जुलाई का महीना भारतीय कृषि में खरीफ फसलों के लिहाज से सबसे अहम माना जाता है। इस समय मानसून सक्रिय रहता है, जिससे खेतों में बुवाई, निंदाई, उर्वरक प्रबंधन और अन्य कृषि गतिविधियाँ पूरे जोरों पर होती हैं।
इस माह में किए गए कार्य पूरे सीजन की फसल उत्पादकता को प्रभावित करते हैं। आइए जानते हैं जुलाई में किए जाने वाले मुख्य कार्य, बुवाई योग्य फसलें, देखभाल के उपाय और उपज बढ़ाने के 7 जरूरी टिप्स:
मानसून की पहली बारिश के बाद खेत की जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बनाया जाता है, जिससे बीज का बेहतर अंकुरण हो सके।
वर्षा के अनियमित रहने पर गहरी जुताई व मेढ़बंदी कर मिट्टी में नमी बनाए रखनी चाहिए।
बुवाई से पहले व 15-20 दिन बाद जैविक और रासायनिक खादों का संतुलित उपयोग जरूरी होता है।
खरपतवार फसलों के पोषक तत्व छीनते हैं, अतः 15-20 दिन में एक बार निराई-गुड़ाई आवश्यक है।
बारिश के मौसम में रोग व कीट अधिक लगते हैं, अतः समय पर जैविक या रासायनिक छिड़काव करना जरूरी है।
अधिक बारिश में जलभराव से बचाव करें और जहां जरूरत हो वहां सिंचाई करें। धान को जल भराव चाहिए लेकिन मक्का, कपास आदि को नहीं।
फसल को सहारा देना, छंटाई करना और रोगग्रस्त पौधों को हटाना आवश्यक होता है ताकि स्वस्थ वृद्धि हो सके।
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मौसम के अनुसार सही समय चुनकर बुवाई करें, देर करने से उपज घट सकती है।
प्रमाणित और उपचारित बीज ही बोएं ताकि रोगों से सुरक्षा मिले।
फसल की जरूरत के अनुसार नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश और जैव उर्वरक (जैसे PSB, Rhizobium) का उपयोग करें।
जहां आवश्यकता हो, वहां सिंचाई करें और वर्षा अधिक होने पर जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
खरपतवारों को समय पर हटाकर फसल को पोषण की पूरी आपूर्ति दें।
तना छेदक, माहू, पत्ती लपेटक, झुलसा जैसे कीट-रोगों से फसल को बचाने के लिए जैविक या रासायनिक उपाय अपनाएं।
मक्का + उड़द या कपास + मूंग जैसी फसलें साथ उगाकर आय बढ़ाएं और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखें।
जुलाई खरीफ सीजन की नींव रखने वाला महीना है। यदि किसान इस समय खेत की सही तैयारी, उर्वरक संतुलन, जल प्रबंधन, रोग नियंत्रण और वैज्ञानिक सलाह के अनुसार कार्य करें, तो न केवल उपज में बढ़ोतरी होगी बल्कि मुनाफा भी सुनिश्चित होगा।
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