सफ़ेद मूसली की खेती कैसे की जाती हैं, जाने क्या हैं इसका महत्व ?

By : Tractorbird News Published on : 03-Oct-2024
सफ़ेद

सफेद मूसली एक बहुवर्षीय जड़ वाला पौधा है, जो सामान्यतः घास की तरह दिखता है। इसकी जड़ें मोटी और गोलाकार होती हैं, जिनका रंग सफेद या हल्का भूरा होता है। 

यह पौधा आदिवासी क्षेत्रों में मुख्य रूप से पाया जाता है और इसकी खेती विशेष देखभाल की मांग करती है। 

सफेद मूसली का वैज्ञानिक नाम Chlorophytum borivilianum है। सफेद मूसली एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है जो आयुर्वेदिक चिकित्सा में अत्यधिक उपयोगी माना जाता है। 

इस लेख में आप इसकी खेती के बारे में विस्तार से जानेंगे।

सफ़ेद मूसली की खेती कहाँ की जाती हैं? 

  • सफ़ेद मूसली एक उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाने वाला पौधा है। इसकी जड़े कई प्रकार की दवाइयां बनाने के काम में आती हैं। 
  • ये एक वार्षिक पौधा हैं जिसकी ऊंचाई 1-1.5 फुट तक होती है। इसकी खेती के लिए 15-35°C तापमान की आवश्यकता होती है 
  • बुवाई के समय तापमान 30-35°C होना चाहिए, फसल की खुदाई के समय तापमान 20-25°C होना आवश्यक होता है। 
  • इसकी फसलों को 50-150cm वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है। 

सफ़ेद मूसली की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

  • सफ़ेद मूसली की खेती के लिए बढ़िया जल निकास वाली मिट्टी और दोमट से रेतली में खेत सकते हैं। 
  • यह पहाड़ी ढलानों वाली मिट्टी या गीली मिट्टी भी सहन सकती है। 
  • यह जैविक तत्वों से भरी हुई लाल मिट्टी में अच्छी फसल देती है। 
  • इसकी खेती को जल-जमाव वाली जगह पर नहीं करना चाहिए। यह करने के लिए मिट्टी का pH 6.5-8.5 होना चाहिए।

ये भी पढ़ें: Protected cultivation : सब्जियों की संरक्षित खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

खेत की तैयारी

  • सफ़ेद मुलसी की खेती के लिए जमीन को 2 -3 बार 30 - 40 सेंटीमीटर तक जोत लेना चाहिए। 
  • जिससे की भूमि अच्छे से नरम और भुरभुरी हो जाती है। जुताई के समय खेत में 30 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से मिला दें। इसके बाद रोपाई की तैयारी करनी चाहिए। 

बीज या कंद की तैयारी 

  • सफ़ेद मूसली की खेती बीज या कंद दोनों से की जा सकती है।
  • बीज से खेती में अधिक समय लगता है, लेकिन इस विधि से प्राप्त पौधे अधिक स्वस्थ होते हैं। 
  • कंद से खेती में कम समय लगता है और इसमें बीज की तुलना में कम बीज की आवश्यकता होती है। खेती के लिए प्रति 18 से 20 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। 
  • बीज से बुवाई गई फसल का अंकुरण बहुत कम होता है (14–16 प्रतिशत)। इसके लिए इसे कंद लगाकर खेती करनी चाहिए। 
  • पौधे से कंद बनाने के लिए स्वस्थ कंदो का उपयोग करना चाहिए। रोपाई से पहले कंदो या गाठों को बीजोपचार द्वारा तैयार करना चाहिए। 
  • रोपाई के लिए एक एकड़ में लगभग पांच क्विंटल कंदो की आवश्यकता होती है। 

पौध की रोपाई 

  • जून का पहला सप्ताह सफ़ेद मुलसी के रोपण के लिए अच्छा है, अगर हल्की वर्षा होती है तो उस समय भी इसकी बुवाई कर लेनी चाहिए। 
  • 10 इंच की दूरी पर सफ़ेद मूसली के पोध लगाना चाहिए। पौध को जमीन में 1 इंच की गहराई तक लगाना चाहिए।

सफ़ेद मूसली की फसल कब तैयार होती है ?

  • इसकी फसल नवंबर में तैयार हो जाती है। इसकी नवंबर में खुदाई की जाती है और प्रत्येक पौधे में दस से बारह कंद मिलते हैं। 
  • खुदाई से पहले खेत को हल्की तरह से सिंचाई करें, ताकि आसानी से मिट्टी से बाहर निकल सकें। 
  • प्रति एकड़ सूखे कंद की उपज 3 से 3.5 क्विंटल है। इनका बाजार मूल्य 600 से 1500 रूपए प्रति किलो तक होता है।

Join TractorBird Whatsapp Group

Categories

Similar Posts