राजस्थान सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई गई मुख्य योजनाएँ

By : Tractorbird News Published on : 28-Jun-2023
राजस्थान

1. बीज मिनिकिट योजना

इस योजना का मुख्य उद्देश्य कमजोर वर्ग के कृषकों को मिनिकिट के माध्‍यम से बीज की उपलब्धता कराना है।

नई किस्म व 10 वर्ष से कम अवधि की किस्मों को किसी क्षेत्र में शुरूआत एवं प्रचलन में लाया जाना भी इस योजना का प्रमुख लक्ष्य है।

योजना के लिए पात्रता क्या है?

  • मिनिकिट वितरण में योजना में मुख्य रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु एवं सीमान्त तथा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले कृषकों को प्राथमिकता।
  • इस योजना में महिला कृषकों को भी बीज मिनिकिट का वितरण किया जाएगा।
  • इस योजना में मिनिकिट महिला के नाम से दिए जाते है, चाहे भूमि महिला के पति/पिता/ससुर के नाम से हो।
  • एक महिला को मिनिकिट का एक ही पैकेट दिया जायेगा, एक वर्ष में अधिकतम 3 मिनिकिट ही देय होंगें।
  • एक ही कृषक परिवार की अलग-अलग कृषक महिला सदस्य के नाम से मिनिकिट नहीं दिए जाते है।
  • इस योजना में सिंचाई की सुविधा वाले कृषकों को प्राथमिकता दी जाएगी।

बीज मिनिकिट योजना के लिए सरकार कितना अनुदान देगी?

सरकार ने इस योजना की शुरुआत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु एवं सीमान्त तथा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले कृषकों को बीज मुफ्त में देने के लिए किया है ताकि किसान समय पर अपनी फसल की बुवाई कर सकें। इस योजना के अंतर्गत किसानों को बीज मिनिकिट का वितरण निशुल्क किया जाएगा।

योजना के लिए आवेदन करने के लिए आवेदन प्रक्रिया क्या है?

  • इस योजना के लिए आवेदन करने के लिए अपने क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक से संपर्क करें।
  • पात्र महिलाओं की सूची कृषि पर्यवेक्षक द्वारा ग्राम पंचायत के सरपंच एवं अन्य निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के साथ विचार विमर्श कर बनाई जाती है।
  • बीज मिनिकिट का वितरण ऑनलाईन तरीके से राज किसान साथी पोर्टल पर जनआधार कार्ड के माध्यम से किया जाएगा।
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2. राजस्थान फसल बीमा योजना

योजना का उद्देश्य क्या है?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के द्वारा कम वर्षा, विपरीत मौसमी परिस्थितियों तथा अन्य प्राकृतिक कारणों जैसे सूखा, बाढ, जलभराव, कीट-व्याधि, प्राकृतिक आग, बिजली गिरना, ओलावृष्टि एवं बेमौसमी वर्षा से फसलों की उपज में होने वाले नुकसान से कृषकों को सुरक्षा प्रदान की जाती है।

मौसम के आधार पर निर्धारित प्रीमियम

फसलों का बीमा कराने पर खरीफ मौसम हेतु बीमित राशि का 2 प्रतिशत, रबी मौसम हेतु 1.5 प्रतिशत तथा उद्यानिकी एवं वाणिज्यिक फसलों हेतु 5 प्रतिशत प्रीमियम राशि कृषकों द्वारा देय होगी।

योजना के लिए पात्रता

सभी वे कृषक जिन्होने अधिसूचित क्षेत्र के लिए अधिसूचित फसल की बुवाई की है।

फसलों का बीमा करवाने की प्रक्रिया

योजना सभी श्रेणी के कृषकों के लिए स्वैच्छिक है। वित्तीय संस्थानो से फसली ऋण लेने वाले कृषकों को लिखित में खरीफ तथा रबी के लिए नामांकन की अंतिम तिथि से 7 दिवस पूर्व तक बैंक को फसलों का बीमा नही करने हेतु सूचित करना होगा अन्यथा बैंक द्वारा अनिवार्य आधार पर बीमा कर दिया जायेगा।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा प्राप्त करने के इच्छुक गैर-ऋणी किसान निकटतम बैंक शाखा/सहकारी समिति/जन सेवा केन्द्र (सीएससी)/पोस्ट ऑफिस/बीमा कंपनी या उनके अधिकृत एजेंट से सम्पर्क कर सकते है या निर्धारित तिथि के अंतर्गत स्वयं राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल http://www.pmfby.gov.in पर आनलाईन आवेदन कर सकते है।

