संतरे की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

By : Tractorbird News Published on : 22-Oct-2024
संतरे

भारत में आम और केले के बाद संतरे की खेती का महत्वपूर्ण स्थान है। इसका वानस्पतिक नाम सिट्रस रिटीकुलेटा है। 

संतरे अपनी सुगंध, स्वाद और स्वास्थ्य लाभों के लिए लोकप्रिय हैं, जिनमें विटामिन सी, ए और बी की प्रचुरता होती है। 

महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में संतरे की खेती होती है। आइए जानते हैं, संतरे की खेती का तरीका:

संतरे की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी

  • संतरे की खेती के लिए सभी प्रकार की अच्छी जल निकास वाली मिट्टी उपयुक्त है, विशेषकर गहरी दोमट मिट्टी। 
  • 6.5 से 8 पीएच मान वाली भूमि सबसे बेहतर होती है। मिट्टी में कंकड़, पत्थर और कठोरता नहीं होनी चाहिए। 
  • संतरे की अच्छी उपज के लिए शुष्क जलवायु और फलों के पकने के समय थोड़ी गर्मी जरूरी होती है।

संतरे की उन्नत किस्में

भारत में उगाई जाने वाली प्रमुख संतरे की किस्मों में नागपुरी संतरा (जो विश्व प्रसिद्ध है), खासी संतरा, कुर्ग संतरा, पंजाब देसी, दार्जिलिंग संतरा और लाहौर लोकल शामिल हैं।

ये भी पढ़ें: सफ़ेद मूसली की खेती कैसे की जाती हैं, जाने क्या हैं इसका महत्व ?

खेत की तैयारी

  • संतरे के पौधे एक बार रोपित होने पर कई सालों तक फल देते हैं। खेत की तैयारी के लिए दो-तीन बार जुताई कर, पाटा लगाकर जमीन समतल करनी चाहिए। 
  • इसके बाद 15 से 18 फीट की दूरी पर 1 मीटर चौड़े और गहरे गड्ढे बनाकर उनमें खाद और मिट्टी का मिश्रण डालना चाहिए।

पौधों की रोपाई

नर्सरी में तैयार पौधों को खेत में बनाए गए गड्ढों में रोपित किया जाता है। पहले गड्ढों में खुरपी से छोटा गड्ढा बनाकर, पौधों को पॉलीथिन से निकालकर उसमें लगाया जाता है और मिट्टी से ढक दिया जाता है।

सिंचाई व्यवस्था

  • मौसम के अनुसार सिंचाई की जाती है। पौधरोपण के तुरंत बाद खेत की अच्छी तरह से सिंचाई करनी चाहिए। 
  • पौधों को गर्मी में सप्ताह में एक बार और सर्दी में महीने में एक बार पानी देना चाहिए। पूरी तरह से विकसित पौधे को साल में 4-5 बार सिंचाई की जरूरत होती है।

फल तुड़ाई

संतरे के फल जनवरी से मार्च के बीच तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। फलों को डंठल सहित काटने से उनकी ताजगी लंबे समय तक बनी रहती है।


Join TractorBird Whatsapp Group

Categories

Similar Posts