कुकुरमुत्ता और मशरूम में क्या है अंतर? जानिये यहाँ

By : Tractorbird Published on : 29-May-2025
कुकुरमुत्ता

हजारों वर्षों से मशरूम को भोजन और औषधि के रूप में उपयोग किया गया है। इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है और यह पोषण से भरपूर है। मशरूम में कम फैट और अधिक प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट होते हैं। 

मशरूम अब पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो चुका है, हालांकि पहले यह सिर्फ कुछ देशों तक सीमित था। भारत में शाकाहारी लोगों के लिए मशरूम एक अच्छा पोषक तत्वों का स्त्रोत है। 

मशरूम कई प्रकार के होते है, कुकुरमुत्ता भी मशरूम का ही एक रूप होता है परन्तु ये थोड़ा मशरूम से अलग होता है। इस लेख में हम आपको कुकुरमुत्ता और मशरूम में अंतर के बारे में जानकारी देंगे।

कुकुरमुत्ता और मशरूम में अंतर

भारत में मशरूम को कुकुरमुत्ता के नाम से भी जाना जाता है। परन्तु ये दोनों काफी हद तक अलग होते है, ऐसा माना जाता है कि कुकुरमुत्ता कुत्ते की यूरिन से बना फंगस होता है, जबकि मशरूम एक पौधा है जिसमें कोई जड़ या पत्ते नहीं होते हैं। 

इसे अलग से खेला जाता है। जो कुत्ते के मूत्र से कोई संबंध नहीं रखता है, मशरूम की बहुत सी किस्में हैं। जो कुछ खाने योग्य हैं और कुछ नहीं। फंगी भी मशरूम का नाम है। 

मशरूम उगाने के लिए प्रमुख चीज़ें है?

  • मशरूम को विभिन्न प्रकार की फसलों के अवशेषों पर आसानी से उगाया जा सकता है, जैसे ज्वार, पुआल, गन्ने की खोई, बाजरा, मक्का की कड़वी और भूसा।
  • ध्यान रहे कि अवशेष भीगे न हों, इसकी खेती सूखे अवशेषों पर करें।
  • मशरूम की खेती में भूसा या पुआल का अधिक उपयोग होता है। उत्पादन कक्ष की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।

ये भी पढ़ें: मशरूम कितने प्रकार के होते हैं ? मशरूम खाने के फ़ायदे

मशरूम उत्पादन कि उन्नत तकनीक 

मशरूम की खेती में उपयोग होने वाली प्रमुख तकनीकें निम्नलिखित है - 

1. शेल्फ विधि:

  • इस विधि में मजबूत लकड़ी के 1 से 1.5 इंच मोटे तख्तों की मदद से शेल्फ तैयार किए जाते हैं, जिन्हें लोहे के कोण फ्रेम से जोड़ा जाता है। लकड़ी मजबूत और टिकाऊ होनी चाहिए ताकि वह खाद और अन्य सामग्री का भार झेल सके। 
  • हर शेल्फ की चौड़ाई लगभग 3 फीट और दो शेल्फों के बीच की दूरी 1.5 फीट रखी जाती है। इन शेल्फों को पांच स्तरों तक एक के ऊपर एक रखा जा सकता है, जिससे सीमित स्थान में अधिक उत्पादन संभव हो पाता है।

2. पॉलीथीन बैग विधि:

  • यह सबसे लोकप्रिय और सरल तकनीक मानी जाती है, जिसमें ज्यादा मेहनत नहीं लगती। कमरे के अंदर इस विधि को आसानी से अपनाया जा सकता है। 
  • इसमें 25x23 इंच आकार के और 200 गेज मोटाई के पॉलीथीन बैग इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनकी ऊंचाई 14-15 इंच और व्यास 15-16 इंच होता है, जिससे मशरूम का अच्छा विकास हो सके।

3. ट्रे विधि:

  • इस तकनीक में मशरूम को ट्रे में उगाया जाता है, जिससे इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना आसान होता है। 
  • एक ट्रे का आकार लगभग ½ वर्ग मीटर और गहराई 6 इंच होती है। इसमें 28 से 32 किलोग्राम तक खाद भरी जा सकती है।

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