गैर-ऋणी किसानों को राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार नवीनतम जमाबंदी की नकल (पटवारी द्वारा सत्यापित), आधार कार्ड, स्व-प्रमाणित घोषणा पत्र जिसमें खसरा संख्या का कुल क्षेत्र, प्रस्तावित फसल का बुवाई क्षेत्र, मालिक का नाम एवं बीमा हित का प्रकार (स्वयं, परिवार एवं बटाई) अंकित कर प्रस्तुत करना होगा, बैंक पास बुक की कॉपी जिसमें IFSC Code एवं खाता संख्या अंकित हो या खाते की रद्द (Cancelled) चेक, बटाईदार एवं भू-स्वामी की आधारकार्ड की स्व-प्रमाणित प्रति, बटाईदार कृषक होने पर उक्त दस्तावेजों के अतिरिक्त शपथ पत्र एवं राजस्थान का मूल निवास प्रमाणपत्र आदि की प्रति जमा कराना अनिवार्य होगा।

योजना के अंतर्गत कौन-कौन से नुकसान कवर किए जायेंगे?

  • फसलों की बुवाई ना कर पाना/बाधित/निष्फल बुवाईः बीमित क्षेत्र में कम वर्षा या अन्य प्रतिकूल मौसमीय परिस्थितियों के कारण फसलों की बुवाई ना कर पाना या बाधित/निष्फल बुवाई से हुई हानि से सुरक्षा प्रदान करना। (केवल खरीफ मौसम की प्रमुख फसलों के लिए क्षेत्रीय दृष्टिकोण के आधार पर)।
  • खड़ी फसल (बुवाई से कटाई तक): सूखा, शुष्क स्थिति (लम्बी सूखा अवधि), बाढ़ जलप्लावन, व्यापक रूप से कीटों व रोगों के प्रभाव, भू-स्खलन, आकाशीय बिजली गिरने के कारण प्राकृतिक आग, तूफान, ओलावृष्टि तथा चक्रवात जैसे रोके ना जा सकने वाले जोखिमों के कारण उपज में नुकसान को आच्छादित करने के लिए व्यापक जोखिम बीमा आवरण प्रदान किया जाता है। (अधिसूचित क्षेत्र आधार पर)
  • फसल कटाई के उपरान्त नुकसानः इस प्रावधान में ओलावृष्टि, चक्रवात, चक्रवाती वर्षा और बेमौसम वर्षा होने की स्थिति में व्यक्तिगत आधार पर खेत में काटकर व फैलाकर/छोटे गठ्ठरों में बांधकर सुखाने हेतु रखी गई फसलों को फसल कटाई के पश्चात् केवल 14 दिनों की अधिकतम अवधि में हानि होने की स्थिति में संरक्षण प्राप्त है।
  • स्थानीय आपदाएं: योजना के तहत स्थानीयकृत जोखिमों/आपदाओं - ओलावृष्टि भूस्खलन, जलभराव, बादल फटने तथा अधिसूचित इकाई अथवा किसी खेत के हिस्से पर आकाशीय बिजली गिरने के कारण प्राकृतिक आग लगने से फसल को होने वाले नुकसान को व्यक्तिगत किसान के खेत के स्तर पर बीमा सुरक्षा प्रदान की गई हैं।

3. खेतों की तारबंदी योजना

उद्देश्य 

इस योजना की शुरुवात नीलगाय व आवारा पशुओं से फसलों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किया गया है। 

इस योजना के अंतर्गत किसानो को कितना अनुदान मीलेगा? 

