किसान भाइयों जैसे की आप जानते है अब की बार समय से पहले ही गर्मी बहुत ज्यादा हो गयी है जिस कारण गेहूं की उपज में कमी आ सकती है। किसान भाइयों दिन का तापमान 32-35 डिग्री सेल्सियस व रात का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है, तब तक किसानों को घबराने की जरुरत नहीं है।
रात व दिन का तापमान मिलाकर औसत 22 डिग्री डिग्री उत्तम माना गया है। औसत तापमान 24 डिग्री सेल्सियस तक को फसल सहन कर सकती है, पर दिन का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होने पर गेहूं के बनने वाले दानों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस लेख में आप बढ़ते हुए तापमान से गेहूं की फसल को बचने के बारे में जानेंगे।
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बढ़ते हुए उच्च तापमान से बचने के लिए किसानों को आवश्यकता अनुसार हल्की सिंचाई करने की जरुरत है। जिससे खेत में उचित नमी बनी रहेगी और फसल में उच्च तापमान की मार नहीं होगी। जब तेज हवा चल रही हो तो सिंचाई को रोक दे अन्ययथा फसल के गिरने से फसल गिर सकती है।
जिन किसान भाइयों के पास फव्वारा सिंचाई की सुविधा है वे दोपहर को तापमान वृद्धि के समय आधा घंटा फव्वारा से सिंचाई कर सकते है।
गेहूं में बालियां निकलते समय या अगेती गेहूं की बालियां निकली हुई है तो भी 0.2 प्रतिशत पोटैशियम क्लोराइड यानि कि 400 ग्राम Muriate ऑफ़ पोटाश 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करने से तापमान में अचानक हुई वृद्धि से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। पछेती बीजी हुई गेहूं में पोटैशियम क्लोराइड का छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर दो-बार किया जा सकता है।