लीची की खेती कैसे करें ? जानें, लीची की किस्में और खेती का सही तरीका
By : Tractorbird Published on : 14-Oct-2025
लीची (Litchi chinensis) एक अत्यंत स्वादिष्ट, सुगंधित और रसीला फल है, जो भारत सहित कई उष्णकटिबंधीय देशों में बड़ी मात्रा में उगाया जाता है। यह Sapindaceae परिवार से संबंधित है। लीची की खेती भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तराखंड और पंजाब राज्यों में प्रमुख रूप से की जाती है।
यह फसल अच्छी जलवायु में भरपूर उत्पादन देती है और बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, इसलिए किसान इसे नकदी फसल के रूप में भी उगाते हैं।
लीची की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Ideal Climate for Litchi Farming)
- लीची गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छे परिणाम देती है।
- फूल आने के लिए हल्की ठंडी और शुष्क ऋतु की आवश्यकता होती है।
- फूलों के विकास से लेकर फलों की तुड़ाई तक पर्याप्त नमी जरूरी होती है।
- लीची पाले या अत्यधिक शुष्क गर्मी को सहन नहीं कर पाती, इसलिए मध्यम तापमान वाले क्षेत्र इसके लिए सबसे उपयुक्त रहते हैं।
मिट्टी की आवश्यकता (Soil Requirement for Litchi Plantation)
- लीची की खेती के लिए गहरी, उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे बेहतर रहती है।
- मिट्टी का pH मान 5.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
- यह पौधा थोड़े समय के जलभराव को सह सकता है, लेकिन लंबे समय तक पानी ठहरने से जड़ें सड़ जाती हैं।
- जहाँ वर्षा अधिक होती है, वहाँ खेतों में जल निकासी का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
लीची की प्रमुख किस्में (Popular Varieties of Litchi)
1. क्वाई मी (Kwai Mai / Mauritius / Tai So)
- फल मध्यम आकार (22–25 ग्राम) के होते हैं।
- चमकीले लाल रंग के और 12–30 के गुच्छों में लगते हैं।
- गुणवत्ता उत्तम होती है और यह किस्म हिंद महासागर क्षेत्र में सर्वाधिक लोकप्रिय है।
2. रोज़ सेंटेड (Rose Scented)
- फल गोल या दिल के आकार के और 16 ग्राम तक वज़न के होते हैं।
- स्वाद अत्यंत मीठा और सुगंध गुलाब जैसी होती है।
- यह किस्म मुख्यतः उत्तराखंड में उगाई जाती है।
3. शाही (Shahi – Muzaffarpur Litchi)
- फल 20–25 ग्राम वजन के, गुलाबी रंग के और गुच्छों में पाए जाते हैं।
- गूदा मीठा और रसदार होता है।
- बिहार में सर्वाधिक लोकप्रिय किस्म है।
- प्रति पेड़ औसतन 80–100 किलोग्राम उपज देती है।
4. चक्रपद (Chakrapad)
- फल बड़े आकार (लगभग 32 ग्राम) के, दिल के आकार के होते हैं।
- रंग गहरा लाल, पतली और लचीली त्वचा के साथ।
- गूदा हल्की खटास लिए रसदार होता है।
- भूमि की तैयारी और रोपण विधि (Land Preparation and Planting Method)
- खेती शुरू करने से पहले खेत की गहरी जुताई करें।
- इसके बाद अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद, फॉस्फेट और पोटाश मिट्टी में मिलाएं।
- पौधारोपण के लिए 8–10 मीटर की दूरी पर 90×90×90 सेंटीमीटर आकार के गड्ढे खोदें।
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हर गड्ढे में डालें:
- 40 किलोग्राम गोबर की खाद
- 2 किलोग्राम नीम या करंज खली
- 1 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट
- 200–300 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश
- पुराने लीची पेड़ों के आसपास की मिट्टी मिलाने से माइकोराइजा का विकास होता है, जिससे पौधों की बढ़वार बेहतर होती है।
लीची के पौधे तैयार करने की विधि (Plant Propagation Technique)
- लीची के पौधे आमतौर पर वायु स्तरीकरण (Air Layering) से तैयार किए जाते हैं।
- इसके लिए 1 वर्ष पुरानी, स्वस्थ शाखाएँ चुनी जाती हैं।
- छाल हटाकर उस हिस्से पर IBA या Rootone लगाया जाता है ताकि जड़ों का विकास तेज हो।
- फिर उस हिस्से को गीली काई और मिट्टी के मिश्रण से ढककर पॉलीथीन शीट से बांधा जाता है।
- लगभग 2 महीने में जड़ें विकसित हो जाती हैं।
- तैयार पौधे जुलाई से अक्टूबर के बीच काटकर नर्सरी में लगाए जाते हैं।
- मानसून के मौसम में इन पौधों को खेत में स्थायी रूप से रोपित किया जाता है।
प्रशिक्षण और छंटाई (Training and Pruning in Litchi Trees)
- पौधों को शुरुआती वर्षों में उचित आकार देने के लिए छंटाई आवश्यक है।
- तने से 60–75 सेमी ऊँचाई पर 3–4 मुख्य शाखाएँ रखी जाती हैं।
- भीड़भाड़ या एक-दूसरे को काटने वाली शाखाएँ हटा दें।
- फल तुड़ाई के बाद हल्की छंटाई करने से नए पुष्पक्रमों का विकास बढ़ता है और उपज बेहतर होती है।
फूल और फल प्रबंधन (Flower and Fruit Management)
- लीची के पौधे में फूल आने के दौरान नमी और पोषण का ध्यान रखना आवश्यक है।
- सूखे क्षेत्रों में हल्की सिंचाई और फूलों पर कीट नियंत्रण करने से फल गिरने की समस्या कम होती है।
- फूल आने के बाद अतिरिक्त नाइट्रोजन का प्रयोग न करें, अन्यथा फलन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
कटाई और उत्पादन (Harvesting and Yield)
- लीची के फल गुच्छों सहित, टहनी और पत्तियों के साथ तोड़े जाते हैं।
- केवल पूर्ण परिपक्व फल ही तोड़े जाएँ।
- कटाई प्रातःकाल करना उचित होता है ताकि फल की गुणवत्ता बनी रहे।
- औसतन 14–16 वर्ष पुराने पेड़ से 80–150 किलोग्राम तक फल प्राप्त होते हैं।
- सामान्यतः फसल मई–जून के बीच तैयार होती है, जो क्षेत्र और किस्म के अनुसार बदल सकती है।
लीची खेती से लाभ और सावधानियाँ (Profit and Precautions in Litchi Farming)
सही किस्म, पोषण और जल प्रबंधन से लीची की खेती अत्यधिक लाभदायक सिद्ध हो सकती है।
बाग में जलभराव से बचें और पाले से पौधों की सुरक्षा करें।
कटाई के बाद फलों को छाया में रखें ताकि उनकी ताजगी और बाजार मूल्य लंबे समय तक बना रहे।