भारत के शीर्ष 7 चावल उत्पादक राज्यों के नाम

By : Tractorbird News Published on : 30-Jan-2025
भारत

भारत में चावल की खेती बड़े पामने पर की जाती है। यह फसल 42,973 हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई जाती है और इसका वार्षिक उत्पादन 1,55,818 मीट्रिक टन होता है। 

फसल की औसत उत्पादकता लगभग 3,399 किग्रा/हेक्टेयर है। चावल की खेती तीन विभिन्न भौगोलिक स्थितियों में की जाती है, यानी वर्षा पर निर्भर उच्चभूमि, वर्षा पर निर्भर निम्नभूमि और तटीय खारी भूमि।

यह फसल दोनों मौसमों में, यानी खरीफ और रबी (वैगोन) में उगाई जाती है, जिसमें लगभग 67% क्षेत्र खरीफ और 33% क्षेत्र रबी सीजन में होता है। 

इसके अतिरिक्त, राज्य में सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ और श्रमिकों की अनुपलब्धता एवं उच्च लागत, यांत्रिकीकरण, थ्रेशिंग और प्रसंस्करण सुविधाओं सहित विपणन अवसंरचना की कमी, इस प्रमुख खाद्य फसल की खेती के लिए खतरा बन रही है। 

आज के इस लेख में हम आपको भारत के शीर्ष 7 चावल उत्पादक राज्यों के नाम बारे में जानकारी देंगे।

भारत के शीर्ष 7 चावल उत्पादक राज्यों की सूची

भारत में कई राज्यों में चावल की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इसकी उत्पादकता के हिसाब से इन राज्यों को अलग अलग स्थानों पर रखा गया है ये सभी राज्यों से जुड़ी जानकारी निम्नलिखित है - 

1.पश्चिम बंगाल

  • पश्चिम बंगाल, भारत के सबसे बड़े चावल उत्पादक राज्यों में से एक है, जो वार्षिक रूप से लगभग 15 मिलियन मीट्रिक टन चावल का उत्पादन करता है। 
  • राज्य का मौसम गर्म और आर्द्र होता है, जिससे यहाँ चावल की खेती के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ बनती है। 
  • यहाँ की कृषि मुख्यतः मानसून पर निर्भर रहती है, जो जून से सितंबर तक सक्रिय रहती है। इस दौरान राज्य में पर्याप्त वर्षा होती है, जो धान की फसल के लिए आदर्श होती है। 
  • पश्चिम बंगाल में मुख्य रूप से अमन, बोरो और औस जैसी चावल की किस्में उगाई जाती हैं। अमन किस्म का चावल अधिकतर मानसून के दौरान उगाया जाता है, जबकि बोरो चावल की खेती बर्फबारी से पहले की जाती है। 
  • औस किस्म का चावल गर्मी के मौसम में उगाया जाता है और यह कम पानी में भी अच्छा उगता है। 
  • राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में चावल की खेती की परंपरा सदियों पुरानी है और यहाँ के किसान विशेष प्रकार की कृषि तकनीकों का पालन करते हैं, जैसे कि जैविक खेती और उन्नत जल प्रबंधन, ताकि बेहतर पैदावार प्राप्त की जा सके। 
  • इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में चावल की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है, जिससे उत्पादों की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में मांग बढ़ी है। 
  • पश्चिम बंगाल की चावल की खेती का भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है और यह राज्य देश के खाद्य सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाता है।

2. उत्तर प्रदेश

  • उत्तर प्रदेश, भारत का एक प्रमुख चावल उत्पादक राज्य है, जो वार्षिक रूप से लगभग 14 मिलियन मीट्रिक टन चावल का उत्पादन करता है। 
  • उत्तर प्रदेश का मौसम गर्मी और वर्षा ऋतु के मिश्रण से प्रभावित होता है। 
  • यहाँ की जलवायु चावल की खेती के लिए अनुकूल है, खासकर उन क्षेत्रों में, जहाँ जल की उपलब्धता और मिट्टी की उर्वरता बेहतर होती है। 
  • राज्य के किसान लंबे और छोटे दाने वाली चावल की किस्मों की खेती करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख किस्मों में दुरुम और कलिंग चावल शामिल हैं। 
  • उत्तर प्रदेश में चावल की खेती का एक प्रमुख हिस्सा बासमती चावल है, जो अपनी खुशबू और लंबाई के कारण अत्यधिक प्रसिद्ध है। 
  • बासमती की किस्में अधिकतर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और तराई क्षेत्रों में उगाई जाती हैं। यहाँ के किसान फसल के लिए प्रभावी जल प्रबंधन और आधुनिक कृषि तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं, ताकि उत्पादन में वृद्धि की जा सके। 
  • इसके अलावा, राज्य में धान की खेती के लिए समय समय पर सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं और सब्सिडी दी जाती हैं, जिससे किसानों को सहायता मिलती है। 
  • उत्तर प्रदेश के चावल उत्पादों की मांग भारत के अलावा विदेशों में भी बहुत अधिक है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक है।

