लौंग की खेती (cloves farming) कैसे की जाती है ?

By : Tractorbird News Published on : 20-Nov-2024
लौंग

लौंग एक मसाला है। लौंग एक सुगंधित मसाला है, जो रसोई में खाना पकाने, आयुर्वेदिक औषधि बनाने और खुशबूदार पदार्थ बनाने में प्रयोग किया जाता है। 


इसकी खेती से किसान अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं। आज के इस लेख में हम आपको इसके उत्पादन से संबंधी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

 

लौंग की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी


  • लौंग की खेती के लिए सामान्य जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है। इसे न अत्यधिक गर्मी सहन होती है और न ही अधिक ठंड। इसकी खेती के लिए 20°C से 30°C तक का तापमान उपयुक्त माना गया है।
  • इसमें 150-250 सेमी वार्षिक वर्षा और समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई के साथ आर्द्र उष्णकटिबंधीय जलवायु अनुकूल होती है।
  • लौंग की खेती के लिए उच्च ह्यूमस युक्त, गहरी, उपजाऊ दोमट या लेटराइट मिट्टी सबसे उपयुक्त है। मिट्टी में पानी की उचित निकासी होना जरूरी है।

लौंग की रोपण के लिए पौध की तैयारी 


  • लौंग की खेती में उपयोग के लिए पके हुए फलों से बीज निकालकर तुरंत नर्सरी में बो दिए जाते हैं। लगभग पांच से छह सप्ताह में बीज अंकुरित हो जाते हैं।
  • बीजों को जैविक खाद के साथ मिश्रित मिट्टी में लगाना चाहिए। नर्सरी में पंक्तियों के बीच 10 सेंटीमीटर की दूरी रखते हुए बीज बोएं।
  • दो वर्ष पुराने पौधों को 30x30x30 सेमी आकार के गड्ढों में गोबर की खाद मिलाकर 6 मीटर की दूरी पर लगाएं। 
  • गड्ढों में रोपण से पहले 50 ग्राम एज़ोस्पिरिलम डालना चाहिए, जिससे पौधे सुरक्षित रहें और उत्पादन बेहतर हो।

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लौंग की खेती में रोपाई के बाद के कार्य


  • रोपाई के बाद पौधों को छाया प्रदान करें। पौधों के चारों ओर सूखी पत्तियों से मल्चिंग करें और आवश्यकता पड़ने पर निराई-गुड़ाई करें।
  • प्रारंभिक चरण में केले की फसल लगाकर छाया प्रदान की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, पौधों की सुरक्षा के लिए छोटे अस्थायी छायादार ढांचे बनाए जा सकते हैं।

लौंग की खेती में खाद और उर्वरक प्रबंधन


  • एक वर्ष पुराने पौधों को जून-जुलाई और सितंबर-अक्टूबर में दो बार खाद दी जाती है। 
  • इसमें 15 किग्रा गोबर की खाद, 20 ग्राम नाइट्रोजन, 20 ग्राम फॉस्फोरस और 60 ग्राम पोटाश डाला जाता है।
  • हर साल खाद की मात्रा बढ़ाई जाती है। सात वर्ष के फल देने वाले पौधों को 50 किग्रा गोबर की खाद, 300 ग्राम नाइट्रोजन, 300 ग्राम फॉस्फोरस और 960 ग्राम पोटाश दी जाती है। 
  • इसके अलावा, 50-50 ग्राम एज़ोस्पिरिलम और फॉस्फोबैक्टीरियम को खाद के एक महीने बाद डालना चाहिए।

लौंग के पौधों में सिंचाई


  • शुरुआती चरण में वर्षा न होने पर नियमित रूप से सिंचाई जरूरी है। गर्मियों में विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • जनवरी से मई के दौरान ड्रिप सिंचाई या बेसिन के माध्यम से पौधों को प्रति दिन 8 लीटर पानी देना लाभकारी होता है।

लौंग की खेती में कटाई 


  • लौंग के पौधे रोपाई के छठे वर्ष से फल देना शुरू करते हैं। फूलों की कलियों की कटाई तभी करनी चाहिए जब वे पूरी तरह से परिपक्व हो जाएं, लेकिन खिलने से पहले।
  • कलियों को गुच्छों में काटा जाता है, फिर अलग करके पांच से सात दिनों तक धूप में सुखाया जाता है।
  • प्रत्येक पेड़ से 2-3 किलोग्राम सूखी लौंग प्राप्त होती है।

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