झारखंड सरकार अपने राज्य के किसानों को सूखे से बचाने और उन्हें निरंतर खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न प्रकार के अभियान एवं योजनाएं लॉन्च करती रहती है। सरकार किसानो के लिए अब एक और नई योजना लेके आयी है। इस योजना का नाम झारखंड वैकल्पिक खेती योजना है। इस योजना को झारखंड में बारिश की कमी के कारण खरीफ फसलों की खेती करने वाले किसानों की परेशानी को देखते हुए शुरू किया गया है।
इस योजना के माध्यम से किसानों को धान की सीधी बुआई, ऊपरी जमीन पर उड़द, मूंग, अरहर, मक्का, कुलथी, तोरिया,ज्वार,मडुआ की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए किसानों को कम अवधी वाली सूखा प्रतिरोधी किस्मों के लिए अनुदान प्रदान किया जायेगा। इस योजना के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़े।
ये योजना झारखंड सरकार और झारखंड कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही है। अब सरकार इस योजना के माध्यम से राज्य के किसानों को धान के साथ अरहर, उरद, कुलथी, मक्का, तोरिया, मूंग, ज्वार और मडुआ के छोटी अवधि सूखा प्रतिरोधी किस्मों के बीज अनुदान पर दिया जाएगा। यह बीज कम बारिश में भी प्रभेद सफल होने की क्षमता रखते हैं।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य सूखा पड़ने के कारण धान की खेती करने वाले किसानों को नुकसान से बचा कर उनके नुकसान की भरपाई करना है। झारखंड राज्य कृषि निर्देशक जी ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है कि तोरपा महिला कृषि बागवानी स्वालम्बी सहकारी समिति लिमिटेड, सदस्य किसान FPO के CEO प्रिय रंजन से समन्वय स्थापित कर ब्लॉक चेन प्रणाली में पंजीकरण करा लें और जल्द से जल्द बीज क्रय शीघ्र करें।
सुखा प्रतिरोधी कम अवधि उड़द प्रभेद PU-31 बीज 50% अनुदानित दर पर ₹64 प्रति किलो पर खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड के FPO तोरपा महिला कृषि बागवानी स्वालम्बी सहकारी समिति लिमिटेड द्वारा उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
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इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को वैकल्पिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे की किसान दलहनी, तिलहनी एवं सब्जियों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सके। राज्य के किसानों को झारखंड वैकल्पिक खेती योजना के प्रति जागरूक करने के लिए जगह-जगह गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।
इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार एवं कृषि विभाग द्वारा 5 लाख किसानों को अनुदानित बीज प्रभेद उपलब्ध करवाना है। इस योजना का उद्देश्य राज्य के किसानों की सूखा पड़ने के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई करना है।