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3. पंजाब

  • पंजाब भारत का एक प्रमुख चावल उत्पादक राज्य है, जहाँ हर साल लगभग 12 मिलियन मीट्रिक टन चावल का उत्पादन होता है। 
  • पंजाब की जलवायु विशेष रूप से खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है, और यहाँ धान की खेती मुख्य रूप से इस समय में की जाती है। 
  • राज्य का मौसम गर्म ग्रीष्मकाल और ठंडी सर्दियाँ प्रदान करता है, जिससे चावल की खेती को बढ़ावा मिलता है। 
  • यहाँ की मिट्टी और जलवायु चावल की खेती के लिए आदर्श होते हैं, जिससे पंजाब को चावल उत्पादन के प्रमुख क्षेत्रों में गिना जाता है। 
  • पंजाब विशेष रूप से बासमती चावल के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, जो अपने अद्वितीय स्वाद और सुगंध के लिए दुनियाभर में पहचाना जाता है। 
  • बासमती चावल की किस्में विशेष रूप से पंजाब के कुछ हिस्सों में उगाई जाती हैं, जहां की जलवायु और मिट्टी इसे एक अनूठा स्वाद देती है। 
  • पंजाब में प्रति एकड़ चावल की उत्पादकता भारत में सबसे अधिक है, और यहाँ के किसानों ने उन्नत कृषि विधियों और जल प्रबंधन तकनीकों को अपनाकर अपनी उपज में निरंतर वृद्धि की है। 
  • राज्य में धान की खेती के लिए सिंचाई का अच्छा प्रबंधन किया जाता है, और अधिकांश सिंचाई नहरों और अन्य जलस्रोतों से होती है। 
  • पंजाब में कृषि को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार समय-समय पर योजनाएं लागू करती रहती है, जैसे कि उन्नत बीज, आधुनिक कृषि उपकरण और बेहतर फसल संरक्षण उपायों का प्रावधान। 
  • इन सभी उपायों के माध्यम से पंजाब न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी चावल की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता को साबित करने में सफल रहा है। 

4. आंध्र प्रदेश

  • आंध्र प्रदेश भारत के प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में शामिल है, जहाँ हर साल लगभग 11 मिलियन मीट्रिक टन चावल का उत्पादन होता है। 
  • राज्य की जलवायु उष्णकटिबंधीय है, जिसमें गर्मी और मानसून ऋतु का अनुभव होता है। यहाँ के किसानों द्वारा उगाए जाने वाले चावल की किस्मों में तेली, सारिगा, और अन्य लोकल किस्में शामिल हैं। 
  • राज्य में चावल की खेती में आधुनिक तकनीकों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे उत्पादकता में वृद्धि हो रही है। 
  • आंध्र प्रदेश के चावल उत्पादकों को जल की कमी और मौसम के उतार-चढ़ाव से जूझना पड़ता है, लेकिन राज्य सरकार ने सिंचाई परियोजनाओं और जल प्रबंधन के प्रयासों के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। 
  • इसके अलावा, आंध्र प्रदेश में उन्नत बीज, जैविक खाद और फसल संरक्षण के उपायों का भी उपयोग किया जा रहा है। 
  • राज्य की चावल उत्पादकता को बढ़ाने के लिए यहाँ के किसान सटीक कृषि, ड्रिप इरिगेशन, और उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। 
  • आंध्र प्रदेश में चावल की खेती का महत्वपूर्ण हिस्सा निर्यात के लिए है। राज्य के चावल उत्पादों की मांग न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी काफी अधिक है। 
  • यहाँ के उत्पादकों ने अपनी गुणवत्ता और पैदावार को बेहतर बनाने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया है, जो उन्हें वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाए रखता है। 

