केसर की खेती कैसे करें: जानें खेती का सही समय, तरीका और उन्नत किस्में

By : Tractor Bird Published on : 19-Sep-2025
केसर

Kesar ki kheti: केसर की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा  


केसर भारतीय खेती में एक विशेष स्थान रखता है। भारत दुनिया के प्रमुख केसर उत्पादक देशों में शामिल है। यह मसाला केवल आर्थिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में केसर की खेती की एक समृद्ध परंपरा रही है, जो खेतीबाड़ी की विरासत और सांस्कृतिक पहचान से गहराई से जुड़ी हुई है। 


यह लेख भारत में केसर उत्पादन से जुड़ी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, उपयुक्त मौसम, खेती की विधि, कटाई की प्रक्रिया, आर्थिक महत्व और भविष्य की संभावनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देता है।


केसर की खेती के लिए उपयुक्त मौसम


केसर को उगाने के लिए ठंडी और समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। आमतौर पर इसकी खेती समुद्र तल से 1500 से 2800 मीटर ऊँचाई वाले क्षेत्रों में की जाती है। अक्तूबर-नवंबर में अधिक बर्फबारी होने से नुकसान हो सकता है। फूल आने के समय मौसम शुष्क और धूपदार हो तो पैदावार बेहतर होती है। हर दिन 8 से 11 घंटे तक सूर्य का प्रकाश मिलना चाहिए। वे स्थान जहाँ गर्मियों में 300-400 मिमी तक वर्षा होती है और सर्दियों में बर्फ पड़ती है, वहाँ इसकी खेती लाभकारी सिद्ध होती है।


केसर के लिए उपयुक्त मिट्टी


रेतीली दोमट या चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का pH स्तर 6.8 से 7.8 होना चाहिए। यदि मिट्टी में देशी खाद के साथ रेत मिला दी जाए तो मिट्टी नरम और जलनिकासी योग्य बनी रहती है। अत्यधिक नमी वाली मिट्टी में केसर के कंद (Corms) सड़ सकते हैं। इसलिए कैल्शियम कार्बोनेट का सही मात्रा में प्रयोग लाभकारी है।


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खेत की तैयारी


अप्रैल-मई में खेत की तैयारी कर लेनी चाहिए। खेत को 3-4 बार जोतकर मिट्टी को भुरभुरी बनाएं। जमीन को उठी हुई क्यारियों (2x1 मीटर) में तैयार किया जाता है और चारों ओर पानी की निकासी के लिए नालियाँ बनाई जाती हैं।


केसर की मुख्य किस्में


  • कश्मीरी मोगरा केसर – यह दुनिया की सबसे महंगी केसर है, जिसकी कीमत ₹3 लाख प्रति किलो तक हो सकती है। मुख्यतः जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ और पंपोर क्षेत्रों में उगाई जाती है। 75,000 फूलों से लगभग 450 ग्राम केसर प्राप्त होता है।
  • अमेरिकन केसर – यह किस्म कई राज्यों में उगाई जाती है, विशेषकर राजस्थान जैसे शुष्क इलाकों में। इसके पौधे 4-5 फीट तक बढ़ सकते हैं। इसकी कीमत अपेक्षाकृत कम होती है लेकिन इसे अधिक जगहों पर उगाया जा सकता है।

केसर की खेती में बुवाई का समय


केसर एक बहुवर्षीय फसल है और इसकी बुवाई जुलाई से अगस्त के पहले सप्ताह तक की जाती है। 2.5 से 5 सेंटीमीटर आकार के कंद इस्तेमाल किए जाते हैं, जो 8-10 साल तक फूल दे सकते हैं। रोपण से पहले कंदों को 0.5 ग्राम कॉपर सल्फेट प्रति लीटर पानी में उपचारित करना चाहिए। बुवाई 6-7 सेंटीमीटर गहराई पर, 10 सेंटीमीटर पौधों की दूरी और 20 सेंटीमीटर कतारों की दूरी पर की जाती है।


केसर की खेती में  खाद और उर्वरक प्रबंधन


अंतिम जुताई के समय प्रति हेक्टेयर 20 टन देशी खाद डालें। साथ ही 90 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस और 60 किलो पोटाश का प्रयोग करें। फास्फोरस और पोटाश पूरी मात्रा में और नाइट्रोजन का 1/4 भाग बुवाई के समय दें। शेष नाइट्रोजन 20-20 दिन के अंतराल पर 3-4 बार दें।


केसर की खेती में सिंचाई प्रबंधन


केसर को आमतौर पर 300-400 मिमी वर्षा की आवश्यकता होती है। यदि बुवाई के बाद हल्की वर्षा हो जाए तो सिंचाई की जरूरत नहीं रहती। अन्यथा 15 दिन के अंतर पर 2-3 बार सिंचाई करें। ध्यान रखें कि खेत में पानी जमा न हो।


केसर की खेती में खरपतवार नियंत्रण


अच्छी पैदावार के लिए खेत को खरपतवार रहित रखें। 2-3 बार निराई-गुड़ाई करें। फरवरी-मार्च में पौधों की जड़ों के पास मिट्टी को ढीला करें। पहली निराई जुलाई के अंत तक और दूसरी सितंबर में करें।


केसर की कटाई और सुखाने की प्रक्रिया


ऊँचाई वाले इलाकों में फूल सितंबर से आने शुरू होते हैं, जबकि निचले इलाकों में अक्टूबर के मध्य से दिसंबर तक यह प्रक्रिया चलती है। जब फूलों की पंखुड़ियाँ लाल या भगवा रंग की होने लगें, तब वे कटाई के लिए तैयार होते हैं। फूल रोज सुबह हाथों से तोड़े जाते हैं।


फूल बैंगनी, नीले या सफेद रंग के होते हैं और क्यूनुमा आकार के होते हैं। प्रत्येक फूल में तीन लाल-नारंगी मादा भाग (केसर तंतु) होते हैं – यही असली केसर है, जिसे "अग्निशाखा" भी कहा जाता है। प्रत्येक फूल में तीन पीले नर भाग भी होते हैं, जिन्हें केसर नहीं माना जाता। 


कटाई के बाद फूलों को छाया में सुखाया जाता है और फिर उनमें से मादा तंतु निकाले जाते हैं। इन्हें उनके रंग, आकार और गुणवत्ता के आधार पर मोगरा, लच्छी और गुच्छी जैसी श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। याद रहे कि केसर बहुत ही श्रमसाध्य फसल है – केवल 1 किलो सूखा केसर प्राप्त करने के लिए लगभग 1.5 लाख फूलों की आवश्यकता होती है।

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