इस योजना का मुख्य उद्देश्य कमजोर वर्ग के कृषकों को मिनिकिट के माध्यम से बीज की उपलब्धता कराना है।
नई किस्म व 10 वर्ष से कम अवधि की किस्मों को किसी क्षेत्र में शुरूआत एवं प्रचलन में लाया जाना भी इस योजना का प्रमुख लक्ष्य है।
सरकार ने इस योजना की शुरुआत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु एवं सीमान्त तथा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले कृषकों को बीज मुफ्त में देने के लिए किया है ताकि किसान समय पर अपनी फसल की बुवाई कर सकें। इस योजना के अंतर्गत किसानों को बीज मिनिकिट का वितरण निशुल्क किया जाएगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के द्वारा कम वर्षा, विपरीत मौसमी परिस्थितियों तथा अन्य प्राकृतिक कारणों जैसे सूखा, बाढ, जलभराव, कीट-व्याधि, प्राकृतिक आग, बिजली गिरना, ओलावृष्टि एवं बेमौसमी वर्षा से फसलों की उपज में होने वाले नुकसान से कृषकों को सुरक्षा प्रदान की जाती है।
फसलों का बीमा कराने पर खरीफ मौसम हेतु बीमित राशि का 2 प्रतिशत, रबी मौसम हेतु 1.5 प्रतिशत तथा उद्यानिकी एवं वाणिज्यिक फसलों हेतु 5 प्रतिशत प्रीमियम राशि कृषकों द्वारा देय होगी।
सभी वे कृषक जिन्होने अधिसूचित क्षेत्र के लिए अधिसूचित फसल की बुवाई की है।
योजना सभी श्रेणी के कृषकों के लिए स्वैच्छिक है। वित्तीय संस्थानो से फसली ऋण लेने वाले कृषकों को लिखित में खरीफ तथा रबी के लिए नामांकन की अंतिम तिथि से 7 दिवस पूर्व तक बैंक को फसलों का बीमा नही करने हेतु सूचित करना होगा अन्यथा बैंक द्वारा अनिवार्य आधार पर बीमा कर दिया जायेगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा प्राप्त करने के इच्छुक गैर-ऋणी किसान निकटतम बैंक शाखा/सहकारी समिति/जन सेवा केन्द्र (सीएससी)/पोस्ट ऑफिस/बीमा कंपनी या उनके अधिकृत एजेंट से सम्पर्क कर सकते है या निर्धारित तिथि के अंतर्गत स्वयं राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल http://www.pmfby.gov.in पर आनलाईन आवेदन कर सकते है।
गैर-ऋणी किसानों को राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार नवीनतम जमाबंदी की नकल (पटवारी द्वारा सत्यापित), आधार कार्ड, स्व-प्रमाणित घोषणा पत्र जिसमें खसरा संख्या का कुल क्षेत्र, प्रस्तावित फसल का बुवाई क्षेत्र, मालिक का नाम एवं बीमा हित का प्रकार (स्वयं, परिवार एवं बटाई) अंकित कर प्रस्तुत करना होगा, बैंक पास बुक की कॉपी जिसमें IFSC Code एवं खाता संख्या अंकित हो या खाते की रद्द (Cancelled) चेक, बटाईदार एवं भू-स्वामी की आधारकार्ड की स्व-प्रमाणित प्रति, बटाईदार कृषक होने पर उक्त दस्तावेजों के अतिरिक्त शपथ पत्र एवं राजस्थान का मूल निवास प्रमाणपत्र आदि की प्रति जमा कराना अनिवार्य होगा।
इस योजना की शुरुवात नीलगाय व आवारा पशुओं से फसलों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किया गया है।
कृषकों को 400 रंनिग मीटर तक तारबन्दी स्थापित करने पर लघु एवं सीमान्त कृषकों को लागत का 60 प्रतिशत अथवा अधिकतम राशि रूपये 48000/- जो भी कम हो एवं सामान्य कृषकों को लागत का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम राशि रूपये 40000/- जो भी कम हो, अनुदान देय होगा।
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सामुदायिक आवेदन में 10 या अधिक कृषकों के समूह में न्यूनतम 5 हैक्टेयर में तारबंदी किए जाने पर लागत का 70 प्रतिषत या अधिकतम राशि रूपये 56000 /- जो भी कम हो, प्रति कृषक 400 रनिंग मीटर तक अनुदान देय होगा।
इस योजना के लिए आवेदन करने के बाद इस की वैधता चालू वित्तीय वर्ष तक होगी।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य ट्यूबवैल या कुए से खेत तक पाइपलाइन के जरिए पानी पहुँचाना है जिससे पानी की 20-25 प्रतिशत तक बचत की जा सकें।
इस योजना के अंतर्गत लघु एवं सीमान्त कृषकों को इकाई लागत का 60 प्रतिशत (अधिकतम राषि रूपये 18000/- जो भी कम हो) तथा अन्य कृषकों को इकाई लागत का 50 प्रतिशत (अधिकतम राषि रूपये 15000/- जो भी कम हो अनुदान सरकार द्वारा दिया जाएगा।