कृषकों को 400 रंनिग मीटर तक तारबन्दी स्थापित करने पर लघु एवं सीमान्त कृषकों को लागत का 60 प्रतिशत अथवा अधिकतम राशि रूपये 48000/- जो भी कम हो एवं सामान्य कृषकों को लागत का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम राशि रूपये 40000/- जो भी कम हो, अनुदान देय होगा। 

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सामुदायिक आवेदन में 10 या अधिक कृषकों के समूह में न्यूनतम 5 हैक्टेयर में तारबंदी किए जाने पर लागत का 70 प्रतिषत या अधिकतम राशि रूपये 56000 /- जो भी कम हो, प्रति कृषक 400 रनिंग मीटर तक अनुदान देय होगा।

पात्रता 

  • इस योजना का लाभ सभी श्रेणी के कृषकों को दिया जाएगा।
  • इस योजना के अंतर्गत व्यक्तिगत एवं कृषक समूह में आवेदनकर्ता के पास न्यूनतम 1.5 हैक्टर भूमि एक ही स्थान पर होना अनिवार्य है।
  • अनुसूचित जन जाति क्षेत्रों में जोत का आकार कम होने के कारण न्यूनतम 0.5 हैक्टर भूमि एक ही स्थान पर होना अनिवार्य है।
  • सामुदायिक आवेदन में 10 या अधिक कृषकों के समूह में न्यूनतम 5 हैक्टेयर भूमि तथा समूह की भूमि की सीमाएं निधारित पेरीफेरी में होना आवष्यक है।

इस योजना की वैधता

इस योजना के लिए आवेदन करने के बाद इस की वैधता चालू वित्तीय वर्ष तक होगी। 

योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया

  • इस योजना के लिए कृषक राज किसान साथी पोर्टल पर जनआधार के माध्यम से स्वयं या नजदीकी ई-मित्र केन्द्र पर जाकर आवेदन कर सकेंगे।
  • आवेदक पत्र आन-लाईन जमा किए जानें की प्राप्ति रसीद आन-लाईन ही प्राप्त कर सकेगा।
  • आवेदन पत्र के साथ आवश्यक दस्तावेज - आधार कार्ड, जन आधार कार्ड, जमाबंदी की नकल (छः माह से अधिक पुरानी नहीं हो) और बैंक खाते सम्बन्धित विवरण। 

योजना से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु

  • जिन कृषकों के जनआधार पर लघु एवं सीमान्त कृषक श्रेणी में पंजीयन (सिडिंग) है उनको ही लघु एवं सीमान्त कृषक मानते हुए अनुदान के लिए पात्र समझा जएगा। यदि जनाधार मे लघु/सीमान्त कृषक के पंजीयन की सुविधा नहीं हो तो ऐसी स्थिति में कृषकों को आवेदन के समय सक्षम स्तर से जारी लघु/सीमान्त का प्रमाण पत्र संलग्न करना होगा। 
  • आवेदन के उपरान्त कृषि विभाग द्वारा तारबंदी स्थापना के लिए प्रषासनिक स्वीकृति जारी की जाएगी।
  • इसकी सूचना मोबाईल संदेष/कृषि पर्यवेक्षक के द्वारा प्राप्त होगी। 
  • तारबन्दी किए जानें से पूर्व व कार्य पूर्ण होने पर विभाग द्वारा मौका/सत्यापन व जियोटेगिंग जैसे कार्य किए जाएगे। 
  • अनुदान राशि सीधे कृषक के खाते में जमा होगी।

4. सिंचाई पाईप लाईन अनुदान योजना 

उद्देश्य

इस योजना का मुख्य उद्देश्य ट्यूबवैल या कुए से खेत तक पाइपलाइन के जरिए पानी पहुँचाना है जिससे पानी की 20-25 प्रतिशत तक बचत की जा सकें।

इस योजना के अंतर्गत सरकार कितना अनुदान देगी?

इस योजना के अंतर्गत लघु एवं सीमान्त कृषकों को इकाई लागत का 60 प्रतिशत (अधिकतम राषि रूपये 18000/- जो भी कम हो) तथा अन्य कृषकों को इकाई लागत का 50 प्रतिशत (अधिकतम राषि रूपये 15000/- जो भी कम हो अनुदान सरकार द्वारा दिया जाएगा।