5. तेलंगाना

  • तेलंगाना राज्य का मौसम अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय है, जिसमें गर्मी और मानसून ऋतु का अनुभव होता है। 
  • यहाँ के किसान हर साल लगभग 7.5 मिलियन मीट्रिक टन चावल का उत्पादन करते हैं। तेलंगाना में चावल की खेती मुख्य रूप से खरीफ मौसम में की जाती है, और राज्य के किसान बेहतर जल प्रबंधन के लिए नई तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं।
  • जलवायु और जल संसाधनों की स्थिरता के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, ताकि चावल की उत्पादकता बढ़ाई जा सके। 
  • तेलंगाना में चावल की खेती की एक विशेषता यह है कि यहाँ के किसान जल की सही मात्रा के उपयोग पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे भूमि की उर्वरता बनी रहती है और फसल का उत्पादन भी बेहतर होता है। 
  • राज्य में किसान अब आधुनिक सिंचाई तकनीकों, जैसे ड्रिप इरिगेशन और सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणालियों का उपयोग करने लगे हैं। इन तकनीकों से पानी की बचत होती है, और चावल की पैदावार में वृद्धि होती है। 
  • तेलंगाना में चावल उत्पादन में वृद्धि के लिए राज्य सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जैसे उन्नत बीज वितरण, कृषि किट प्रदान करना, और सिंचाई परियोजनाओं के सुधार के लिए वित्तीय सहायता देना। 
  • इन प्रयासों का उद्देश्य राज्य में चावल की उत्पादकता बढ़ाना और किसानों को बेहतर आर्थिक लाभ दिलाना है। 

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6. बिहार

  • बिहार का मौसम गर्मी और वर्षा ऋतु का मिश्रण होता है, जो चावल की खेती के लिए उपयुक्त है। बिहार में लगभग 7 मिलियन मीट्रिक टन चावल का उत्पादन होता है। 
  • राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में चावल की विभिन्न किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें सुगंधित किस्में जैसे सादा, भागमती, और अन्य लोकल किस्में प्रमुख हैं। बिहार में चावल की खेती के लिए जमीन की उर्वरता और जलवायु सबसे अहम भूमिका निभाती है। 
  • बिहार में कृषि का प्रमुख हिस्सा धान की खेती है, और यहाँ के किसान अधिकतर पारंपरिक तरीके से खेती करते हैं। 
  • लेकिन हाल के वर्षों में राज्य सरकार ने बेहतर कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं, जैसे सिंचाई सुविधा का विस्तार, बेहतर बीज वितरण और कृषि प्रशिक्षण। 
  • इन योजनाओं से चावल की उत्पादकता में सुधार हुआ है। बिहार में खेती के क्षेत्र में नए अनुसंधान और विकास प्रयास भी किए जा रहे हैं, जिससे किसानों को नई तकनीकों के बारे में जानकारी मिल रही है और वे अपनी उपज में वृद्धि करने में सक्षम हो रहे हैं। 
  • बिहार में चावल उत्पादन बढ़ाने के लिए कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के प्रयास जारी हैं। 
  • इसके अलावा, राज्य के चावल उत्पादों की मांग भारत और अन्य देशों में भी बढ़ी है, जो राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। 

7. तमिलनाडु

  • तमिलनाडु में विभिन्न प्रकार की जलवायु पाई जाती हैं, जो चावल की खेती के लिए उपयुक्त होती है। राज्य का मौसम गर्म और उष्णकटिबंधीय है, और यहाँ मानसून ऋतु जून से सितंबर तक रहती है। 
  • तमिलनाडु में लगभग 5 मिलियन मीट्रिक टन चावल का उत्पादन होता है, जिसमें सांबा, पोन्नी और बासमती जैसी प्रमुख किस्में शामिल हैं। 
  • तमिलनाडु के चावल उत्पादक विभिन्न किस्मों का उत्पादन करते हैं, जो उनके स्वाद, गुणवत्ता और कृषि योग्य जमीन के आधार पर विभिन्न बाजारों में बेचे जाते हैं। 
  • राज्य के किसान नई तकनीकों और बेहतर जल प्रबंधन से अपनी चावल की पैदावार बढ़ाने के लिए मेहनत कर रहे हैं। इसके अलावा, तमिलनाडु में जैविक खेती के प्रोत्साहन से भी चावल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। 
  • राज्य सरकार द्वारा चावल उत्पादकों के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं, जैसे उचित बीज आपूर्ति, कृषि यंत्रों का वितरण और तकनीकी प्रशिक्षण। 
  • इसके अतिरिक्त, तमिलनाडु में चावल उत्पादकों की मदद के लिए वित्तीय योजनाएँ भी बनाई गई हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो रही है। 
  • चावल, अपने पोषण संबंधी लाभों के अलावा, दुनिया भर में लाखों किसानों और कर्मचारियों की आजीविका को बचाता है। 
  • इसकी विविध जलवायु और परिस्थितियों में पनपने की क्षमता इसे एक विश्वसनीय फसल बनाती है, जो कई समुदायों को खाद्य सुरक्षा देती है। 
  • दैनिक भोजन से लेकर आर्थिक स्थिरता तक, इस अनाज का महत्व वैश्विक पोषण में इसकी अपरिहार्य भूमिका को उजागर करता है।

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