इस योजना के लिए पात्र कृषक के नाम पर कृषि योग्य भूमि का स्वामित्व हो तथा कुंए पर विद्युत/डीजल/टैक्टर चलित पम्प सैट हो। सामलाती कुंए पर यदि सभी हिस्सेदार अलग-अलग पाईपलाइन पर अनुदान की मांग करते है तो अलग-अलग अनुदान देय होगा परन्तु भूमि का स्वामित्व अलग-अलग होना आवश्यक है। सामलाती जल स्त्रोत होने की स्थिति में सभी साझेदार कृषकों को स्त्रोत से एक ही पाईपलाइन दूर तक ले जानें में सभी कृषकों को अलग-अलग अनुदान देय होगा।
वर्षा आधारित क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत समन्वित कृषि पद्धति को अपनाने हेतु सहायता प्रदान करने के लिए चलाया गया है। इस योजना में मुख्य रूप से पशु आधारित कृषि पद्धति, उधानिकी आधारित पद्धति तथा पेड आधारित पद्धति। इसके साथ ही वर्मीकम्पोस्ट इकाई आदि हेतु भी सहायता दी जाती है।
सरकार का खेती को लाभकारी, टिकाउ तथा जलवायु सहनशील बनाना इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है, इसके आलावा इस योजना के जरिए कृषको की आय में वृद्धि, म़ृदा एवं नमी का संरक्षण, प्रति बूंद अधिक फसल उत्पादन, क़ृषकों की दक्षता में व़ृद्धि लाना है।
इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक कृषक को 0.25 हेक्टेयर से अधिकतम 2 हेक्टेयर तक सहायता प्राप्त होगी। योजना के अंतर्गत लघु तथा सीमांत कृषकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
क्रियान्वयन क्लस्टर आधारित है जिसमें 100 हेक्टेयर या अधिक क्षेत्र को शामिल किया जाता है।
योजना में चयनित क्लस्टर के कृषक क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक को भूमि की जमाबंदी, फोटो, बैंक विवरण तथा आधार कार्ड के साथ आवेदन कर सकते है।
फसल पद्धति हेतु आवश्यक आदान केवीएसएस/जीएसएस से, पौंधे उधान विभाग द्वारा पंजीकृत नर्सरी से तथा पशु स्थानीय हाट/मेले/संस्थानों/पशुपालकों से पूर्ण भुगतान कर प्राप्त कर सकते है।
कृषि जलवायुवीय कारक तापक्रम आर्द्रता व सूर्य के प्रकाश को नियंत्रित करके सब्जियों, फुलों वा फलो आदि उधानिकी फसलो की खेती कर अधिक आमदनी अर्जित करने हेतू।
निर्धारित इकाई लागत या विभाग द्वारा अनुमोदित फर्मस की दरों में से जो भी कम हो पर अधिकतम 4000 वर्गमीटर क्षेत्र के लिए सामान्य कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान तथा लघु, सीमांत, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कृषकों को 70 प्रतिशत अनुदान देय है। साथ ही अनुसूचित जनजाती क्षैत्र के जनजाति श्रैणी के कृषको को 25 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान दिए जाने का प्रावधान किया जाता है। अनुसूचित जनजाति क्षैत्र के जनजाति कृषको को 25 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान देय है।
आवेदक के पास कृषि योग्य भू-स्वामित्व एवं सिंचाई स्त्रोत होना आवश्यक है।
ई-मित्र केन्द्र पर जाकर आवेदन कर सकेगा।
आवश्यक दस्तावेज: जमाबन्दी नकल (6 माह से अधिक पुरानी नहीं हो), आधार कार्ड/जनाधार कार्ड, मिट्टी व पानी की जाॅच रिपोर्ट, अनुमोदित फर्म का कोटेशन, सिंचाई स्त्रोत का प्रमाण तथा लघु, सीमांत, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कृषकों को अनुदान हेतु संबधिंत प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति, 2019 के अन्तर्गत् पूंजी एवं ब्याज अनुदान का लाभ लेने वाली नई/विस्तारीकरण/विविधिकरण/ आधुनिकीकरण परियोजनाओ की संचालन लागत को कम करना है।
इससे योजना के अन्तर्गत प्रतिपादित विभिन्न परिलाभो के त्वरित एवं अधिकतम अंगीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा तथा राज्य में आपूर्ति एवं मुल्य श्रृंखला के विकास को गति मिलेगी। क्षेत्रीय, लिंग एवं वर्ग के अपेक्षाकृत कम संलिप्त रहने वाले व्यक्तियों एवं युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