पात्रता

इस योजना के लिए पात्र कृषक के नाम पर कृषि योग्य भूमि का स्वामित्व हो तथा कुंए पर विद्युत/डीजल/टैक्टर चलित पम्प सैट हो। सामलाती कुंए पर यदि सभी हिस्सेदार अलग-अलग पाईपलाइन पर अनुदान की मांग करते है तो अलग-अलग अनुदान देय होगा परन्तु भूमि का स्वामित्व अलग-अलग होना आवश्‍यक है। सामलाती जल स्त्रोत होने की स्थिति में सभी साझेदार कृषकों को स्त्रोत से एक ही पाईपलाइन दूर तक ले जानें में सभी कृषकों को अलग-अलग अनुदान देय होगा।

योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया

  • कृषक स्वयं या नजदीकी ई मित्र केन्द्र पर जाकर आवेदन करा सकते है।
  • आवेदक आवेदन पत्र ऑनलाईन जमा किए जानें की प्राप्ति रसीद ऑनलाईन ही प्राप्त कर सकता है।
  • आवेदन पत्र के समय आवश्‍यक दस्तावेज - आधार कार्ड/जनाधार कार्ड और जमाबंदी की नकल (छः माह से अधिक पुरानी नही हो)।

योजना से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

  • आवेदन के बाद पाइप लाइन की खरीद कृषि विभाग की स्वीकृति के बाद कृषि विभाग में पंजीकृत निर्माता या उनके अधिकृत वितरक विक्रेता से ही की जाए।
  • स्वीकृति की जानकारी मोबाइल संदेश अपने क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक के जरिए मिल सकेगी।
  • पाइप लाइन खरीदने के बाद विभाग द्वारा सत्यापन किया जाएगा।
  • अनुदान राशि सीधे कृषक के खाते में जमा होगी। 
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5. समन्वित कृषि योजना

वर्षा आधारित क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत समन्वित कृषि पद्धति को अपनाने हेतु सहायता प्रदान करने के लिए चलाया गया है। इस योजना में मुख्य रूप से पशु आधारित कृषि पद्धति, उधानिकी आधारित पद्धति तथा पेड आधारित पद्धति। इसके साथ ही वर्मीकम्‍पोस्‍ट इकाई आदि हेतु भी सहायता दी जाती है।

सरकार का खेती को लाभकारी, टिकाउ तथा जलवायु सहनशील बनाना इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है, इसके आलावा इस योजना के जरिए कृषको की आय में वृद्धि, म़ृदा एवं नमी का संरक्षण, प्रति बूंद अधिक फसल उत्पादन, क़ृषकों की दक्षता में व़ृद्धि लाना है।

योजना के अंतर्गत कितने % अनुदान किसानों को मिलेगा?

  • पशु आधारित पद्धति:- चारे वाली फसलों के साथ गाय/भैंस हेतु लागत का 50 प्रतिशत या 40000 रूपये प्रति हेक्टेयर, भेड/बकरी हेतु 25000 प्रति हेक्टेयर अनुदान किसानों को दिया जाएगा।
  • उधानिकी आधारित पद्धति- फसलों के साथ फलदार पौधे- संतरा, अमरूद, अनार आदि हेतु लागत का 50 प्रतिशत या 25000 रू प्रति हेक्टेयर अनुदान।
  • पेड आधारित पद्धति- फसलों के साथ खेत की मेड पर फलदार पौंधे- नीबूं, करौंधा, पपीता, खेजडी आदि हेतु लागत का 50 प्रतिशत या 15000 रू प्रति हेक्टेयर अनुदान किसानों को दिया जाएगा। इसके अलावा सहायक गतिविधियों के लिए अनुदान सहायता भी सरकार द्वारा दी जाएगी। 
  • वर्मीकम्‍पोस्‍ट इकाई (पक्‍का)- लागत का 50 प्रतिशत या 125 रू प्रति घन फीट अनुसार अधिकतम 50,000 रू पात्र किसान को प्राप्त होंगे।

योजना के लिए पात्रता 

इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक कृषक को 0.25 हेक्टेयर से अधिकतम 2 हेक्टेयर तक सहायता प्राप्त होगी। योजना के अंतर्गत लघु तथा सीमांत कृषकों को प्राथमिकता दी जाएगी। 

क्रियान्‍वयन क्लस्टर आधारित है जिसमें 100 हेक्टेयर या अधिक क्षेत्र को शामिल किया जाता है।

लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदन कैसे करें?

