रिजका की खेती से जुड़ी विस्तृत जानकारी

By : Tractorbird News Published on : 28-Jan-2025
रिजका

रिजका को "चारा फसलों की रानी" कहा जाता है, जिसे लूसर्न के नाम से भी जाना जाता है। 

यह फसल मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और लद्दाख के लेह क्षेत्र में सिंचित क्षेत्रों में उगाई जाती है। इसे रबी मौसम की महत्वपूर्ण चारा फसल माना जाता है।

खासकर जहां बरसीम के लिए पर्याप्त पानी नहीं है और सर्दियों का समय छोटा है। 

इसकी गहरी जड़ प्रणाली के कारण यह शुष्क क्षेत्रों में सिंचाई के लिए अच्छा है। 

यह उच्च जलस्तर वाले क्षेत्रों में बिना सिंचाई के भी अच्छी तरह उगती है।

जलवायु और अनुकूलता

  • यह बहुवर्षीय, स्थायी और सूखा सहनशील फसल है। इसमें 15% कच्चा प्रोटीन और 72% सूखा पदार्थ पाचनशीलता होती है। 
  • यह बरसीम की तुलना में लंबे समय तक हरा चारा प्रदान करती है। समशीतोष्ण जलवायु की यह फसल कम तापमान में भी अच्छी तरह से उगाई जा सकती है।

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मिट्टी की आवश्यकताएं

  • रिजका के लिए अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ और तटस्थ pH वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त है। 
  • इसे अम्लीय मिट्टी पर चूना मिलाकर उगाया जा सकता है। भारी या जल-जमाव वाली मिट्टी पर यह बेहतर विकसित होती है।

भूमि की तैयारी

  •  रिजका के लिए समतल और नमीयुक्त बीज-बिस्तर जरूरी है। 
  • खेत की एक बार गहरी जुताई मोल्ड बोर्ड हल से और 3-4 बार देशी हल से जुताई करके पाटा लगाना चाहिए। 
  • इससे बीज और मिट्टी के बीच अच्छा संपर्क होता है।

उन्नत किस्में

रिजका की उन्नत किस्मों में सिरसा-8, आनंद-2, आनंद-3, आरएल 88, सीओ-1, और टी-9 शामिल हैं। ये किस्में बेहतर उपज देती हैं।

बुवाई का समय

रिजका की बुवाई के लिए अक्टूबर का मध्य सबसे अनुकूल समय है, लेकिन इसे सितंबर के अंत से दिसंबर की शुरुआत तक भी बोया जा सकता है।

बीज मात्रा और विधि

 छिड़काव विधि में 20-25 किग्रा/हेक्टेयर बीज, जबकि पंक्तिबद्ध बुवाई में 12-15 किग्रा/हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है। बीज को 1.5 सेंटीमीटर से अधिक गहराई में नहीं बोना चाहिए।

कटाई

पहली कटाई बुवाई के 50-55 दिनों बाद करनी चाहिए। इसके बाद 25-30 दिन के अंतराल पर कटाई की जाती है।

उत्पादन

रिजका से साल भर में 8-10 बार कटाई की जा सकती है, जिससे प्रति हेक्टेयर 80-120 टन हरा चारा और 18-20 टन सूखा चारा प्राप्त होता है।

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