सरकार की ओर से 49 कीटनाशक दवाओं पर लगाया गया प्रतिबंध, किसानों को किया गया जागरूक

By : Tractorbird Published on : 26-Apr-2025
सरकार

हर साल कीट, बीमारियों और खरपतवार जैसे जैविक कारकों के कारण किसानों की फसलों को भारी नुकसान होता है। फसल क्षति की यह समस्या कृषि क्षेत्र में उत्पादकता और किसानों की आय दोनों को प्रभावित करती है। 

इसे ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार, विशेष रूप से उपमुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा के नेतृत्व में, पौध संरक्षण योजनाओं के अंतर्गत फसलों को कीट और रोगों से सुरक्षित रखने के लिए कई प्रभावी कदम उठा रही है।

कृषि मंत्री ने बताया कि भारत में हर वर्ष लगभग 30% से 35% फसलें कीट और बीमारियों के कारण नष्ट हो जाती हैं, जिसे नियंत्रित करने के लिए आधुनिक, सुरक्षित और संतुलित कीटनाशकों का प्रयोग अत्यंत आवश्यक है। 

इसके लिए भारत सरकार का वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय समय-समय पर कीटनाशकों की सूची जारी करता है, जिसमें उपयोगी, प्रतिबंधित और आंशिक रूप से प्रतिबंधित कीटनाशकों की जानकारी दी जाती है।

प्रतिबंधित कीटनाशकों पर नियंत्रण

  • अब तक 49 कीटनाशकों के निर्माण, आयात और उपयोग को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जा चुका है। इनमें कर्बारिल, डाईक्लोरोफॉस, फेनथियान, फॉसफामिडान और फोरेट जैसे रसायन शामिल हैं। 
  • साथ ही 16 कीटनाशकों पर आंशिक प्रतिबंध लगाया गया है, जैसे ऐल्युमिनियम फॉस्फाइड, कार्बोफ्यूरान, क्लोरोपाइरीफॉस और मालथियान। 
  • इनमें से कई रसायनों का उपयोग कुछ विशेष फसलों पर पूरी तरह निषिद्ध किया गया है—for example, क्लोरोपाइरीफॉस का प्रयोग बेर, नींबू और तंबाकू की फसलों पर तथा डाईमेथोएट का प्रयोग कच्चे फल और सब्जियों पर प्रतिबंधित है।

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तकनीकी नवाचार: ड्रोन से छिड़काव

  • राज्य सरकार की एक अन्य बड़ी पहल ड्रोन तकनीक के माध्यम से कीटनाशकों के छिड़काव को बढ़ावा देना है। 
  • इस आधुनिक पद्धति से खेतों में कीटनाशकों का अधिक प्रभावी, संतुलित और वैज्ञानिक तरीके से उपयोग संभव हो पा रहा है। 
  • ड्रोन के माध्यम से छिड़काव करने से समय, जल और श्रम की बचत होती है, साथ ही यह विधि पर्यावरण के लिए भी अपेक्षाकृत सुरक्षित मानी जा रही है। इससे किसानों की उत्पादकता और लाभ में वृद्धि हो रही है।

जागरूकता और प्रशिक्षण का महत्व

कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार द्वारा कीटनाशी प्रतिष्ठानों और किसानों को नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें उन्हें कीटनाशकों के वैज्ञानिक उपयोग, भंडारण, विकल्पों और उनके संभावित दुष्प्रभावों की जानकारी दी जाती है। 

साथ ही प्रतिबंधित कीटनाशकों से जुड़े खतरों के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है। यह कदम किसानों को आत्मनिर्भर और जागरूक बनाते हैं, जिससे वे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए अपनी उपज बढ़ा सकें।


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