योजना में चयनित क्लस्टर के कृषक क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक को भूमि की जमाबंदी, फोटो, बैंक विवरण तथा आधार कार्ड के साथ आवेदन कर सकते है।

विनिमय रसीद कहा से प्राप्त होगी 

फसल पद्धति हेतु आवश्‍यक आदान केवीएसएस/जीएसएस से, पौंधे उधान विभाग द्वारा पंजीकृत नर्सरी से तथा पशु स्‍थानीय हाट/मेले/संस्‍थानों/पशुपालकों से पूर्ण भुगतान कर प्राप्‍त कर सकते है।

6. ग्रीन हाऊस

उद्देश्य

कृषि जलवायुवीय कारक तापक्रम आर्द्रता व सूर्य के प्रकाश को नियंत्रित करके सब्जियों, फुलों वा फलो आदि उधानिकी फसलो की खेती कर अधिक आमदनी अर्जित करने हेतू।

अनुदान

निर्धारित इकाई लागत या विभाग द्वारा अनुमोदित फर्मस की दरों में से जो भी कम हो पर अधिकतम 4000 वर्गमीटर क्षेत्र के लिए सामान्य कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान तथा लघु, सीमांत, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कृषकों को 70 प्रतिशत अनुदान देय है। साथ ही अनुसूचित जनजाती क्षैत्र के जनजाति श्रैणी के कृषको को 25 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान दिए जाने का प्रावधान किया जाता है। अनुसूचित जनजाति क्षैत्र के जनजाति कृषको को 25 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान देय है।

पात्रता

आवेदक के पास कृषि योग्य भू-स्वामित्व एवं सिंचाई स्त्रोत होना आवश्यक है।

आवेदन प्रक्रिया

ई-मित्र केन्द्र पर जाकर आवेदन कर सकेगा।

आवश्यक दस्तावेज: जमाबन्दी नकल (6 माह से अधिक पुरानी नहीं हो), आधार कार्ड/जनाधार कार्ड, मिट्टी व पानी की जाॅच रिपोर्ट, अनुमोदित फर्म का कोटेशन, सिंचाई स्त्रोत का प्रमाण तथा लघु, सीमांत, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कृषकों को अनुदान हेतु संबधिंत प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।

अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

  • ग्रीन हाऊस का निर्माण उद्यान विभाग द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति/ कार्यादेश जारी किए जानें के बाद ही प्रारम्भ किया जा सकेगा।
  • निर्माण उपरान्त गठित कमेटी द्वारा सत्यापन किया जायेगा।
  • कृषक द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति जारी होने से 30 दिवस अथवा वित्तीय वर्ष का अन्तिम कार्य दिवस (31 मार्च) जो भी पहले होगा, तक शपथ पत्र, त्रि-पार्टी अनुबंध पत्र एवं कृषक हिस्सा राशि कार्यालय में जमा कराना होगा।
  • अनुदान राशि का भुगतान सीधे कृषक के बैंक खाते में होगा।
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7. विधुत प्रभार/सौर ऊर्जा अनुदान योजना 

इस योजना का मुख्य उद्देश्य राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति, 2019 के अन्तर्गत् पूंजी एवं ब्याज अनुदान का लाभ लेने वाली नई/विस्तारीकरण/विविधिकरण/ आधुनिकीकरण परियोजनाओ की संचालन लागत को कम करना है।

इससे योजना के अन्तर्गत प्रतिपादित विभिन्न परिलाभो के त्वरित एवं अधिकतम अंगीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा तथा राज्य में आपूर्ति एवं मुल्य श्रृंखला के विकास को गति मिलेगी। क्षेत्रीय, लिंग एवं वर्ग के अपेक्षाकृत कम संलिप्त रहने वाले व्यक्तियों एवं युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

इस योजना के अंतर्गत सरकार कितना अनुदान देगी?

