सोया साग की खेती करके किसान कमा सकते है अच्छा मुनाफा

By : Tractorbird News Published on : 12-Mar-2025
सोया

सोया साग की खेती एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है, खासकर जब इसकी मांग बाजार में बढ़ रही हो। 

सोया साग में पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं इसमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है। इसकी टहनी में मैग्नीशियम, आयरन, पोटैशियम, फाइबर के भरपूर पोषक तत्व मौजूद होते हैं। सोया साग आंखों की रोशनी को भी बढ़ाता है और त्वचा को सुंदर बनाता है। 

हड्डियों की मजबूती, नींद की समस्या, श्वसन संक्रमण में राहत देने वाली यह प्रोटीन युक्त सब्जी है। इसका बाजार भाव कभी भी कम नहीं होता है। 

इस लेख में हम आपको सोया साग की खेती से जुडी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

सोया साग की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी 

सोया साग की खेती के लिए शीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। यह फसल 15°C से 25°C के तापमान में अच्छी वृद्धि करती है और हल्की ठंड को सहन कर सकती है। 

मिट्टी

सोया साग के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें जल निकासी की अच्छी क्षमता हो. मिट्टी का pH 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। 

सोया साग की खेती की किस्में

सोया साग की विशेष किस्में नहीं होती हैं, लेकिन सोयाबीन की कुछ किस्में जैसे कि पीबी 1, पीबी 2, और जेएस 335 का उपयोग किया जा सकता है। 

सोया साग की खेती के लिए खेत की तैयारी

1. जुताई: खेत को 2-3 बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बनाया जाता है।

2. समतलीकरण: खेत को समतल किया जाता है ताकि पानी का समान वितरण हो सके।

3. जैविक खाद: मिट्टी में सड़ी हुई गोबर की खाद या कंपोस्ट मिलाया जाता है।

सोया साग की खेती में बीज दर और बुवाई का तरीका

  • बीज दर: प्रति एकड़ 8-10 किलोग्राम बीज का उपयोग किया जाता है, लेकिन यह दर क्षेत्र और मिट्टी के अनुसार भिन्न हो सकती है।
  • बुवाई का तरीका: बीजों को 5 सेमी की गहराई पर और पंक्तियों के बीच 25-30 सेमी की दूरी पर बोया जाता है।

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सोया साग की खेती में उर्वरक और खाद प्रबंधन

1. नाइट्रोजन: बुवाई के समय 20 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति एकड़ दिया जाता है।

2. फॉस्फोरस: बुवाई से पहले 50 किलोग्राम फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से डाला जाता है।

3. पोटाश: 20 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ बुवाई के समय दिया जाता है।

सिंचाई प्रबंधन

सोया साग को 3-4 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है, जो मिट्टी की नमी और मौसम पर निर्भर करती है।

खरपतवार नियंत्रण

  • खरपतवार नियंत्रण के लिए खेत की जुताई और हाथ से खरपतवार निकालना प्रभावी होता है। 
  • रासायनिक खरपतवार नाशकों का भी उपयोग किया जा सकता है, लेकिन उनका उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए

कीट नियंत्रण

सोया साग में लीफ माइनर और तना छेदक जैसे कीट पाए जाते हैं। इनके नियंत्रण के लिए धानुका जैपेक और ईएम-1 जैसे कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है।

रोग नियंत्रण

  • सोया साग में फ्यूजेरियम विल्ट और डाउनी मिल्ड्यू जैसे रोग हो सकते हैं। इनके नियंत्रण के लिए फफूंदनाशकों का उपयोग किया जाता है। 
  • स्वस्थ बीजों का चयन और स्वच्छता बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है।

सोया साग की कटाई और उपज

  • कटाई का समय: सोया साग की कटाई बुवाई के 30-40 दिन बाद की जाती है और यह कई बार कटाई करने वाली फसल है। 
  • कटाई का तरीका: पत्तियों को जमीन से 6-7 सेमी ऊपर से काटा जाता है।
  • उपज: प्रति हेक्टेयर 15 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है, जो कई कटाईयों में प्राप्त होता है।

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