विदेशी बकरियों की प्रमुख नस्लें जानिए इनकी खासियत

By : Tractorbird News Published on : 25-Oct-2024
विदेशी

देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी पालन का काम लगातार बढ़ता जा रहा है। हालाँकि गांव में बकरी पालन पिछले कई दशकों से चल रहा है, आज बकरी पालन एक बेहतर व्यवसाय के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। 

अपने देश में पायी जाने वाली विभिन्न नस्लें मुख्य रूप से मांस उत्पादन हेतु उपयुक्त है। विदेशी नस्लों का पालन भी भारत में किया जाता है। 

इस लेख में हम आपको विदेशी बकरियों की प्रमुख नस्लों के बारे में जानकारी देंगे।        

विदेशी बकरियों की प्रमुख नस्लें 

आपकी जानकारी के लिए बता दें टोगेनबर्ग, सैनन, फ्रेंच अल्पाइन और न्युबियन बकरियों की प्रमुख विदेशी डेयरी नस्लें हैं। 

ये सभी बहुत अच्छे दूध उत्पादक हैं, और इनमें से अधिकांश नस्लों को भारत में आयात किया गया था ताकि हमारी स्थानीय नस्लों की दूध उत्पादन क्षमता में सुधार किया जा सके और हमारी गैर-वर्णित बकरियों को उन्नत किया जा सके।

1. टोगेनबर्ग नस्ल की बकरी 

  •  यह उत्तरी स्विटजरलैंड में टोगेनबर्ग घाटी मेपाइ जाने वाली बकरी की नस्ल हैं । टोगेनबर्ग नस्ल की बकरी की त्वचा बहुत नरम और लचीली होती है। 
  • आमतौर पर नर और मादा दोनों सींग रहित होते हैं। टोगेनबर्ग वयस्क मादा का वजन 65 किलोग्राम या उससे अधिक होता है और नर का वजन 80 किलोग्राम से अधिक होता है। 
  • इस नस्ल का औसत दूध उत्पादन 5.5 किलोग्राम प्रतिदिन होता है। 
  • दूध में मक्खन वसा की मात्रा 3-4 प्रतिशत होती है। नर के बाल आमतौर पर मादा से लंबे होते हैं। 

2. सैनेन नस्ल की बकरी  

  • स्विटजरलैंड की सैनेन घाटी में रहने के कारण इसको सैनेन कहा जाता है। इस नस्ल को अपनी स्थिरता और उच्च उत्पादन के लिए जाना जाता है। 
  • इन बकरियों का रंग सफेद या हल्का क्रीम होता है। चेहरा थोड़ा उभरा हुआ हो सकता है और कान ऊपर और आगे की ओर होते हैं। 
  • मादा का वजन 65 किलोग्राम और नर का 95 किलोग्राम होता है। 8-10 महीने की अवधि के दौरान औसत दूध उत्पादन 2 - 5 किलोग्राम प्रतिदिन होता है। दूध वसा 3 - 5%।

3. अल्पाइन

  • इस नस्ल को फ्रेंच, स्विस और रॉक अल्पाइन नस्ल के नाम से भी जाना जाता है। इस नस्ल  का रंग काला या सफ़ेद होता है। 
  • ये उत्तम दूध देने वाली नस्ल हैं और इनके सींग होते हैं। औसत दूध की उपज 2 से 3 किलोग्राम है, जबकि इसके दूध में वसा 3 से 4 प्रतिशत होती है।

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4. न्युबियन

  • ये नस्ल उत्तर पूर्वी अफ्रीका के नूबिया की नस्ल हैं। ये नस्ल इथियोपिया और मिस्र में भी पाया जाता है। 
  • यह एक लंबी टांगों वाली और मजबूत शारीरिक बनावट वाली नस्ल है। 
  • इस नस्ल को भारत की जमुनापारी के साथ और ब्रिटेन की देशी नस्लों के साथ क्रॉस करवा कर बकरी की क्रॉस ब्रीड एंग्लो न्युबियन नस्ल बनाई गयी है।

5. एंग्लो न्युबियन

  • इस नस्ल की बकरी दिखने में बड़ी होती है जिसकी त्वचा और चमकदार बाल, लटकते हुए कान और रोमन नाक तक आते है। 
  • एंग्लो न्युबियन को बकरियों की दुनिया की जर्सी गाय के रूप में जाना जाता है। थन बड़ा और लटकता हुआ होता है। इसका कोई निश्चित रंग नहीं होता। 
  • नर का वजन 65-80 किलोग्राम और मादा का वजन 50-60 किलोग्राम होता है। 
  • औसत दूध उत्पादन 3-4 किलोग्राम/दिन होता है। अधिकतम उत्पादन 6.5 किलोग्राम या उससे अधिक भी हो सकता है।

6. अंगोरा

  • यह तुर्की या एशिया माइनर में पाई जाने वाली विदेशी बकरी की नस्ल हैं। यह एक उच्च गुणवत्ता वाला रेशा उत्पन करती है। 
  • यदि वसंत के दौरान इसकी उन को नहीं काटा जाता है, तो ऊन गर्मी के मौसम में स्वभाविक रूप से गिरती है। 
  • अंगोरा का आकार छोटा है और उसके पैर भी छोटे होते हैं। सींग भूरे होते हैं, सर्पिल रूप से मुड़े हुए होते हैं और पीछे बाहर की ओर झुके हुए  होते हैं। 

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