केसर की खेती कैसे होती है? जानिए सम्पूर्ण जानकारी

By : Tractorbird News Published on : 12-Apr-2025
केसर

केसर अपनी अनोखी खुशबू, स्वाद और औषधीय गुणों के कारण विश्वभर में मशहूर है। इसकी महक और उपयोगिता के कारण इसे ‘लाल सोना’ कहा जाता है। 

यह एक बहुमूल्य मसाला है जिसका इस्तेमाल प्राचीन काल से आयुर्वेदिक चिकित्सा में होता आ रहा है। केसर न सिर्फ दवाओं में बल्कि सौंदर्य प्रसाधनों और कई खाद्य उत्पादों में भी प्रमुखता से उपयोग किया जाता है। 

इसमें मौजूद शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं और विशेषकर हृदय संबंधी रोगों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है।

केसर की खेती के लिए जलवायु की आवश्यकता 

केसर की खेती मुख्य रूप से ईरान, स्पेन, भारत जैसे देशों में होती है, जहां समुद्र तल से 1000 से 2500 मीटर ऊंचाई और ठंडी जलवायु मिलती है। 

भारत में इसकी खेती विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के कुछ क्षेत्रों में की जाती है, लेकिन अब तकनीक की मदद से इसे राजस्थान जैसे शुष्क क्षेत्रों में भी उगाया जा रहा है।

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उपयुक्त मिट्टी और किस्में

  • इसकी खेती के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी में जलभराव नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे बीज सड़ सकते हैं। 
  • भूमि का पीएच मान सामान्य होना चाहिए। केसर की प्रमुख दो किस्में हैं: कश्मीरी मोंगरा और अमेरिकी किस्म। 
  • कश्मीरी मोंगरा दुनिया की सबसे महंगी किस्म है, जिसकी कीमत ₹3 लाख प्रति किलो से अधिक हो सकती है। 
  • इसके फूलों से मात्र 450 ग्राम केसर प्राप्त करने के लिए लगभग 75,000 फूलों की आवश्यकता होती है।

खेती की तैयारी और बीज बोने का समय 

  • केसर की खेती के लिए खेत को गहराई से जोतना जरूरी होता है। पहले प्लाऊ चलाकर और फिर गोबर की खाद डालकर कल्टीवेटर से खेत को तैयार किया जाता है। 
  • बाद में एनपीके खाद डालकर रोटावेटर से खेत को समतल किया जाता है, जिससे जल निकासी बेहतर हो सके। 
  • केसर के बीज लगाने का सबसे उपयुक्त समय अगस्त का महीना माना जाता है। यह फसल लगभग छह महीने में तैयार हो जाती है। 
  • बारिश के मौसम के बाद जुलाई से सितंबर तक इसका रोपण किया जा सकता है। अत्यधिक ठंड से यह फसल प्रभावित नहीं होती, बल्कि यह मौसम इसके लिए अनुकूल रहता है।
  • केसर की खेती, हालांकि परिश्रमपूर्ण और महंगी होती है, लेकिन इससे होने वाली आमदनी किसानों के लिए बेहद लाभदायक साबित हो सकती है। 
  • आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग करके अब इसे उन क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है जहाँ पहले इसकी कल्पना भी नहीं की जाती थी। 
  • इसकी बढ़ती मांग और मूल्य को देखते हुए, यह खेती भविष्य में किसानों के लिए सोने की खान साबित हो सकती है।

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