रिजका को "चारा फसलों की रानी" कहा जाता है, जिसे लूसर्न के नाम से भी जाना जाता है।
यह फसल मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और लद्दाख के लेह क्षेत्र में सिंचित क्षेत्रों में उगाई जाती है। इसे रबी मौसम की महत्वपूर्ण चारा फसल माना जाता है।
खासकर जहां बरसीम के लिए पर्याप्त पानी नहीं है और सर्दियों का समय छोटा है।
इसकी गहरी जड़ प्रणाली के कारण यह शुष्क क्षेत्रों में सिंचाई के लिए अच्छा है।
यह उच्च जलस्तर वाले क्षेत्रों में बिना सिंचाई के भी अच्छी तरह उगती है।
ये भी पढ़ें: सुडान घास की खेती का सही तरीका: शुरू से अंत तक गाइड
रिजका की उन्नत किस्मों में सिरसा-8, आनंद-2, आनंद-3, आरएल 88, सीओ-1, और टी-9 शामिल हैं। ये किस्में बेहतर उपज देती हैं।
रिजका की बुवाई के लिए अक्टूबर का मध्य सबसे अनुकूल समय है, लेकिन इसे सितंबर के अंत से दिसंबर की शुरुआत तक भी बोया जा सकता है।
छिड़काव विधि में 20-25 किग्रा/हेक्टेयर बीज, जबकि पंक्तिबद्ध बुवाई में 12-15 किग्रा/हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है। बीज को 1.5 सेंटीमीटर से अधिक गहराई में नहीं बोना चाहिए।
पहली कटाई बुवाई के 50-55 दिनों बाद करनी चाहिए। इसके बाद 25-30 दिन के अंतराल पर कटाई की जाती है।
रिजका से साल भर में 8-10 बार कटाई की जा सकती है, जिससे प्रति हेक्टेयर 80-120 टन हरा चारा और 18-20 टन सूखा चारा प्राप्त होता है।