अगस्त 2025 में हरियाणा के विभिन्न जिलों में भारी बारिश, बाढ़ और जलभराव की वजह से किसानों की खरीफ फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई है। ऐसे हालात में किसानों को आर्थिक राहत प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने फसल क्षति का मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने घोषणा की है कि किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल की अंतिम तिथि बढ़ाकर अब 10 सितंबर 2025 कर दी गई है।
इस निर्णय से किसानों को अपने नुकसान का पंजीकरण कराने के लिए अतिरिक्त समय मिल गया है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार अब तक कुल 38,286 किसानों ने पोर्टल पर अपनी फसल क्षति का दावा दर्ज कराया है और पंजीकृत क्षेत्रफल लगभग 2,42,945.15 एकड़ तक पहुँच चुका है। यह कदम राज्य सरकार की किसानों के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है।
शुरुआत में ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल केवल 7 जिलों के 188 गाँवों के लिए खोला गया था, जिनमें रोहतक (21), हिसार (85), चरखी दादरी (13), पलवल (17), सिरसा (2), भिवानी (43) और रेवाड़ी (7) गाँव शामिल थे। बाद में इसका दायरा बढ़ाते हुए कुल 12 जिलों के 1402 गाँवों को शामिल किया गया।
अब जिन जिलों के प्रभावित किसान पंजीकरण करा सकते हैं, उनमें शामिल हैं:
किसानों द्वारा दर्ज किए गए दावों का सत्यापन विशेष गिरदावरी के माध्यम से जिला राजस्व अधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारी करेंगे। इसमें पटवारी से लेकर मंडल आयुक्त स्तर तक की राजस्व टीम शामिल होगी।
सत्यापन पूरा होने के बाद, निर्धारित मानकों के अनुसार किसानों को मुआवजा राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
सरकारी प्रवक्ता ने किसानों से अपील की है कि वे बढ़ाई गई समयसीमा का लाभ उठाएँ और अपने फसल नुकसान का पंजीकरण समय रहते अवश्य करें।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) के मानकों के अनुसार बाढ़, जलभराव और भारी वर्षा की घटनाएँ मुआवजे के लिए मान्य हैं।