Broccoli cultivation - ब्रोकली की खेती करके कमा सकते है अच्छा मुनाफा

By : Tractorbird News Published on : 25-Aug-2024
Broccoli

ब्रोकली एक हरी पत्तेदार सब्जी है जो गोभी परिवार से संबंधित है। इसका वैज्ञानिक नाम Brassica oleracea var. italica है। 

यह अपनी पौष्टिकता और स्वास्थ्य लाभ के कारण दुनिया भर में लोकप्रिय हो गई है। 

ब्रोकली मुख्य रूप से विटामिन, खनिज, और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती है, जो शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से बचाने में मदद करती है। 

ब्रोकली दो प्रकार की है: स्प्राउटिंग और हेडिंग ब्रोकली। इसमें से स्प्राउटिंग ब्रोकली अधिक लोकप्रिय है। हरा, पीला या बैंगनी रंग की हेडिंग ब्रोकली फूलगोभी की तरह होती है। हरे रंग का रंग अधिक लोकप्रिय है। 

इसे अक्सर सलाद, सूप, व सब्जी में मिलाया जाता है। इसकी मांग बाजार में निरंतर बढ़ रही है जिससे इसकी खेती करनी वालो को बहुत मुनाफा हो रहा है। यहां आप इसकी खेती के बारे में विसतर से जानेंगे। 

जलवायु और तापमान

ब्रोकली ठंडे मौसम की फसल है और इसे 15°C से 25°C के तापमान पर सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। अधिक गर्मी या ठंड से पौधों की वृद्धि रुक सकती है। इसे मुख्यतः सर्दियों में उगाया जाता है।

ब्रोकली की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी 

  • ब्रोकली के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसका पीएच स्तर 6 से 7 के बीच हो।
  • खेत को अच्छी तरह से जोतकर मिट्टी को भुरभुरी बना लें और उसमें पर्याप्त जैविक खाद मिला लें।
  • मिट्टी की अच्छी जल निकासी होनी चाहिए ताकि पानी का जमाव न हो। 

ये भी पढ़ें: ब्रोकली (Broccoli ) की खेती कैसे की जाती है ? जानिए सम्पूर्ण जानकारी

ब्रोकली की उन्नत किस्में 

ब्रोकली की उन्नत किस्में निम्नलिखित है -

  • अगेती किस्मों को पहला स्थान मिलता है। ब्रोकली की अगेती किस्में रोपाई के 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती हैं। 
  • अगेती की मुख्य किस्मों में डी सिक्को, केलेब्रस, ग्रीन बड और संकर किस्मों में जिप्सी, अर्काडिया और ग्रीन मैजिक शामिल हैं। 
  • रोपाई के 75 से 90 दिनों में मध्यम अवधि की किस्में तैयार हो जाती हैं। बालथम 29, ग्रीन स्प्राउटिंग मीडिया और डेस्टिनी, मैराथन और एमेराल्ड संकर हैं।

खेत में बुवाई के लिए भूमि की तैयारी

बुवाई का समय: ब्रोकली की खेती के लिए सर्वोत्तम समय शीतकालीन होता है। 

  • उत्तर भारत में इसे अक्टूबर से नवंबर तक बोया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में इसे अगस्त-सितंबर में बोया जा सकता है।
  • बीज दर और बुवाई की विधि: प्रति हेक्टेयर 300-400 ग्राम बीज पर्याप्त होते हैं। 
  • बीज को पहले नर्सरी में बोया जाता है और फिर 25-30 दिन बाद पौधों को खेत में प्रतिरोपित किया जाता है।                  

नर्सरी की तैयारी 

  • नर्सरी की क्यारी को 15 सेमी ऊँचा बनाकर उसमें अच्छी सड़ी गोबर या कम्पोस्ट खाद के साथ प्रति वर्गमीटर 50-60 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट मिलाकर मिट्टी तैयार करें। 
  • पौधशाला में भूमिगत कीट और रोगों से बचाव के लिए यह सुरक्षा उपाय करें। क्यारी में प्रति वर्गमीटर 5 ग्राम थायरम डालकर 5-7 सेमी की दूरी पर 1.5-2 सेमी गहरी कतारें निकालें। 
  • इसके बाद 10 ग्राम ड्राईकोडर्मा या 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 2.5 ग्राम थायरम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से बीजों को उपचारित करें और हल्की फव्वारे द्वारा सिंचाई करते हुए बीज बोएं
  • अधिक वर्षा से बचने के लिए क्यारी को घास-फूस की छप्पर या पॉलीथीन शीट से ढकें। बेमौसमी खेती के लिए पौधों को पॉलिहाउस या पॉलिटनल के अंदर उगाएं। 
  • अगर पॉलिहाउस में जड़ों का तापमान कम हो तो हीटर का उपयोग करें जिससे बीजों के अंकुरण में तेजी आए। 

नर्सरी की खेत में रोपाई 

  • रोपाई के लिए 25-30 दिन पुरानी पौध उपयुक्त होती है, इसलिए पौध तैयार होते ही रोपाई करें। 
  • रोपाई से पहले नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फॉस्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा और प्रति नाली 500 ग्राम थीमेट खेत में छिड़ककर अच्छी तरह तैयार करें। 
  • कतारों के बीच 45-50 सेमी और पौधों के बीच 45-50 सेमी दूरी रखकर रोपाई करें और हल्की सिंचाई करें। 
  • अगर कुछ पौधे मर जाएं या अच्छी तरह न बढ़ें तो एक हफ्ते के भीतर नई पौध लगाकर स्थान को भर दें। रोपाई के एक माह बाद बची हुई नाइट्रोजन छिड़कें और पौधों के चारों ओर मिट्टी चढ़ाएं। 
  • उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी के परीक्षण के आधार पर करें। उत्तम उत्पादन के लिए प्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर या कम्पोस्ट खाद, 100 किलो नाइट्रोजन, 100 किलो फॉस्फोरस, और 50 किलो पोटाश का प्रयोग करें।

कटाई और उत्पादन

  • ब्रोकली की कटाई सामान्यतः रोपाई के 70-90 दिन बाद की जाती है।
  • जब ब्रोकली का हेड पूरी तरह से विकसित हो जाए और फूल खिलने से पहले, उसे काटा जाता है।
  • औसतन प्रति हेक्टेयर 120-150 क्विंटल उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

सिंचाई: ब्रोकली की खेती में पर्याप्त नमी बनाए रखना आवश्यक है। पहले रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करें और फिर हर 10-12 दिन बाद सिंचाई करें। फसल के विकास की अवधि में मिट्टी में नमी बनी रहनी चाहिए।

Join TractorBird Whatsapp Group

Categories

Similar Posts

Ad