विद्युत प्रभार अनुदानः इस नीति के तहत पूंजी अनुदान का लाभ लेने वाली इकाईयां को 1 रू प्रति किलो वाट की दर से अधिकतम 2 लाख प्रतिवर्ष प्रति इकाई अधिकतम 5 वर्ष तक विद्युत प्रभार का पुनर्भरण किया जाएगा।
सौर ऊर्जा अपनाने पर वित्तीय सहायताः इस नीति के अंतर्गत पूंजी अनुदान का लाभ लेने वाले आवेदकों को सौर ऊर्जा सयंत्र की लागत का 30% अधिकतम 10 लाख रुपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता/पूंजी अनुदान देय होगा।
इस नीति के तहत पूंजी अनुदान का लाभ लेने वाली इकाईयां ही विद्युत प्रभार/ सौर ऊर्जा अनुदान के लिए योग्य होंगी।
एक आवेदक 5 वर्ष की अवधि में, अधिकतम 10 लाख रुपये की सीमा में, विद्युत प्रभार अनुदान या सौर ऊर्जा अपनाने दोनों सहायता में से किसी एक सहायता का लाभ ले सकता है।
आवेदक जो परियोजना आरंभ होने के बाद के चरण में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का विकल्प अपनाते है वह उस विकल्प को देते समय पूर्व में भुगतान किए गए विद्युत प्रभार अनुदान को घटाकर शेष सहायता राषि के लिए पात्र होंगे।
विद्युत अनुदान का पुर्नभरण इकाई द्वारा व्यावसायिक उत्पादन शुरू करने/सेवा प्रदान करने का प्रमाण प्रस्तुत करने के पश्चात् ही किया जाएगा।
व्यक्ति जिनके द्वारा राजस्थान कृषि प्रसंस्करण कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात योजना 2019 के अन्तर्गत पूजीं अनुदान लिया गया हो, विद्युत प्रभार अनुदान हेतु पात्र होगें।
विद्युत अनुदान का पुर्नभरण इकाई द्वारा व्यावसायिक उत्पादन शुरू करने/सेवा प्रदान करने का प्रमाण प्रस्तुत करने के पश्चात् ही किया जाएगा।
ब्याज एवं विद्युत प्रभार अनुदान परियोजना पूर्ण होने एवं परियोजना का संयुक्त निरीक्षण करने के पश्चात् ही स्वीकृत किए जाएँगे।
यह नीति दिनांक 12 दिसंबर 2019 को लागू की गई एवं इसकी अवधि 31 मार्च 2024 तक मान्य होगी।
पशुपालक अपने पशु को उपचार के लिए चिकित्सा संस्था/शिविरों में लाता है तो उसके पशुओं कें संस्था में उपलब्ध औषधियों के द्वारा समस्त प्रकार के उपचार किए जाते हैं। संस्था में पशुओं का निशुल्क उपचार किया जाता है।
इस योजना के लिए राज्य के समस्त पशुपालक आवेदन कर सकते है।
इस योजना के लिए सभी जिला कार्यालयों/बहुउदेशीय पशु चिकित्सालयों में आपातकालीन औषधि क्रय हेतु प्रतिवर्ष बजट आवंटन किया जाता है।
इस योजना का उद्देश्य सिंचाई हेतु डीजल आधारित सिंचाई संयंत्रों के प्रयोग को समाप्त कर डीजल पर देय अनुदान की बचत एवं राज्य को कार्बन क्रेडिट उपलब्ध कराना है। सौर ऊर्जा पम्प परियोजना से सिंचाई में जल बचत को बढावा देने के लिए आवश्यक रूप से ड्रिप, मिनी स्प्रिकंलर एवं स्प्रिकंलर, ग्रीन हाउस, शेडनेट हाउस, पाॅली हाउस, लाॅ-टनल्स एवं जल बचत संसाधनों का उपयोग।
वर्षा जल संग्रहण की ओर कृषकों का रूझान बढाने हेतु जल संग्रहण ढांचा, डिग्गी, फार्म पौण्ड व जलहौज इत्यादि निर्माण करने पर उक्त संग्रहित जल से सिंचाई करने वाले कृषकों को भी जिनके पास सिंचाई हेतु विधुत कनेक्शन नही है उन्हें सौर ऊर्जा पम्प परियोजना अनुदान पर उपलब्ध कराना।
सौर ऊर्जा पम्प परियोजना की आधार लागत का 30 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा एवं 30 प्रतिशत भारत सरकार द्वारा अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा तथा शेष 40 प्रतिशत राशि कृषक द्वारा स्वयं वहन की जाएगी, जिसमें 30 प्रतिशत तक बैंक से ऋण प्राप्त कर सकते है।
अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कृषकों को 45000 रूपये प्रति कृषक प्रति पम्प संयंत्र अतिरिक्त अनुदान का प्रावधान है।
योजना में 3 एचपी, 5 एचपी, 7.5 एचपी व 10 एचपी तक के सौर ऊर्जा पम्प परियोजना भी स्थापित किए जा सकते है परन्तु अनुदान 7.5 एचपी क्षमता तक ही देय होगा।
कृषक नजदीकी ई-मित्र केन्द्र पर जाकर राज किसान पोर्टल पर आवेदन कर सकते है।
आवेदन के समय आवश्यक दस्तावेज भामाशाह/जनाधार कार्ड, भूमि की जमाबंदी या पासबुक की प्रतिलिपि (भू-स्वामित्व) व स्व प्रमाणित सिंचाई जल स्त्रोत का प्रमाण पत्र उपलोड करना है।