें।


 DBW 377 क्यों है किसानों के लिए लाभदायक?


  •  उच्च उपज के साथ रोग प्रतिरोधकता से कीटनाशक लागत कम होती है।
  •  बड़े दाने और उच्च प्रोटीन सामग्री के कारण बेहतर बाजार मूल्य मिलता है।
  •  अगेती बुआई के लिए उपयुक्त होने से फसल जल्दी तैयार होती है, जिससे अगली फसल समय पर ली जा सकती है।
  •  सिंचित क्षेत्रों में इसकी स्थिर और भरोसेमंद उत्पादकता किसानों के लिए लाभकारी साबित होती है।
  • करण बोल्ड DBW 377 गेहूं की एक ऐसी किस्म है जो न केवल उच्च उपज क्षमता रखती है बल्कि रोगों के प्रति मजबूत प्रतिरोध और उत्कृष्ट दाने की गुणवत्ता के लिए भी जानी जाती है।
  • यदि किसान इसकी अनुशंसित कृषि तकनीकों का पालन करें तो यह किस्म 86 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की शानदार पैदावार देने में सक्षम है, जिससे कृषि लाभ और आय दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि की जा सकती है।

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