विद्युत प्रभार अनुदानः इस नीति के तहत पूंजी अनुदान का लाभ लेने वाली इकाईयां को 1 रू प्रति किलो वाट की दर से अधिकतम 2 लाख प्रतिवर्ष प्रति इकाई अधिकतम 5 वर्ष तक विद्युत प्रभार का पुनर्भरण किया जाएगा।

सौर ऊर्जा अपनाने पर वित्तीय सहायताः इस नीति के अंतर्गत पूंजी अनुदान का लाभ लेने वाले आवेदकों को सौर ऊर्जा सयंत्र की लागत का 30% अधिकतम 10 लाख रुपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता/पूंजी अनुदान देय होगा।

योजना के अंतर्गत पात्रता

इस नीति के तहत पूंजी अनुदान का लाभ लेने वाली इकाईयां ही विद्युत प्रभार/ सौर ऊर्जा अनुदान के लिए योग्य होंगी।

ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया

  • वित्तीय सहायता प्राप्त करने के इच्छुक आवेदकों को वेब-लिंक http://rajkisan.rajasthan.gov.in/ पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा।
  • आवेदक को पंजीकरण आधार कार्ड से करना होगा। 
  • पंजीकरण के पष्चात् आवेदक को आगे के काॅलम व पृष्ठों में मांगी गई सूचना भरनी हैं।
  • अगला पृष्ठ शुरु करने से पूर्व प्रत्येक पृष्ठ की सूचना को सुरक्षित करना होगा।
  • सभी दस्तावेंज/सूचनाएं जहाॅ भी अपलोड किए जाने हैं विहित साइज में ही करें।

योजना से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

एक आवेदक 5 वर्ष की अवधि में, अधिकतम 10 लाख रुपये की सीमा में, विद्युत प्रभार अनुदान या सौर ऊर्जा अपनाने दोनों सहायता में से किसी एक सहायता का लाभ ले सकता है।

आवेदक जो परियोजना आरंभ होने के बाद के चरण में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का विकल्प अपनाते है वह उस विकल्प को देते समय पूर्व में भुगतान किए गए विद्युत प्रभार अनुदान को घटाकर शेष सहायता राषि के लिए पात्र होंगे।

विद्युत अनुदान का पुर्नभरण इकाई द्वारा व्यावसायिक उत्पादन शुरू करने/सेवा प्रदान करने का प्रमाण प्रस्तुत करने के पश्चात् ही किया जाएगा।

व्यक्ति जिनके द्वारा राजस्थान कृषि प्रसंस्करण कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात योजना 2019 के अन्तर्गत पूजीं अनुदान लिया गया हो, विद्युत प्रभार अनुदान हेतु पात्र होगें।

विद्युत अनुदान का पुर्नभरण इकाई द्वारा व्यावसायिक उत्पादन शुरू करने/सेवा प्रदान करने का प्रमाण प्रस्तुत करने के पश्चात् ही किया जाएगा।

ब्याज एवं विद्युत प्रभार अनुदान परियोजना पूर्ण होने एवं परियोजना का संयुक्त निरीक्षण करने के पश्चात् ही स्वीकृत किए जाएँगे।

योजना की वैधता

यह नीति दिनांक 12 दिसंबर 2019 को लागू की गई एवं इसकी अवधि 31 मार्च 2024 तक मान्य होगी

8. पशुधन निःशुल्क आरोग्य योजना

  • राजस्थान सरकार द्वारा ये योजना पशुपालकों के लिए चलाई गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य पशु स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवश्यक दवाओं का निःशुल्क वितरण किया जाना है, ताकि पशुपालकों के अपने पशु की चिकित्सा पर होने वाले खर्च में कटौती संभव हो सके। 
  • इस योजना से धन के अभाव से पशु चिकित्सा सेवाओं से वंचित पशुओं का समय पर उपचार करना है।
  • समय पर बीमार पशुओं के उपचार के फलस्वरूप पशुओं की मृत्यु दर में कमी लाना।

इस योजना के अंतर्गत मिलने वाली सुविधाएं

पशुपालक अपने पशु को उपचार के लिए चिकित्सा संस्था/शिविरों में लाता है तो उसके पशुओं कें संस्था में उपलब्ध औषधियों के द्वारा समस्त प्रकार के उपचार किए जाते हैं। संस्था में पशुओं का निशुल्क उपचार किया जाता है।

योजना के लिए पात्रता

इस योजना के लिए राज्य के समस्त पशुपालक आवेदन कर सकते है।

योजना से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

इस योजना के लिए सभी जिला कार्यालयों/बहुउदेशीय पशु चिकित्सालयों में आपातकालीन औषधि क्रय हेतु प्रतिवर्ष बजट आवंटन किया जाता है।

