Protected cultivation : सब्जियों की संरक्षित खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

By : Tractorbird News Published on : 19-Sep-2024
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संरक्षित खेती एक कृषि पद्धति है जो प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और कृषि उत्पादकता को बढ़ाने पर केंद्रित है। इसमें जल, मिट्टी और जैव विविधता का समुचित उपयोग किया जाता है। 

इसमें विभिन्न तकनीकों जैसे मिट्टी की नमी बनाए रखना, फसल चक्रीकरण, और जैविक उर्वरकों का उपयोग शामिल है। 

यह पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ किसानों की आय भी बढ़ाती है। संरक्षित खेती दो तरह की संरचनाओं में की जाती है। 

पहली अधिक लागत वाली आधुनिकतम संरक्षित संरचनाएं और दूसरी कम लागत वाली संरचनाएं। इन दोनों तरह की संरचनाओं का उपयोग करके निम्न कार्य किये जा सकते हैं तथा रोजगार एवं आय प्राप्त की जा सकती है : 

1. पौधा नर्सरी उत्पादन  

2. सब्जी उत्पादन 

3. फूल उत्पादन 

4. बीज उत्पादन 

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संरचनाओं के हिसाब से ग्रीनहाउस के प्रकार 

विभिन्न प्रकार की संरचनाओं में सब्जियों की संरक्षित खेती की जाती है। ये छायादार संरचनाएं प्लास्टिक शेड, प्लास्टिक गाइडलाइन नेट और प्लास्टिक से बनाई गई हैं। 

संरक्षित संरचनाओं का उपयोग करके पौधों की वृद्धि को आसान बनाया जा सकता है। संरक्षित खेती में ग्रीनहाउस का इस्तेमाल अधिक होता है, इसके प्रकार निम्नलिखित है -

1. वातावरण नियंत्रित ग्रीनहाउस:

  • इस प्रकार के ग्रीनहाउस में कृत्रिम वातावरण को नियंत्रित करने की सुविधाएं होती हैं, जैसे पंखों से ठंडा करना, हीटर से तापमान बढ़ाना, आदि। 
  • हालांकि, इनका निर्माण महंगा होता है, जिसकी लागत ₹2500-3000 प्रति वर्ग मीटर तक पहुंच सकती है।

2. आंशिक रूप से वातावरण नियंत्रित ग्रीनहाउस:

  • इस ग्रीनहाउस में कुछ वातावरण नियंत्रण सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, जैसे तापमान को कम करने के लिए कूलिंग पैड और पंखे, तथा तापमान बढ़ाने के लिए हीटर। 
  • इसका निर्माण खर्च अपेक्षाकृत कम होता है, लगभग ₹1500-1800 प्रति वर्ग मीटर।

3. प्राकृतिक रूप से वायु संचालित ग्रीनहाउस:

  • इस ग्रीनहाउस में दो प्लास्टिक की परतें होती हैं, जो बिना बिजली के कार्य करते हुए अंदर का तापमान नियंत्रित करती हैं। 
  • इसमें गर्म हवा बाहर निकलने के लिए छत पर और ठंडी हवा अंदर आने के लिए नीचे पाइप होते हैं। इसकी लागत ₹800-900 प्रति वर्ग मीटर तक होती है।

कम लागत वाली संरक्षित संरचनाए

1. कॉट अवरोधी नेट हाउस:

  • यह संरचना पाइपों के सहारे बनाई जाती है और इसे कॉट अवरोधी नाइलॉन नेट से ढका जाता है, जो सामान्यतः 40-50 मेश वाली होती है। 
  • यह नेट पौधों को अत्यधिक गर्मी, ठंड, बारिश, और ओलावृष्टि से सुरक्षा प्रदान करता है। 
  • गर्मी के मौसम और ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों में इसकी उपयोगिता विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह अंदर अधिक वायु संचरण को भी बढ़ावा देती है।

2. वॉक इन टनल:

  • इन संरचनाओं को अर्धगोलाकार आकृति में पाइपों के सहारे बनाया जाता है और फिर पॉलीथिन से ढका जाता है। 
  • वॉक इन टनल का उपयोग सब्जियों के बेहतर उत्पादन और अन्य फसलों की सुरक्षा के लिए किया जाता है। 
  • इसकी डिजाइन पौधों को अधिकतम प्रकाश और तापमान प्रदान करने में सहायक होती है।

3. शेड नेट हाउस:

  • शेड नेट हाउस भी पाइपों के सहारे गोलाकार आकृति में बनाए जाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन और अन्य फसलों की खेती करना है। 
  • यह संरचना प्राकृतिक हल्के को अंदर आने देती है, जिससे पौधों की वृद्धि में सहायता मिलती है।

4. नीवी प्लास्टिक टनल (प्लास्टिक लो टनल) तकनीक:

  • यह छोटी प्लास्टिक संरचनाएं अत्यधिक प्रभावी होती हैं, जो लोहे के पाइप मेहराबों से ढकी जाती हैं। ये तापमान को नियंत्रित करते हुए तेजी से अंकुरण की दर बढ़ाती हैं। 
  • इसके अंतर्गत, सब्जियों का उत्पादन 30-45 दिनों की अवधि में संभव है, जिससे किसानों को जल्दी और अधिक उपज प्राप्त होती है।

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