जाने बेलपत्र के पौधे की सम्पूर्ण जानकारी

By : Tractorbird News Published on : 19-Mar-2025
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बेलपत्र का पेड़ जुलाई और अगस्त माह में लगाया जाता है। बेलपत्र पर लगने वाले फलो में बहुत से विटामिन,कैल्शियम और पोटैसियम पाया जाता है। 

यह एक औषिधीय पेड़ हैं। बेलपत्र का पौधा घर में लगाना शुभ माना जाता है। घर में बेलपत्र लगाने से भगवान् शिव की नजर घर पर अच्छी बनी रहती है। 

बेलपत्र फल का सेवन गर्मियों के मौसम में ज्यादातर किया जाता है ,क्यूंकि ये शरीर को ठंडक देता है। 

बेलपत्र के पत्तों का आकर त्रिकोण होता हैं जो की शिवजी के तीन नेत्रों का प्रतीक माना जाता है। बेलपत्र के पत्तों ,जड़ो और फलो का उपयोग औषिधि के रूप में किया जाता है। 

क्या घर में बेलपत्र का पेड़ लगाना शुभ है ?

घर के उत्तर पश्चिम दिशा में बेलपत्र का पेड़ लगाना शुभ माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है बेलपत्र के पेड़ की पूजा सिर्फ मनुष्य ही नहीं भगवान् भी करते है। 

ये सकारात्मक ऊर्जा को लाता है और घर में बुरी शक्तियों को आने से भी रोकता है। 

बेलपत्र कब न तोड़े ?

  • बेलपत्र को नवमी ,चतुर्थी ,अष्टमी ,अमावस्या ,संक्रांति काल और सोमवार को बेलपत्र तोडना अशुभ माना जाता है। 
  • बेलपत्र को कभी टहनी समेत नहीं तोडना चाहिए, चढ़ावे के लिए सिर्फ बेलपत्र के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। 

बेल के पौधे का क्या महत्व क्या है ?

  • हिन्दू धर्म में बेल के पेड़ का बहुत महत्व है। हिन्दू धर्म में बेल के पत्तों ,फलो ,और लकड़ियों का उपयोग पाठ पूजा में किया जाता है। 
  • बेल के पेड़ में भगवान् शिव का वास रहता है, माना जाता है बेल के पेड़ की पूजा करने से दरिद्रता कम होती है। 

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बेल पत्र से होने वाले फायदे 

  • बेल पत्र के पेड़ की छाल ,जड़ और पत्तों का उपयोग बहुत से रोगो का इलाज करने के लिए किया जाता है। 
  • बेल पत्र का उपयोग मसूड़ों से खून आना ,पीलिया होना और अस्थमा जैसे बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। 

हैजा और डायरिया के रोग को नियंत्रित करता हैं 

  • बेल पत्र के फल में टैन्नीन नामक पदार्थ पाया जाता है जो हैजा और डायरिया जैसे रोगो को प्रबंधित करता है। 
  • इसके फल का सेवन करने से ये बीमारियां दूर हो जाती हैं। बेलपत्र एनीमिया जैसे रोग में भी सहायक है। 

कैलेस्ट्रोल को कम करने में सहायक 

  • बेल पत्र कैलेस्ट्रोल को कम करने में सहायक रहता है इसके सूखे पाउडर का इस्तेंमाल हम कैलेस्ट्रोल को कम करने के लिए कर सकते है। 
  • ये बेकार कैलेस्ट्रोल को शरीर से बहार निकालने में सहायता करता है। साथ ही दिल से जुडी समस्याओं में भी फायदेमंद रहता है। 

कब्ज और अस्थमा में फायदेमंद 

रोजाना बेल पत्र खाने से कब्ज से जुडी समस्याएं खत्म हो जाती है। ये अस्थमा के रोग में भी सहायक है ,काली मिर्च और नमक के साथ बेल पत्र खाने से अस्थमा की बीमारी से छुटकारा पा सकते है। 

त्वचा सम्बंधित रोगो पर नियंत्रण 

  • बेल पत्र की छाल का उपयोग त्वचा पर होने वाले रेशिश को दूर करने के लिए भी किया जाता है।
  • ये शरीर पर होने वाली एलेर्जी को भी नियंत्रित करता है। साथ ही शरीर से आने वाली दुरगंध को दूर करने में भी ये लाभकारी है। 
  • ये शरीर पर दवाइयों के उपयोग से होने वाले दाग और धब्बो को भी दूर करता है। साथ ही बालो में आये रूखेपन को भी दूर कर के मुलायम बनता है। 

सूजन को कम करने में सहायक रहता हैं 

  • बेलपत्र में सूजनरोधी गुण पाए जाते हैं , बेलपत्र के अर्क को सूजन वाली जगह पर लगाए ताकि सूजन कम हो जाये। 
  • ये स्कर्बी जैसे रोगो में भी सहायक होता है , ये रोग व्यक्ति के रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है। लेकिन बेल के प्रयोग से इन दोनों बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। 

गैस्ट्रिक अल्सर में राहत 

  • बेलपत्र का उपयोग गैस्ट्रिक अल्सर को कम करने में भी सहायक है। ये पेट के अंदर होने वाली जलन को नियंत्रित करता है। 
  • बेल एंटी ऑक्सीडेंट है ये पेट से जुडी समस्याओं का प्रावधान करने में भी सहायता करता है।

टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने में सहायक 

  • बेल का उपयोग हड्डियों को जोड़ने के लिए भी किया जाता है। इसमें कच्ची बेल के साथ हल्दी को मिलाकर लेप किया जाता है। 
  • इस लेप का उपयोग मास फटने पर भी किया जा सकता है। माना जाता है इस लेप के प्रभाव से हड्डियों को जोड़ा जा सकता है। 

बेलपत्र कितने प्रकार का होता है ?

  • बेलपत्र का पौधा मुख्य रूप से भारतीय उपद्वीपो में पाया जाता है , इसका शिव पूजा में अदिव्तीय महत्व है। 
  • बेलपत्र के मुख्य प्रकार कुछ इस तरह है जैसे : छोटा बेलपत्र ,सफ़ेद बेलपत्र ,बड़ा बेलपत्र ,लाल बेलपत्र , संवारित बेलपत्र , वन्य बेलपत्र। 
  • ये सभी बेलपत्र के प्रकार हैं नाम के साथ साथ इनकी अलग अलग विशेषताएं भी हैं। 

बेलपत्र का पोधा कैसे लगाए ?

  • बेलपत्र का पौधा लगाने के लिए सही गुणवत्ता वाले बीज का चयन करें ,बीज के चयन के बाद अच्छी ड्रेनेज वाले मिट्टी का चयन करें। 
  • इसकी बुवाई के समय बीज को मिट्टी में डालने के बाद हल्की सी सिंचाई करें। इसके पौधे में सुबह शाम पानी दिया जाना चाहिए। 
  • जब पौधे में बढ़ोतरी होने लगे तो उसमे कीटनाशक दवाइयों का उपयोग किया जाता हैं ,साथ ही साथ याद रखे पेड़ को ज्यादा धूप और गर्मी से बचाना चाहिए।

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