9. सौर ऊर्जा पम्प परियोजना

इस योजना का उद्देश्य सिंचाई हेतु डीजल आधारित सिंचाई संयंत्रों के प्रयोग को समाप्त कर डीजल पर देय अनुदान की बचत एवं राज्य को कार्बन क्रेडिट उपलब्ध कराना है। सौर ऊर्जा पम्प परियोजना से सिंचाई में जल बचत को बढावा देने के लिए आवश्यक रूप से ड्रिप, मिनी स्प्रिकंलर एवं स्प्रिकंलर, ग्रीन हाउस, शेडनेट हाउस, पाॅली हाउस, लाॅ-टनल्स एवं जल बचत संसाधनों का उपयोग।

वर्षा जल संग्रहण की ओर कृषकों का रूझान बढाने हेतु जल संग्रहण ढांचा, डिग्गी, फार्म पौण्ड व जलहौज इत्यादि निर्माण करने पर उक्त संग्रहित जल से सिंचाई करने वाले कृषकों को भी जिनके पास सिंचाई हेतु विधुत कनेक्शन नही है उन्हें सौर ऊर्जा पम्प परियोजना अनुदान पर उपलब्ध कराना।

योजना के अंतर्गत कितना अनुदान मिलता है?

सौर ऊर्जा पम्प परियोजना की आधार लागत का 30 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा एवं 30 प्रतिशत भारत सरकार द्वारा अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा तथा शेष 40 प्रतिशत राशि कृषक द्वारा स्वयं वहन की जाएगी, जिसमें 30 प्रतिशत तक बैंक से ऋण प्राप्त कर सकते है।

अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कृषकों को 45000 रूपये प्रति कृषक प्रति पम्प संयंत्र अतिरिक्त अनुदान का प्रावधान है।

योजना में 3 एचपी, 5 एचपी, 7.5 एचपी व 10 एचपी तक के सौर ऊर्जा पम्प परियोजना भी स्थापित किए जा सकते है परन्तु अनुदान 7.5 एचपी क्षमता तक ही देय होगा।

आवेदन करने के लिए पात्रता

  • जिन कृषकों के पास सिंचाई हेतु कृषि विधुत कनेक्शन नही है एवं डीजल आधारित पम्प सेट पर निर्भर है, ऐसे कृषक सौर ऊर्जा पम्प परियोजना लगाने के पात्र है।
  • कृषक के पास स्वयं के भू-स्वामित्व में न्यूनतम 0.4 हैक्टेयर भूमि होने पर 3 एचपी क्षमता का सौर ऊर्जा पम्प, 0.75 हैक्टेयर भूमि होने पर 5 एचपी क्षमता का सौर ऊर्जा पम्प, 1.0 हैक्टेयर भूमि होने पर 7.5 एचपी क्षमता का सौर ऊर्जा पम्प परियोजना तथा 1.5 हैक्टेयर भूमि होने पर 10 एचपी क्षमता तक के सौर ऊर्जा पम्प लगाने हेतु पात्र है। 
  • कृषक के भू-स्वामित्व में सिंचाई हेतु जल संग्रहण ढांचा, डिग्गी, फार्म पौण्ड व जलहौज निर्धारित क्षमता का निर्मित होने पर भी योजना हेतु पात्र है।
  • सिंचाई के लिए ड्रिप/मिनी स्प्रिकंलर/स्प्रिकंलर संयंत्र आवश्यक रूप से काम मे लिया जाएगा।
  • उच्च उद्यानिकी तकनीक यथा ग्रीन हाउस/शेडनेट हाउस्/लो-टनल्स आदि लेने वाले कृषक योजना हेतु पात्र है।

योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया

कृषक नजदीकी ई-मित्र केन्द्र पर जाकर राज किसान पोर्टल पर आवेदन कर सकते है। 

आवेदन के समय आवश्यक दस्तावेज भामाशाह/जनाधार कार्ड, भूमि की जमाबंदी या पासबुक की प्रतिलिपि (भू-स्वामित्व) व स्व प्रमाणित सिंचाई जल स्त्रोत का प्रमाण पत्र उपलोड करना है।

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