किसानों को उन्नत किस्मों के पौधों की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बिहार सरकार लगातार नए प्रयास कर रही है।
इसी दिशा में सरकार ने अब किसानों एवं कृषि उद्यमियों को छोटी नर्सरी की स्थापना के लिए प्रोत्साहन देने की योजना शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को “एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH)” के तहत अनुदान प्रदान किया जाएगा।
छोटी नर्सरी की स्थापना हेतु कम से कम 0.4 हेक्टेयर और अधिकतम 1 हेक्टेयर भूमि की जरूरत होती है। यह ज़मीन ग्रामीण सड़क के नजदीक होनी चाहिए, ताकि पौधों के परिवहन में आसानी हो।
इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भूमि में जलजमाव की समस्या ना हो। मिट्टी का समतलीकरण एवं भराई कार्य लाभार्थी किसान को अपने संसाधनों से करना होगा।
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निदेशालय द्वारा छोटी नर्सरी की इकाई लागत 20 लाख रुपए निर्धारित की गई है। इस लागत में निम्नलिखित घटक शामिल हैं:
कुल लागत का 50% यानी अधिकतम 10 लाख रुपये का अनुदान किसानों को दिया जाएगा। यह अनुदान दो किस्तों में वितरित किया जाएगा।
पहली किस्त (60%) तब दी जाएगी जब फिक्स्ड कॉस्ट से संबंधित अवयवों का कार्य पूर्ण हो जाएगा।
दूसरी किस्त (40%) अन्य अवयवों की स्थापना पूरी होने पर दी जाएगी।
किसानों को ट्यूबवेल, पंपिंग सेट, बिजली कनेक्शन जैसी मूलभूत सुविधाएँ स्वयं उपलब्ध करानी होंगी।
भूमि पर सिंचाई और बिजली की व्यवस्था निजी स्रोतों से होनी चाहिए।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक किसानों को बिहार सरकार के उद्यान निदेशालय की वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in से आवेदन पत्र डाउनलोड करना होगा।
आवेदन को सही तरीके से भरकर अपने जिले के उद्यान पदाधिकारी को जमा करना होगा। साथ ही, यह अनिवार्य है कि आवेदक किसान कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर पंजीकृत हो।
योजना की अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए किसान अपने जिला उद्यान कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। वहां से उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन और आवश्यक दस्तावेजों की जानकारी प्राप्त होगी।
यह योजना न केवल पौध उत्पादन को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि ग्रामीण युवाओं एवं किसानों को स्वरोजगार का अवसर भी प्रदान करेगी। इससे स्थानीय स्तर पर पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और फल तथा फूलों की उन्नत किस्में अधिक क्षेत्रों में पहुंचेंगी।