गर्मी में उड़द की खेती कैसे करें?

By : Tractorbird Published on : 30-May-2025
गर्मी

उड़द की खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है। उड़द को नम और गर्म जलवायु पसंद होती है। इसकी बढ़वार के लिए 25-30°C तापमान उत्तम होता है। 

इसे 700-900 मिमी वर्षा वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है। हालांकि, फूल आते समय अधिक बारिश और पकने के समय वर्षा से दानों की गुणवत्ता खराब हो सकती है। उड़द की खेती खरीफ और ग्रीष्म दोनों मौसमों में की जा सकती है।

भूमि का चयन और तैयारी

  • उड़द विभिन्न प्रकार की जमीन पर उगाई जा सकती है, लेकिन अच्छे जल निकास वाली हल्की रेतीली या दोमट मिट्टी ज्यादा उपयुक्त रहती है। 
  • भूमि का पीएच मान 7 से 8 के बीच होना चाहिए। अम्लीय या क्षारीय मिट्टी में इसकी खेती से बचना चाहिए। 
  • खेत की तैयारी के लिए पहले गहरी जुताई करें, फिर 2-3 बार हल चलाकर खेत को समतल बनाएं। वर्षा शुरू होने से पहले बुवाई करने से फसल बेहतर होती है।

बुवाई का तरीका

उड़द के बीज पंक्तियों में लगाए जाते हैं। मशीन की मदद से 10-15 सेमी की पंक्ति-दूरी और 4-5 सेमी की बीज-दूरी रखी जाती है। खरीफ में बुवाई जून में और ग्रीष्मकालीन (जायद) बुवाई मार्च-अप्रैल में करें।

उड़द की प्रमुख किस्में

उर्द-19, पंत उर्द-30, पीडीएम-1, यूजी-218, नरेन्द्र उर्द-1, डब्ल्यूबीयू-108, डीपीयू 88-31, उत्तरा (आईपीयू-94-1), एलबीजी-17, कृषणा, एच-30, यूएस-131, एसडीटी-3 आदि।

बीज मात्रा और उपचार

एक एकड़ भूमि के लिए 6-8 किलो बीज पर्याप्त होता है। बीजों को बोने से पहले प्रति किलो पर 3 ग्राम थायरम या 2.5 ग्राम डायथेन एम-45 से उपचारित करें। जैविक विकल्प के लिए ट्राइकोडर्मा का 5-6 ग्राम प्रति किलो बीज उपयोग करें।

बुवाई का समय और गहराई

बुवाई मानसून के आगमन या जून के आखिरी सप्ताह में बारिश होने पर करें। बीज बोने की गहराई 4-6 सेमी रखें। कतारों की दूरी 30 सेमी और पौधों के बीच 10 सेमी होनी चाहिए।

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खाद और उर्वरक

प्रति एकड़ 8-12 किलो नाइट्रोजन, 20-24 किलो सल्फर और 10 किलो पोटाश दें। सभी खादें बुवाई के समय बीज के नीचे डालें। गंधक की कमी वाले क्षेत्रों में सिंगल सुपर फास्फेट, अमोनियम सल्फेट या जिप्सम जैसे गंधकयुक्त उर्वरकों से प्रति एकड़ 8 किलो गंधक अवश्य दें।

सिंचाई

उड़द को सामान्यतः सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन फूल और दाना बनने की अवस्था में मिट्टी में नमी की कमी होने पर एक सिंचाई जरूरी होती है।

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार से फसल को भारी नुकसान हो सकता है, इसलिए समय पर निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। वासालिन जैसे खरपतवारनाशी को 800-1000 मिली. प्रति एकड़ की दर से 250 लीटर पानी में घोलकर खेत में नमी रहते समय छिड़कें, जिससे अच्छे परिणाम मिलते हैं।

फसल की कटाई

उड़द की फसल बीज बोने के करीब 80 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है। जब पौधों की पत्तियाँ पीली होने लगें और फलियाँ काली पड़ जाएँ, तो यह कटाई का सही समय होता है। 

ऐसे समय में पौधों को जड़ के पास से काट लिया जाता है। कटे हुए पौधों को खेत में इकट्ठा करके अच्छी तरह सूखने दिया जाता है।

सूख जाने के बाद फलियों से बीज निकालने के लिए थ्रेसर का उपयोग किया जाता है। एक एकड़ खेत से औसतन 6 क्विंटल उड़द का उत्पादन प्राप्त हो सकता है।

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