लंपी वायरस: पशुओं में तेजी से फैल रहा खतरनाक रोग, जानिए बचाव के उपाय

By : Tractorbird Published on : 26-Sep-2025
लंपी

लम्पी स्किन डिज़ीज़ (Lumpy Skin Disease) अब पूर्वी उत्तर प्रदेश से फैलकर तेज़ी से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी पहुंच रही है। गाजियाबाद के उप मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ. हरिवंश सिंह ने पशुपालकों को सतर्क करते हुए कहा कि यह बीमारी न केवल यूपी बल्कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और अन्य पड़ोसी राज्यों के लिए भी गंभीर खतरा बन सकती है। उन्होंने चेताया कि यह रोग पशुओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ किसानों की रोज़ी-रोटी पर भी बड़ा असर डालता है। 

भारत में इसका सबसे भयंकर प्रकोप 2022 में देखा गया था, जिसने पशुपालकों को भारी नुकसान पहुँचाया। इस बीमारी का पहला मामला 1929 में अफ्रीकी देश ज़ाम्बिया में सामने आया था, जबकि भारत में 2019 में उड़ीसा में इसका पता चला।

लम्पी बीमारी कैसे फैलती है ?

लम्पी एक संक्रामक रोग है, जो तेज़ी से एक पशु से दूसरे में फैलता है। यह मुख्य रूप से मच्छर, मक्खी और किलनी जैसे खून चूसने वाले कीड़ों के काटने से होता है। संक्रमित पशु के संपर्क में आने या उसकी लार से दूषित चारा-पानी खाने-पीने से भी यह बीमारी फैल सकती है। शुरुआत में पशु को तेज़ बुखार आता है।

लम्पी बीमारी के प्रमुख लक्षण

  •  पशु का तापमान 104–106°F तक पहुँच जाता है।
  •  पशु सुस्त हो जाता है और चारा-पानी कम खाता है।
  •  2–3 दिन बाद शरीर (सिर, गर्दन, पीठ और थनों के आसपास) पर 0.5 से 5 सेमी की सख्त गोल गांठें उभरने लगती हैं।
  •  आंख और नाक से पानी बहना, मुंह से ज़्यादा लार गिरना।
  •  गांठें फूटकर गहरे घाव बना देती हैं, जिनमें कीड़े लग सकते हैं।
  •  पैरों में सूजन और दूध उत्पादन में अचानक भारी गिरावट आना।

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लम्पी बचाव ही सबसे बड़ा उपाय

डॉ. सिंह के अनुसार, इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है, इसलिए बचाव ही सबसे असरदार तरीका है- 

  • टीकाकरण सबसे प्रभावी है, जिसके लिए नज़दीकी सरकारी पशु चिकित्सालय से संपर्क करें।
  • पशुशाला की साफ-सफाई रखें और मच्छर-मक्खी रोकने के लिए कीटनाशक छिड़कें।
  • बीमार पशु को तुरंत स्वस्थ पशुओं से अलग करें।
  • बाहर से लाए गए नए पशुओं को 15–20 दिन तक अलग रखकर निगरानी करें।
  • बीमारी की आशंका पर तुरंत सरकारी पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

घावों की देखभाल

  • नीम की पत्तियों को उबालकर ठंडे पानी से घाव साफ करें।
  • घाव सूखने पर डॉक्टर द्वारा बताई गई एंटीसेप्टिक क्रीम या एलोवेरा जेल लगाएँ।
  • पशु को पौष्टिक और हल्का भोजन दें ताकि उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके।

लम्पी नियंत्रण के देसी नुस्खा

पशु की ताक़त बढ़ाने के लिए यह मिश्रण उपयोगी है:

10 पान के पत्ते, 10 ग्राम काली मिर्च, 10 ग्राम हल्दी, नमक, 10 तुलसी पत्ते, 10 तेजपत्ते, एक-एक मुट्ठी नीम और बेलपत्र पीसकर पेस्ट बनाएं।

इसमें थोड़ा गुड़ मिलाकर दिन में तीन बार पशु को खिलाएं।

यह मिश्रण बीमार पशु को जल्दी ठीक होने में मदद करता है और स्वस्थ पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।

डॉ. हरिवंश सिंह ने अंत में कहा कि पशुपालक सतर्क रहें, जानकारी साझा करें और किसी भी लक्षण पर तुरंत कदम उठाएं। समय पर कार्रवाई करके ही इस महामारी से होने वाले बड़े नुकसान को रोका जा सकता है।

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